सरिय्या अबू उबैदाह इब्न अल-जर्राह (ख़ब्त)

सरिय्या हज़रत अबू उबैदाह इब्न अल-जर्राह रज़ि० या सरिय्या ख़ब्त सैन्य अभियान मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आदेश पर अक्टूबर 629 और इस्लामी कैलेंडर के 7वें महीने 8 हिजरी में हुआ। इस अभियान में मुसलमान अकाल से पीड़ित हुए।

सरिय्या हज़रत अबू उबैदाह इब्न अल-जर्राह रज़ि०
मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ का भाग
तिथि अक्टूबर 629 AD, 8AH, 7वां महीना, या 7AH[1][2]
स्थान en:Al- Qabaliyyah
परिणाम
  • दुश्मन भागे, मुसलमान अकाल से पीड़ित[3][4]
सेनानायक
अबू उबैदाह इब्न अल-जर्राह रज़ि० अनजान
शक्ति/क्षमता
300[5][6][7] अनजान

पृष्ठभूमि

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इस्लाम के विद्वान सफिउर्रहमान मुबारकपुरी लिखते हैं कि इस सरिय्या का ज़माना रजब सन् 08 हि० बताया जाता है। मगर आगे-पीछे की घटनाएं बताती हैं कि यह हुदैबिया से पहले की घटना है | हज़रत जाबिर रज़ि० का बयान है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमारे तीन सौ सवारों का जत्था रवाना फ़रमाया। हमारे अमीर अबू उबैदाह इब्न अल-जर्राह रज़ि० रज़ि० थे कुरैश के एक काफ़िले का पता लगाना था। हम इस मुहिम के दौरान सख़्त भूख से दो चार हुए, यहां तक कि पत्ते झाड़-झाड़ कर खाने पड़े। इसी लिए इस का नाम जैशे ख़ब्त पड़ गया (ख़ब्त झाड़े जाने वाले पत्तों को कहते हैं)। आख़िर एक आदमी ने तीन ऊंट ज़िब्ह किये, फिर तीन ऊंट ज़िब्ह किए, फिर तीन ऊंट ज़िब्ह किए, लेकिन इसके बाद अबू उबैदा रज़ि० ने उसे मना कर दिया। फिर उस के बाद ही समुद्र ने अंबर नामी एक मछली फेंक दी, जिसे हम आधे महीने तक खाते रहे और उस का तेल भी लगाते रहे, यहां तक कि हमारे जिस्म पहली हालत पर पलट आए और हम तन्दुरुस्त हो गए

अबू उबैदा रज़ि० ने उस की पसली का एक कांटा लिया और सेना के भीतर सब से लम्बे आदमी और सब से लम्बे ऊंट को देख कर आदमी को उस पर सवार किया और वह (सवार होकर) कांटे के नीचे से गुजर गया। हम ने उस के मांस के कुछ टुकड़े तोशे के तौर पर रख लिए और जब मदीना पहुंचे तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में हाज़िर होकर इस का जिक्र किया। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया, “यह एक रोज़ी है जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए निकाली थी, इसका मांस तुम्हारे पास हो तो हमें भी खिलाओ।" हम न अल्लाह रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सेवा में कुछ मांस भेज दिया " घटना का विवेचन समाप्त हुआ-

ऊपर जो यह कहा गया है कि इस घटना का आगा-पीछा बताता है कि यह हुदैबिया से पहले की हैं। इसकी वजह यह है कि हुदैबिया के समझौते के बाद मुसलमान कुरैश के किसी काफिले से छेड़-छाड़ नहीं करते थे।[8] [9]

सराया और ग़ज़वात

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इस्लामी शब्दावली में अरबी शब्द ग़ज़वा [10] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[11] [12]

इन्हें भी देखें

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  1. "List of Battles of Muhammad". मूल से 26 July 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 April 2011.
  2. Atlas Al-sīrah Al-Nabawīyah. अभिगमन तिथि 17 December 2014.
  3. The Life of Mahomet and History of Islam to the Era of the Hegira. अभिगमन तिथि 17 December 2014.
  4. "The invasion of Al-Khabt", Witness-Pioneer.com Archived 2011-06-23 at the वेबैक मशीन
  5. Atlas Al-sīrah Al-Nabawīyah. अभिगमन तिथि 17 December 2014.
  6. The Life of Mahomet and History of Islam to the Era of the Hegira. अभिगमन तिथि 17 December 2014.
  7. "The invasion of Al-Khabt", Witness-Pioneer.com Archived 2011-06-23 at the वेबैक मशीन
  8. सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या ख़ब्त". पृ॰ 649. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
  9. रहमतुल-लिल आलमीन, 2 / 226 इन सराया ( सरिव्या का बहु वचन) की तफसीलात के लिए रहमतुल- लिल आलमीन, जादुल-मआद 2 / 120-122 और तलकीहु कुहूमि अहलिल-असर के हाशिये प्र० 28-29 में देखी जा सकती हैं।
  10. Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
  11. siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
  12. ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up

बाहरी कड़ियाँ

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