सिकन्दर बख्त
सिकन्दर बख्त(1918 - 2004) भारत के राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वह एक स्वतंत्रता सेनानी तथा लोकतंत्र सेनानी भी थे।[1] उनकी गणना भारतीय जनता पार्टी के उच्च नेताओं में की जाती थी। मोरारजी देसाई की जनता सरकार तथा अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में वे केन्द्रीय मन्त्री रहे। जिस समय उनका निधन हुआ वे केरल के राज्यपाल पद पर आसीन थे। सन् 2000 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाज़ा गया।
सिकन्दर बख्त | |
---|---|
राज्यपाल | केरल |
चुनाव-क्षेत्र | चाँदनी चौक, दिल्ली |
जन्म | 24 अगस्त 1918 दिल्ली |
मृत्यु | 23 फ़रवरी 2004 तिरुवनन्तपुरम, केरल |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
बच्चे | 2 |
धर्म | इस्लाम |
प्रारम्भिक जीवन
संपादित करेंसन् 1918 में दिल्ली में जन्में सिकन्दर बख्त ने अपनी शुरुआती तालीम एंग्लो अरैबिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल दिल्ली से हासिल की और साइन्स में ग्रेजुएशन की बैचलर्स डिग्री तत्कालीन एंग्लो अरैबिक कॉलेज से ली जिसे आजकल दिल्ली में जाकिर हुसैन कॉलेज के नाम से जाना जाता है। स्कूल कॉलेज के दिनों में वे हाकी के अच्छे खिलाडी थे और दिल्ली विश्वविद्यालय की टीम में खेला करते थे। उन्होंने अपना एक स्वतन्त्र हाकी क्लब भी बनाया हुआ था जिसकी टीम की कप्तानी वे खुद किया करते थे।
राजनीतिक जीवन
संपादित करेंसन् 1952 में सिकन्दर बख्त ने दिल्ली नगर निगम का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीता। 1968 में उन्हें दिल्ली विद्युत आपूर्ति अभिकरण का अध्यक्ष बनाया गया। 1969 में जब कांग्रेस पार्टी का विभाजन हुआ तो वे पुरानी कांग्रेस के साथ बने रहे और उसके प्रत्याशी के रूप में दिल्ली महानगर परिषद का चुनाव जीते। तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गान्धी ने 25 जून 1975 को जब आपातकाल की घोषणा की तो सभी विपक्षी दल के नेता रातों-रात गिरफ्तार कर लिये गये। सिकन्दर बख्त को गिरफ्तार करके रोहतक जेल में रक्खा गया जहाँ से वे दिसम्बर 1976 में छूटकर घर लौटे। मार्च 1977 में जब इन्दिरा गान्धी ने आम चुनाव घोषित किया तो सिकन्दर बख्त तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करके बनी जनता पार्टी में शामिल हो गये। मार्च 1977 में वे दिल्ली की चाँदनी चौक लोक सभा सीट से सांसद चुने गये और मोरारजी देसाई सरकार में लोक निर्माण, आपूर्ति और पुनर्वास मन्त्री बने। जुलाई, 1979 तक वे इस पद पर काम करते रहे।
1980 में जब जनता पार्टी विखण्डित हो गयी तो वे भारतीय जनता पार्टी में चले गये। पार्टी ने महासचिव का दायित्व सौंपा। चार वर्ष तक इस पद पर काम करने के बाद पार्टी ने उन्हें 1984 में पदोन्नत करके उपाध्यक्ष बनाया। 1990 में वे भाजपा के प्रत्याशी के रूप में राज्य सभा के लिये निर्वाचित हुए और 1992 में राज्य सभा के ऊपरी सदन में नेता प्रतिपक्ष चुने गये। 1996 में वे पुन: राज्य सभा सांसद चुने गये।
मई 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने जब अपनी सरकार बनायी तो उन्होंने सिकन्दर बख्त को शहरी विकास मन्त्री का दायित्व देना चाहा परन्तु उससे वह सन्तुष्ट नहीं हुए अत: वाजपेयी ने उन्हें विदेश मन्त्री का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया। चूँकि तेरह दिन बाद बहुमत न जुटा पाने पर अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार का इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया। इस प्रकार वे केवल एक सप्ताह तक ही विदेश मन्त्रालय का कामकाज देख पाये। 1 जून 1996 को वाजपेयी सरकार के पतन के पश्चात सिकन्दर बख्त ने राज्य सभा में विपक्षी दल के नेता की कमान दुबारा सम्हाली।
1998 में वाजपेयी जब फिर से भारत के प्रधानमन्त्री बने तो सिकन्दर बख्त को उन्होंने अपनी सरकार में शामिल किया और उद्योग मन्त्री बनाया। इसके अतिरिक्त वे राज्य सभा के सभापति भी चुने गये।
सम्मान
संपादित करेंसन् 2000 में सिकन्दर बख्त को पद्म विभूषण के गौरवपूर्ण सरकारी सम्मान से विभूषित किया गया। पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के केवल दो ही नेता यह सम्मान प्राप्त कर सके एक बख्त दूसरे वाजपेयी अर्थात (अटल जी)।
मृत्यु
संपादित करें9 अप्रैल 2002 को सिकन्दर बख्त ने राज्य सभा का वक़्त (कार्यकाल) पूरा किया। उसके ठीक 9 दिन बाद ही उन्हें केरल का राज्यपाल बना दिया गया। 83 वर्ष और 237 दिन की आयु में किसी अहिन्दी भाषी प्रान्त के वे पहले राज्यपाल थे। वे अपना कार्यकाल पूरा न कर सके और 23 फ़रवरी 2004 को तिरुवनन्तपुरम के एक सरकारी अस्पताल में आँतों की शल्य चिकित्सा, जो 19 फ़रवरी को मात्र चार दिन पूर्व ही की गयी थी, के दुष्परिणामस्वरूप इस दुनिया से चल बसे। उनकी मृत्यु के पश्चात त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी, जो पहले से ही कर्नाटक के राज्यपाल पद पर आसीन थे, को केरल के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "द हिन्दू: President, PM pay tributes to Bakht". Wednesday, Feb 25, 2004. मूल से 7 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-17-8.
|accessdate=, |date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- 'Politics today is the law of the jungle' - Sikander Bakht - The Afternoon on Sunday
- Probe ordered in Sikander Bakht's
- 'GOVERNORS OF KERALA'
- 'President, PM pay tributes to Bakht'
- 'Probe ordered in Sikander Bakht's sudden death'
- 'Kerala Gov Sikandar Bakht dead' Archived 2013-01-27 at archive.today
- Death row: Controversy over death of Governor Sikander Bakht flares up in Kerela'
- 'Dateline Kerala: Probe likely into Bakht’s death'[मृत कड़ियाँ]
- 'Leaders condole Sikander Bakht's death'
पूर्वाधिकारी प्रणव मुखर्जी |
भारत के विदेश मन्त्री 1996–1996 |
उत्तराधिकारी इन्द्र कुमार गुजराल |
पूर्वाधिकारी सुखदेव सिंह कांग |
केरल के राज्यपाल 18 अप्रैल 2002– 23 फ़रवरी 2004 |
उत्तराधिकारी त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी |