सदस्य:Anjana r 1997/किरियतिल नायर

नायर सैनिक झंडा

नायर: परिचय संपादित करें

नायर समुदाय केरल के एक प्रमुख धार्मिक समुदायों है।यह समुदाय केरल के क्षत्रियों में से सबसे ऊँचे तल के हैं। इस समुदाय में अनेक उप विभाजित धार्मिक जातियाँ पाई जाती है। नायर समुदाय के अंतर्गत अत्यंत अलग तरीकों के सांस्कृतिक आदतें और विश्वासों उपस्थित हैं। एतिहासिक नायर परिवार के लोग एक साथ बडे से घर, जिसको "तरवाडु" कहते हैं, उसमें अत्यधिक एकता और प्यार से रहा करते थे। इन घरों के आसपास अनेक तालाबें रहती है। नायर समुदाय उनके मातृसत्तात्मक समाज के लिए अत्यंत प्रसिद्ध हैं। एक तरवाडु के ज्येष्ट स्त्री को उस घर के सबसे प्रमुख स्थान दिया जाता है और उनको "तरवाट्ट्म्मा" या "केट्टिलम्मा" के नाम से बुलाया जाता है।इन स्त्रीयों के प्रभुत्व को मानकर और उनके नियमों का पालन करना अन्य परिवार अंगों का फर्ज़ है। यह समुदाय सापों के अत्यंत भक्त हैं और इनके तरवाडु के पास में ही "नागत्तरा" यानी नाग के लिए मंदिर भी रहता है।नायर समुदाय के लिए अलग से एक सामाजिक समुदाय का रूपांतर की गई है जिसका नाम एन्.एस्.एस् (नायर सर्विस सोसाईटी) है जो भारत एवं विदेश राज्यों में भी सज्जीव है और अनेक मंगल समारोह भी मनाया जाता है।

विभाजित जातियाँ संपादित करें

नायर समुदाय के अनेक विभाजित जातियाँ हैं जैसे "किरियतिल नायर", "शूद्र नायर", "वेल्लाटोडि नायर", "वेलक्कतिला नायर" आदि हैं। यह विभाजन नायर समुदाय के अंगो के बीच इनके द्वारा की जाने वाले कामों के आधारित किया गया है।इसके आधारित केरल में कुल १८ विभाजित जातियाँ है। उदाहरण के लिए,किरियतिल नायर के अंग राजभरण के समय जागीरदार थे बल्कि वेलक्कतिला नायर, नायर समुदाय के अंतर्गत के नाई थे।वेल्लाटोडि नायर इस समुदाय के धोबी थे।समकालीन समाज में इन विभाजन का मूल्य पुराने समय से थोडा सा तरलीय है मगर शादी के समय एक विभाजित समुदाय अपने ही समुदाय के अंग से ही ज़्यादातर शादी करना पसंद करते हैं।

 
नायर तरवाडु

किरियतिल नायर संपादित करें

किरियतिल नायर, नायर समुदाय के सबसे ऊपरी विभाजित जाति है।किरियतिल नायर समुदाय केरल के मलबार एवं कोच्चिन भागों में ही ज़्यादातर दिखाई देती है और तिरुविदांकुर( तिरुवनंदपुरम) भागों में शायद ही यह लोग रहते हैं।"किरियत्तु नायर" का मतलब "ग्रहनाथ" या " अपने घर का देखबाल करने वाला" है। इनको नायर समुदाय के विभाजित जातियों के पदक्रम के अंतर्गत "इल्लत्तु नायर" से ऊँचा और "समन्थन नायर" से नीचा मानते हैं मगर समन्थन नायर और किरियतिल नायर के बीच का सीमा अत्यंत अस्पष्ट है जिसके वजह से किरियतिल नायर और समन्थन नायर को एक ही माना जाता है।किरियतिल नायर समुदाय के लोगों को पूर्व अंग्रेज़ी शासन के समय अत्यधिक विशेषाधिकार मिलती थी जैसे केरल के सबसे उँचे धार्मिक जाति, नम्बूदिरी के साथ बैटके भोजन करना जो अधिकांश दूसरे उँचे जातियों को तक मना था।

किरियतिल नायर पूर्व अंग्रेज़ी शासन के समय के प्रमुख जागीरदार थे और उनके अधीन में अनेक सिपाहियाँ काम करते थे। यह सिपाहियाँ नायर समुदाय के अतंर्गत के "पुराट्टु चर्ण नायर" से संबधित थे।इनके बडे से घर के पास ही उनका खुदका मंदिर रहता है जिसमें अनेक देवियाँ (सरस्वती), देव (शिव) और नागों का प्रतिष्टा की जाती है। यह समुदाय संयुक्त परिवार के रूप में रहना पसंद करते हैं और हर मंगल अवसर को धाम- धूम से मनाते हैं।

संदर्भ संपादित करें

http://keralanairs.blogspot.in/2008/01/theories-of-origin-ancient-south-indian.html

http://www.nairs.in/classifications.htm

http://www.wikiwand.com/en/Kiryathil_Nair

http://www.ammas.com/topics/Religion/a162963.html