सुन्दरकाण्ड
सुंदरकाण्ड मूलतः वाल्मीकि कृत रामायण का एक भाग (काण्ड या सोपान) है। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस तथा अन्य भाषाओं के रामायण में भी सुन्दरकाण्ड उपस्थित है। सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी द्वारा किये गये महान कार्यों का वर्णन है। रामायण पाठ में सुन्दरकाण्ड के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। सुंदरकाण्ड में हनुमानजी का लंका प्रस्थान, दहन और लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। इस सोपान के मुख्य घटनाक्रम है – हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी। सुंदरकांड में तीन श्लोक, साठ दोहे तथा पांच सौ छब्बीस चौपाइयां हैं।
कथा
संपादित करेंहनुमान जी चेत्र माह में लंका की ओर प्रस्थान किया। सुरसा ने हनुमान जी की परीक्षा ली और उन्हें योग्य तथा सामर्थ्यवान पाकर आशीर्वाद दिया। मार्ग में हनुमान जी ने छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध किया और लंकिनी पर प्रहार करके लंका में प्रवेश किया। उनकी विभीषण से भेंट हुई। जब हनुमान जी अशोकवाटिका में पहुँचे तो रावण सीताजी को धमका रहा था। रावण के जाने पर त्रिजटा ने माता सीता को सान्त्वना दी। एकान्त होने पर हनुमान जी ने माता सीता से भेंट करके उन्हें राम की मुद्रिका दी। हनुमान जी ने अशोकवाटिका का विध्वंस करके रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर दिया। मेघनाथ हनुमानजी को नागपाश में बांध कर रावण की सभा में ले गया। रावण के प्रश्न के उत्तर में हनुमानजी ने अपना परिचय रामजी के दूत के रूप में दिया। रावण ने हनुमान जी की पूँछ में तेल में डूबा हुआ कपड़ा बांध कर आग लगा दिया इस पर हनुमान जी ने लंका का दहन कर दिया।
हनुमान जी सीताजी के पास पहुँचे। सीताजी[1] ने अपनी चूड़ामणि दे कर उन्हें विदा किया। वे वापस समुद्र पार आकर सभी वानरों से मिले और सभी वापस सुग्रीव के पास चले गये। हनुमानजी के कार्य से रामजी अत्यंत प्रसन्न हुये। रामजी वानरों की सेना के साथ समुद्रतट पर पहुँचे। उधर विभीषण ने रावण को समझाया कि रामजी से बैर न लें इस पर रावण ने विभीषण को अपमानित कर लंका से निकाल दिया। विभीषण रामजी की शरण में आ गया और राम ने उसे लंका का राजा घोषित कर दिया। रामजी ने समुद्र से रास्ता देने की विनती की। विनती न मानने पर रामजी ने क्रोध किया और उनके क्रोध से भयभीत होकर समुद्र ने स्वयं आकर रामजी की विनती करने के पश्चात् नल और नील के द्वारा पुल बनाने का उपाय बताया।
सुंदरकांड पाठ के नियम
संपादित करें- मंगलवार को सुंदरकांड करने से ज्यादा फल की प्राप्ति होती है।
- सुंदरकांड जब आप शुरू करने वाले हो उससे एक दिन पहले प्याज, लहसुन ,मांस ,मदिरा इस सब का सेवन न करें।
- सुबह उठकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण करें।
- काले वस्त्र में सुंदरकांड का पाठ नहीं किया जाता है।
- कोशिश करें भगवा रंग के कपड़े पहनकर ही सुंदरकांड का पाठ करें।
- चौकी में भगवान राम और हनुमान जी की फोटो को स्थापित करें।
- सुंदरकांड शुरू करने से पहले श्री गणेश, भगवान राम, भगवान शिव ,हनुमान जी को याद कर प्रणाम करें।
- स्थापित किए हुए फोटो को तिलक लगाए।
- पीपल के पेड़ के साथ पत्ते हनुमान जी के चरणों पर चढ़ाएं।
- घी का दिया या तेल का दिया जलाएं। यह दिया जब तक जलना चाहिए ,जब तक आप सुंदरकांड का पाठ समाप्त न कर ले।
- भोग में प्रसाद के रूप में आप चना,गुड़,बूंदी या लड्डू का प्रयोग कर सकते हैं।
- अपने गुरु और पितरों को याद करते हुए उन्हें प्रणाम करें।
- भगवान राम के वंदना करें और सुंदरकांड पाठ शुरू करें।
- सुंदरकांड समाप्त हो जाने पर हनुमान जी की आरती करें।
- हनुमान जी की आरती के बाद, हनुमान भगवान से अपनी विनती भगवान की आंखों की तरफ देखकर बोले।
- पूरे दिन प्याज, लहसुन, मांस मदिरा का बिल्कुल भी सेवन न करें।[2]
संबंधित कड़ियाँ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- सुंदरकांड पाठ हिंदी में pdf
- रामचरितमानस (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (१०१-१५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (१५१-२००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (२०१-२५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (२५१-३००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (३०१-३५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - बालकाण्ड (३५१-३६१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१०१-१५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (१५१-२००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (२०१-२५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (२५१-३००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अयोध्याकाण्ड (३०१-३२६) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - अरण्यकाण्ड (१-४६) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - किष्किन्धाकाण्ड (१-३०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - सुन्दरकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - सुन्दरकाण्ड (५१-६०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - लंकाकाण्ड (१०१-१२१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (१-५०) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (५१-१००) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड (१०१-१३१) का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- रामायण आरती (रामचरितमानस)
- रामचरितमानस - रामायण आरती का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- तुलसीदास
- वाल्मीकि रामायण
- वाल्मीकि रामायण (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - बालकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - अयोध्याकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - अरण्यकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - किष्किन्धाकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - सुन्दरकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - युद्धकाण्ड का मूल पाठ (विकीस्रोत पर)
- वाल्मीकि रामायण - उत्तरकाण्ड का मूल पाठ[मृत कड़ियाँ] (विकीस्रोत पर)
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- ↑ "Sundar kand in hindi" (अंग्रेज़ी में). 2023-06-03. अभिगमन तिथि 2023-12-25.
- ↑ "Sunderkand PDF Download in Hindi (सुंदरकांड पाठ) (2023) - jaisunderkand.com" (अंग्रेज़ी में). 2023-10-06. मूल से 12 अक्तूबर 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-10-08.