दशरथ
दशरथ, वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा, इक्ष्वाकु कुल में राजा रघु[2] व इन्वदुमतीके के पुत्र व श्रीराम के पिता थे। उनकी तीन पत्नियाँ थीं – कौशल्या, सुमित्रा तथा कैकेयी। महर्षि ऋष्यशृंग की पत्नी शान्ता दशरथ की पुत्री थीं जो अंग महाजनपद के राजा रोमपाद को गोद दी गयी थी। [3][4]
दशरथ | |
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Kaikeyi demands that Dasharatha banish Rama from Ayodhya | |
जीवनसाथी |
कौशल्या कैकेयी सुमित्रा[1] |
माता-पिता | |
संतान |
शान्ता राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न |
पुत्रों का जन्म
संपादित करेंनौ हजार वर्ष की आयु में[5] उन्होंने पुत्र कामना के लिए अश्वमेध यज्ञ तथा पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराने का विचार किया। कुल गुरु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की आज्ञा लेकर दशरथ ने शृंगि ऋषि को यज्ञ की अध्यक्षता करने के लिए आमंत्रित किया।
शृंगि ऋषि ने दोनों यज्ञ पूर्ण करवाये। दशरथ को स्वर्णपात्र में नैवेद्य का प्रसाद प्रदान करके यह कहा कि अपनी पत्नियों को यह प्रसाद खिला कर वह पुत्र प्राप्ति कर सकते हैं। दशरथ ने अपनी पट्टरानी कौशल्या को उस प्रसाद का आधा भाग खिला दिया। बचे हुये भाग का आधा भाग (एक चौथाई) दूसरी रानी सुमित्रा को दिया। उसके बचे हुये भाग का आधा हिस्सा (एक बटा आठवाँ) उन्होंने कैकेयी को दिया। उन्होंने बचा हुआ आठवाँ भाग भी सुमित्रा को दे दिया।[6] तत् पश्चात राम (कौशल्या से), भरत (कैकेयी से) तथा लक्ष्मण व शत्रुघ्न (सुमित्रा से) का जन्म हुआ।
दशरथ का देहावसान
संपादित करेंराम के सीता के विवाह के बाद दशरथ ने यह घोषणा की कि राम का राज्याभिषेक किया जाएगा। कैकेयी पुत्र भरत का राज्याभिषेक करवाने के उद्देश्य से कोपभवन में चली गई।[7]
कोपभवन: उस काल में रनिवास में एक कोपभवन होता था जहाँ कोई भी रानी किसी भी कारणवश कुपित होकर अपनी असहमति व्यक्त कर सकती थी।
राजा दशरथ के पूछने पर कैकेयी ने दो वर मांगने की इच्छा जताई।
एक से स्वयं के पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी तथा दूसरे से राम को चौदह वर्ष का वनवास। राजा दशरथ ने दोनों वर दे दिए।[8]
पिता की आज्ञा से राम, सीता तथा लक्ष्मण के साथ वन की ओर निकल पड़े। राजा दशरथ ने पुत्र वियोग में प्राण त्याग दिए।[9]
सन्दर्भ
संपादित करेंविकिमीडिया कॉमन्स पर दशरथ से सम्बन्धित मीडिया है। |
- ↑ "Valmiki Ramayana - Ayodhya Kanda - Sarga 34". मूल से 12 अगस्त 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 सितंबर 2022.
- ↑ अ आ "CANTO XXIII.: VAS'ISHTHA'S SPEECH". Sacred Texts.
Thou, Raghu's son, so famous through The triple world as just and true,
- ↑ "ऋष्यशृंग". मूल से 20 नवंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-05-07.
- ↑ Buck, William (2000). Ramayana (अंग्रेज़ी में). Motilal Banarsidass Publ. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788120817203. मूल से 25 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2018.
- ↑ "CANTO XXII.: DAS'ARATHA'S SPEECH". Sacred Texts.
Nine thousand circling years have fled With all their seasons o'er my head, And as a hard-won boon, O sage, These sons have come to cheer mine age.
- ↑ "राम जन्म". मूल से 20 नवंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-05-07.
- ↑ "पुत्र वियोग में दशरथ देहावसान, केवट प्रसंग व भरत मिलाप का मंचन". जागरण.
- ↑ "पुत्र वियोग में दशरथ देहावसान, केवट प्रसंग व भरत मिलाप का मंचन". जागरण.
- ↑ "दशरथ का देहावसान". मूल से 20 नवंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-05-07.