शूरसेन देश

शूरसेनसैनी

शूरसेन सैनी देश प्राचीन काल में राजस्थान में जनपद था। राजस्थान भारत वर्ष के पश्चिम भाग में अवस्थित है जो प्राचीन काल से विख्यात रहा है। तब इस प्रदेश में कई इकाईयाँ सम्मिलित थी जो अलग-अलग नाम से सम्बोधित की जाती थी। उदाहरण के लिए जयपुर राज्य का उत्तरी भाग मध्यदेश का हिस्सा था तो दक्षिणी भाग सपालदक्ष कहलाता था। अलवर राज्य का उत्तरी भाग कुरुदेश का हिस्सा था तो भरतपुर, धौलपुर, करौली राज्य शूरसेन सैनी देश में सम्मिलित थे।

इस प्रदेश का नाम संभवत: मधुरापुरी (मथुरा) के शासक, लवणासुर के वधोपरान्त, शत्रुघ्न ने अपने पुत्र शूरसेन सैनी I के नाम पर रखा था। शूरसेन ने पुरानी मथुरा के स्थान पर नई नगरी बसाई थी जिसका वर्णन वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में है। महाभारत में शूरसेन सैनी-जनपद पर सहदेव की विजय का उल्लेख है। कालिदास ने रघुवंश में शूरसेनाधिपति सुषेण का वर्णन किया है। इसकी राजधानी मथुरा का उल्लेख कालिदास ने इसके आगे रघुवंश में किया है। श्रीमद् भागवत में यदुराज शूरसेन सैनी II का उल्लेख है जिसका राज्य शूरसेन-प्रदेश में कहा गया है। विष्णु पुराण में शूरसेन के निवासियों को ही संभवत: शूरसैनी कहा गया है और इनका आभीर (अहीर)ों के साथ उल्लेख है[1]

इन्हें भी देखें संपादित करें

  1. "शूरसेन महाजनपद". भारतकोश.