संस्कार भारती
संस्कार भारती, की स्थापना ललित कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय चेतना लाने का उद्देश्य सामने रखकर की गयी थी। इसकी पृष्ठभूमि में भाऊराव देवरस, हरिभाऊ वाकणकर, नानाजी देशमुख, माधवराव देवले और योगेन्द्र जी जैसे मनीषियों का चिन्तन तथा अथक परिश्रम था। १९५४ से संस्कार भारती की परिकल्पना विकसित होती गयी और १९८१ में लखनऊ में इसकी विधिवत स्थापना हुई। १९८८ में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी (रंगभरी एकादशी) को मीरजापुर इकाई का गठन किया गया। सा कला या विमुक्तये अर्थात् "कला वह है जो बुराइयों के बन्धन काटकर मुक्ति प्रदान करती है" के घोष-वाक्य के साथ आज देशभर में संस्कार भारती की १२०० से अधिक इकाइयाँ कार्य कर रही हैं।
समाज के विभिन्न वर्गों में कला के द्वारा राष्ट्रभक्ति एवं योग्य संस्कार जगाने, विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण व नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहन देकर इनके माध्यम से सांस्कृतिक प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से संस्कार भारती कार्य कर रही है। १९९० से संस्कार भारती के वार्षिक अधिवेशन कला साधक संगम के रूप में आयोजित किये जाते हैं जिनमें संगीत, नाटक, चित्रकला, काव्य, साहित्य और नृत्य विधाओं से जुड़े देशभर के स्थापित व नवोदित कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
भारतीय संस्कृति के उत्कृष्ट मूल्यों की प्रतिष्ठा करने की दृष्टि से राष्ट्रीय गीत प्रतियोगिता, कृष्ण रूप-सज्जा प्रतियोगिता, राष्ट्रभावना जगाने वाले नुक्कड़ नाटक, नृत्य, रंगोली, मेंहदी, चित्रकला, काव्य-यात्रा, स्थान-स्थान पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आदि बहुविध कार्यक्रमों का आयोजन संस्कार भारती द्वारा किया जाता है। [1] न यह समझो कि हिन्दुस्तान की तलवार सोई है।
जिसे सुनकर दहलती थी कभी छाती सिकन्दर की
जिसे सुन करके ‘कर’ से छूटती थी तेग़ बाबर की
जिसे सुन शत्रु की फौजें बिखरती थीं सिहरती थीं
विसर्जन की शरण ले डूबती नावें उभरती थीं
हुई नीली जिसकी चोट से आकाश की छाती
न यह समझो कि अब रण बांकुरी हुंकार सोई है।।1।।
फिरंगी से ज़रा पूछो कि हिन्दुस्तान कैसा है
कि हिन्दुस्तानियों के रोष का तूफान कैसा है
जरा पूछो भयंकर फांसियों के लाल तख्तों से
बसा है नाग बांबी में मगर ओ छेड़ने वालों
न यह समझो कि जीवित नाग की फुंकार सोई है।।2।।
न सीमा का हमारे देश ने विस्तार चाहा है
किसी के स्वर्ण पर हमने नहीं अधिकार चाहा है
मगर यह बात कहने में चूके हैं न चूकेंगे
लहू देंगे मगर इस देश की मिटटी नहीं देंगे
किसी लोलुप नजर ने यदि हमारी मुक्ति को देखा
उठेगी तब-प्रलय की आग जिस पर क्षार सोई है।।3।।
कार्य-समिति
संपादित करेंसंगठनात्मक व्यवस्था की दृष्टि से संस्कार भारती की वर्तमान संरचना इस प्रकार की गयी है:[2]
1. योगेन्द्र जी (बाबा), राष्ट्रीय संरक्षक, आगरा,
2. वासुदेव कामथ, राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुम्बई,
3. विश्राम जामदार, राष्ट्रीय महामन्त्री, नागपुर,
4. रवीन्द्र भारती, राष्ट्रीय सहमहामंत्री, जयपुर ,
5. वेद प्रकाश, संगठन मंत्री, संस्कार भारती, बिहार प्रदेश
6.आनन्द प्रकाश नारायण सिंह, प्रान्तीय अध्यक्ष (बिहार प्रान्त), पटना,
7 . विनोद कुमार गुप्त, प्रान्तीय महामन्त्री (बिहार प्रान्त), पटना
8. डॉ. सुशील कुमार 'अंकन', प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष, झारखंड प्रांत, रांची
9. डॉ एस० प्रणाम सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष (काशी प्रांत)
10. डॉ एस० गणेश अवस्थी, प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष (काशी प्रांत)
11. श्री सुजीत श्रीवास्तव, प्रांतीय महामंत्री (काशी प्रांत)
12.मेजर दीनदयाल-संरक्षक,
13.डॉ अजय शर्मा-अध्यक्ष,
14.डा. निर्मल पोपली-उपाध्यक्ष,
15.डा. सुरेश वशिष्ठ-उपाध्यक्ष,
16.श्री सम्पूर्ण सिंह-महामन्त्री,
17.श्री अभिषेक गुप्ता-सह् महामंत्री,
18.श्री राकेश कुमार-कोषाध्यक्ष,
19.श्री उदितेन्दु वर्मा ‘निश्चल’-मंत्री,
20.श्रीमती स्वदेश चरौरा-मातृ शक्ति प्रमुख
21.डॉ ऋचा गुप्ता-संगठन मंत्री
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मई 2012.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 फ़रवरी 2014.
https://web.archive.org/web/20191011060130/https://www.sanskarbharti.org/