अयोध्या नरेश दशरथ की तीन पत्नियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी में से कौशल्या ने श्री राम को जन्म देने से पहले एक पुत्री को जन्म दिया था जिसका नाम शांता था। वह अत्यंत सुन्दर और सुशील कन्या थी। इसके अलावा वह वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं।

शान्ता

ऋष्यश्रृंग शान्ता के साथ अयोध्या यात्रा पर
देवनागरी शान्ता
संबंध राजा दशरथ की पुत्री
जीवनसाथी ऋष्यश्रृंग
माता-पिता दशरथ (पिता)
कौशल्या (माता)
रोमपाद (दत्तक पिता)
वर्षिणी (adoptive mother)
सुमित्रा (step-mother)
कैकेयी (step-mother)
भाई-बहन भगवान राम (भाई)
लक्ष्मण, भरत and शत्रुघ्न (half-brothers)

एक कथा के अनुसार रानी कौशल्या की बहन रानी वर्षिणी संतानहीन थी और इस बात से वह हमेशा दुखी रहती थी। एक बार रानी वर्षिणी और उनके पति रोमपद जो अंगदेश के राजा थे अयोध्या आएं। राजा दशरथ और रानी कौशल्या से वर्षिणी और रोमपद का दुःख देखा न गया और उन्होंने निर्णय लिया कि वह शांता को उन्हें गोद दे देंगे। दशरथ के इस फैसले से रोमपद और वर्षिणी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। कहते हैं उन्होंने शांता की देखभाल बहुत अच्छे तरीके से की और अपनी संतान से भी ज़्यादा स्नेह और मान दिया। इस प्रकार शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गयी।

दक्षिणी रामायणों के अनुसार भगवान राम की एक बहन भी थीं, जो उनसे बड़ी थी. उनका नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं. लोककथा अनुसार शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं. शांता जब पैदा हुई, तब अयोध्‍या में 12 वर्षों तक अकाल पड़ा. चिंतित राजा दशरथ को सलाह दी गई कि उनकी पुत्री शां‍ता ही अकाल का कारण है. राजा दशरथ ने अकाल दूर करने हेतु अपनी पुत्री शांता को अपनी साली वर्षिणी जो कि अंगदेश के राजा रोमपद कि पत्नी थीं उन्हें दान कर दिया. शांता का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात श्री राम की मौसी थीं. दशरथ शांता को अयोध्या बुलाने से डरते थे इसलिए कि कहीं फिर से अकाल नहीं पड़ जाए. रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने शांता का विवाह महर्षि विभाण्डक के पुत्र श्रृंगी ऋषि से कर दिया.[1]