सवानुर राज्य
सवानुर राज्य या सवानुर रियासत[1] ब्रिटिश भारत में एक रियासत था। यह बॉम्बे प्रेसिडेंसी के तहत धारवाड़ एजेंसी से संबंधित एकमात्र राज्य था,[2] जो बाद में दक्कन स्टेट्स एजेंसी का हिस्सा बन गया। राज्य के अंतिम शासक द्वार इसे 8 मार्च 1948 को भारत के डोमिनियन में सम्मलित किया गया।
सवानुर राज्य ಸವಣೂರ ಸಂಸ್ಥಾನ | |||||||||
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रियासत of ब्रिटिश भारत | |||||||||
1680–1948 | |||||||||
भारत के इम्पीरियल गजेटियर में सावनूर राज्य | |||||||||
Area | |||||||||
• 1901 | 189 कि॰मी2 (73 वर्ग मील) | ||||||||
Population | |||||||||
• 1901 | 18,446 | ||||||||
History | |||||||||
• Established | 1680 | ||||||||
1948 | |||||||||
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Today part of | कर्नाटक, भारत |
सावनूर राज्य का क्षेत्र 189 वर्ग किलोमीटर था और 1901 में इसकी आबादी 18,446 थी। इसकी राजधानी सावनुर थी।
सावनूर दक्षिणी मराठा साम्राज्य के पूर्व राज्यों में से एक था। भारत की स्वतंत्रता के बाद यह मैसूर राज्य का हिस्सा बन गया और वर्तमान में कर्नाटक राज्य में है।
इतिहास
संपादित करेंसावनुर राज्य की स्थापना 1672 में हुई थी, जब बीजापुर सल्तनत की सेवा में काबुल के मयाना जनजाति के एक अफगान अब्दुल करीम खान[3] को 1672 में बीजापुर के पास बंकापुर की जागीर दी गई थी।[4]
उनके उत्तराधिकारियों ने मुगल शासन के तहत एक सदी से अधिक समय तक स्वतंत्र रूप से व्यापक क्षेत्रों पर शासन किया।
हालांकि, मराठों द्वारा सावनुर पर विजय प्राप्त कर उसे एक करदाता के रूप में शासन करने दिया, और धीरे-धीरे सावनूर के क्षेत्र को हथियाते रहें। अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक, सावनुर के आधे से अधिक जागीर पर मराठों का कब्जा हो गया था।
सावनूर का शेष भाग हैदर अली के क्षेत्र का हिस्सा बन गया और सदी के अंत तक, टीपू सुल्तान ने नवाब का अधिग्रहण कर लिया। मैसूर राज्य का कब्जा 29 अक्टूबर 1786 को शुरू हुआ था और 17 दिसंबर 1791 तक चला था। बाद में गजेंद्रगढ़ की लड़ाई के बाद मैसूर द्वारा सभी क्षेत्रों को मराठों को वापस कर दिया गया था।
सावनुर नाम को फारसी शब्द शाहनूर का अपभ्रंश कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'प्रकाश का राजा'। कुछ अन्य लोगों का दावा है कि शहर श्रावण के हिंदू महीने में स्थापित किया गया था, और इसलिए इसका नाम सावनुर है।[5]
1799 में टीपू सुल्तान की मृत्यु के साथ, अपने मूल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई के साथ सावनूर स्वतंत्रता हो गया। तत्पश्चात, सावनूर धीरे-धीरे अंग्रेजों के अधिपत्य आता चला गया। 1818 में तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद मराठा साम्राज्य के पतन के बाद, सावनूर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से सुरक्षा स्वीकार कर ली और ब्रिटिश रक्षक (रियासत) बन गए।[6]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Imperial Gazetteer of India, v. 22, p. 155". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अक्तूबर 2019.
- ↑ “Bombay Presidency”। ब्रिटैनिका विश्वकोष (11th) 4। (1911)। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस।
- ↑ Chitnis, Krishnaji Nageshrao (2000). The Nawabs of Savanur. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788171565214.
- ↑ "Savanur Princely State". मूल से 22 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अक्तूबर 2019.
- ↑ Azer, Rahman (19 August 2014). "Nawabs and paan leaves" (Bangalore). Deccan Herald. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 January 2015.
- ↑ Bombay Gazetteer, Karnataka Dharwad district Chapter III. ed. and publ. by James M. Campbell, 1863, pp. 58–59