पोंगाला केरल और तमिल नाडु का प्रमुख त्यौहार है। पोंगाला का मतलब 'उबालना' होता है। यह एक खिचडी है जिसे अनाज, गुड़, नारियल, बादाम और किशमिश से बनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने में अधिकतर महिलाऍं सम्मिलित होते हैं। इस त्यौहार की उल्लेखना गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी किया गया है। माना जाता है कि पोंगाला को १००० साल पूर्व शुरू किया गया था। इसे आट्टुकाल देवी की मंदिर में मनाया जाता है। उन्हें पार्वती देवी का अवतार माना जाता है। उत्कीर्ण लेख संबंधी सबूत के अनुसार पुतियीड़ उत्सव को चोल राजवंश के समय में शुरु किया गया था। पोंगाला अट्टुक्काल भगवती मंदिर का मुख्य त्यौहार है। यह दस दिन का महोत्सव है जिसे फरवरी और मार्च के बीच में मनाया जाता है। पेहले दिन देवी की मूर्ती को चूड़ियों से सजाया जाता है। नौवें दिन सबसे महत्व्पूर्ण दिन होता है जब 'पूरम' उत्सव मनाया जाता है। दसवें दिन त्यौहार को समाप्त किया जाता है। पोंगाला के दिन, अनेक स्त्रियाँ छोटे बर्तनों में अनाज को पानी और गुड़ के साथ उबालते हैं। इसे सबसे पेहले मंदिर की देवी को दिया जाता है और फिर भक्तो के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैं। इस दिन आट्टुकाल देवी से आशिर्वाद मांगा जाता है। आट्टुकाल भगवती मंदिर एक हिन्दू तीर्थ स्थान है जो तिरुवनंतपुरम, केरल में स्थित है। इस मंदिर की देवी से जीवन में समृद्धि और साहस के लिये प्रार्थना किया जाता है। इस देवी को अक्सर कण्णगि भी बुलाया जाता है जो 'शिलप्पदिकारम' नामक पुस्तक की नायिका थी। आट्टुकाल देवी के सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा के रूपों की पूजा किया जाता है।