सुनार नदी
भारत में नदी
सुनार नदी (Sunar river) भारत के मध्य प्रदेश राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह सागर ज़िले में वर्षाजल से उत्पन्न होती है और विंध्य क्षेत्र की अधिकांश नदियों की तरह दक्षिण से उत्तर बहती है। यह दमोह ज़िले में बहती हुई और पन्ना जिला में केन नदी में विलय हो जाती है।[1][2]
सुनार नदी Sunar River | |
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स्थान | |
देश | भारत |
राज्य | मध्य प्रदेश |
भौतिक लक्षण | |
नदीशीर्ष | |
• स्थान | सागर ज़िला |
नदीमुख | |
• स्थान |
केन नदी में विलय |
• निर्देशांक |
24°18′43″N 79°51′04″E / 24.312°N 79.851°Eनिर्देशांक: 24°18′43″N 79°51′04″E / 24.312°N 79.851°E |
जलसम्भर लक्षण |
सहायक नदियाँ
संपादित करेंसुनार नदी की कई छोटी बडी सहायक नदियाँ है। जिनमें देहार, गधेरी, बेबस, कोपरा ,जूड़ी, व्यारमा प्रमुख है। सुनार नरसिंहगढ़ के पास एक जलप्रपात बनाती है ।
उद्गम
संपादित करेंसुनार नदी का उद्गम सागर जिला के केसली ब्लाक के टड़ा गाँव के पास से हुआ है। इसकी कुल लंबाई 250 कि. मी. है। यह केन नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
बस्तियां
संपादित करेंसुनार नदी के किनारे कई नगर बसे है। केसली गौरझामर रहली गढ़ाकोटा नरसिंहगढ़ माडियादोह और हटा मुख्य है । इस नदी के किनारे कई मंदिर व किले स्थित है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंगदेरी नदी सुनार नदी में सागर जिले के गढ़ाकोटा नामक स्थान पर आ कर मिलती है
संपादित करें- ↑ सुनार नदी में बेबस नदी चकेरी घाट मे आ करके मिलती है,इसके संगम स्थान पर प्रतिवर्ष मेला लगता है जो की दमोह जिले का सबसे बड़ा मेला है।इन दोनों नदियां के संगम का स्थान बहुत सुन्दर स्थानों में से एक हैं,इसके साथ है साथ आगे चल कर सुनार नदी में कोपरा नदी का संगम होता है इस स्थान को मढकोले के नाम से जाना जाता है। यहां पर भगवान भोलेनाथ का प्राचीन मंदिर भी है, ऐसा माना जाता है की यहां मंदिर नगो (सांप) के ने बनाया था, इस स्थान पर प्रतिवर्ष मेला का भी आयोजन होता है ।gs of the Institution of Civil Engineers, Volume 174. Institution of Civil Engineers (Great Britain). p. 41.
- ↑ Sir William Wilson Hunter. The imperial gazetteer of India, Volume 5. p. 471.