शाक्य

महराजा शाक्य सिंह द्वारा स्थापित शाक्य वंश

प्रथम शताब्दी ई.पू में प्राचीन भारत की एक नृजाति (Ethnic Group) तथा वंश था।[1] बौद्ध पाठ्यों में शाक्यों को राजसी वर्ग का व हिंदू ग्रंथों में मुख्यत: क्षत्रिय वर्ण से संबंध रखने वाले बताये गए हैं, हालांकि शाक्य खुद में मिश्रित मूल के थे जिसके कारण, उन्हें संस्कृत में "संकीर्ण योन: " की संज्ञा दी गयी। [2] शाक्य आर्यवर्त से बाहर अवैदिक संस्कृति का अनुसरण करते थे और उनमेें चतुर्वर्ण व्यवस्था अनुपस्थित थी परंतु शाक्यों के समाज में भी वर्गीकरण मौजूद था। [2] [3][4][2] उन्होंने ब्राम्हणों का प्रभुत्व स्वीकार नहीं किया जिसके कारण अम्बट्ठ-सुत्त में ब्राह्मणों ने शाक्य को "उग्र, असभ्य, स्पर्शी और हिंसक" के रूप में वर्णित किया है।[2] [3][5][2] [3][6] शाक्यवंशी लोगो को अलग अलग नाम से जाना जाता है ।शाक्यों का हिमालय की तराई में एक प्राचीन राज्य था, जिसकी राजधानी कपिलवस्तु थी, जो अब नेपाल में है। सबसे प्रसिद्ध शाक्यों में आते हैं शाक्यमुनि बुद्ध, यानी गौतम बुद्ध। ये लुंबिनी के एक राजवंश से थे और इन्हें शाक्यमुनि, पाली में साकमुनि, आदि नामों से जाना जाता है। विरुधक द्वारा कपिलवस्तु में शाक्यौं के नरसंहार करने के बाद जो शाक्य लोग बच गए, वह कपिलवस्तु के उत्तर में अवस्थित पहाडीयौं में छुप कर रहने लगे। पहाडीयौं में ही शाक्यौं को काठमांडू के सांखु (शंखपुर) में किरात नरेश जितेदास्ती के समय में बौद्ध भिक्षुऔं द्वारा बनाया हुआ वर्खाबास बिहार के बारे में पता चला। इस के बाद शाक्य वंश के लोग उस बिहार में शरणागत हो गए। वहां से शाक्यौं ने संघ का फिर से निर्माण किया और विभिन्न बिहारौं का निर्माण किया। कालान्तर में नेपाल में ५०० से ज्यादा बौद्ध बिहार और अध्ययन केन्द्रौं का निर्माण हुआ। यह संस्कार से निर्मित बौद्ध सम्प्रदाय को नेवार बौद्ध सम्प्रदाय कहते है। इस सम्प्रदाय का नेपाल में १०० से भी ज्यादा विहार अभी भी जीवित है। बाकीं के सभी जीवित बौद्ध सम्प्रदाय से भिन्न इस सम्प्रदाय का धार्मिक भाषा पाली है। सभी ग्रन्थ और कर्म पाली के मन्त्र और सूत्र द्वारा किया जाता है। नालन्दा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयौं मे लिखित अनेक ग्रन्थ (जो भारत में अभी लुप्त हो चुका है), जैसे कि प्रज्ञापारमिता, पाली त्रिपिटक आदि इस सम्प्रदाय में जीवित है।

शाक्यों में प्रसिद्ध शाक्यमुनि बुद्ध, चीनी तंग वंश से प्राप्त बैठी हुई मूर्ति
केशचन्द्र शाक्य (बहन के साथ), केशचन्द्र महाविहार के निर्माता

विश्व गुरु तथागत गौतम बुध्द शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोधन शाक्य के पुत्र थे ।

देखेंसंपादित करें


सन्दर्भसंपादित करें

  1. Raychaudhuri H. (1972). Political History of Ancient India, Calcutta: University of Calcutta, pp.169-70
  2. Levman, Bryan G. "Cultural Remnants of the Indigenous Peoples in the Buddhist Scriptures".
  3. Law, B.C. (1973). Tribes in Ancient India, Bhandarkar Oriental Series No.4, Poona: Bhandarkar Oriental Research Institute, pp.245-56
  4. Thapar, R.(1978). Ancient Indian Social History, New Delhi: Orient Longman, ISBN 81-250-0808-X, p.117
  5. Thapar, R.(1978). Ancient Indian Social History, New Delhi: Orient Longman, ISBN 81-250-0808-X, p.117
  6. Thapar, R.(1978). Ancient Indian Social History, New Delhi: Orient Longman, ISBN 81-250-0808-X, p.117

बाहरी कड़ियाँसंपादित करें