सूर्यकुमार पाण्डेय (जन्म 10 अक्तूबर 1954 एक हिंदी कवि, हास्य लेखक और व्यंग्यकार हैं। [1][2] उनके विशिष्ट भाषा शैली के कारण वे एक प्रसिद्ध हास्य कवि के रूप में अभिज्ञात हैं।

निजी जीवन संपादित करें

सूर्यकुमार पांडेय का जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ। बलिया मे प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, वे लखनऊ चले गए। वहाँ उन्होने लखनऊ विश्वविद्यालय मे पढाई की और अपने अधिस्नातक का कार्य गणितीय सांख्यिकी मे किया। २०१५ तक वे लखनऊ मे उत्तर प्रदेश के सरकार में अधिकारी थे।

साहित्यिक कार्यकाल संपादित करें

अपने युवाकाल से ही, सूर्यकुमार पांडेय एक कार्यरत हिंदी कवि और लेखक थे। उन्होने कई प्रकार के साहित्यिक रचनाएँ लिखी है जिस मे हास्य कविता, व्यंग्य, गीत और बाल कविता भी शामिल है। हास्य कविता उनकी विशिष्टता है।

हास्य कविता: पांडेयजी हिंदी साहित्य के हास्य कवियों मे सबसे अभिज्ञात कवियों मे से एक हैं। उन्होने वर्तमानकाल के हास्य कविता में एक नई भाषा शैली को प्रचलित किया जिसमे अंग्रेज़ी शब्द भी प्रयोग किए गए है। उनके दोहे नौजवानों मे अत्यन्त लोकप्रिय है।

कवि सम्मेलन: सूर्यकुमार पांडेय ने, पांच दशकों में 4000 से ज़्यादा कार्यक्रमों और कवि सम्मेलनों मे अपनी कला का प्रदर्शन किया।

टेलिविज़न और रेडियो: वे सक्रिय रूप से टेलिविज़न और रेडियो से संबंधित थे। कई वर्षों के लिए दूर्दर्शन और आकाश्वाणी मे, कार्यक्रमों की लिखाई, गीत लिखने, कविताओं के अनुवाचन और कवि सम्मेलनों को आयोजित करने के लिए, सूर्यकुमार पांडेय की सहायता ली जाती थी। उन्होने कई राष्ट्रीय टीवी चैनलों मे अपनी कविताओं को अनुवाचित किया जैसे दूर्दर्शन,डीडी भारती, एबीपी न्यूज़, आज तक, न्यूज़ नैशन, ईटीवी नेट्वर्क, सब टीवी, सोनी पल, ज़ी न्यूज़, इत्यादि। अभी-अभी, वे सब टीवी के कार्यक्रम 'वाह! वाह! क्या बात है!' पर कई बार प्रकट हुए।

व्यंग्य:सूर्यकुमार पांडेय ने सैंकडो व्यंग्य लेख लिखें है और कई राष्ट्रीय हिंदी समाचार पत्रों के लिए लेख लिखते रहते हैं।

बाल कविता सूर्यकुमार पांडेय बाल कविता के सबसे बडे नामो मे से एक माने जाते हैं। उनके कविताएँ भारत के अनेक पाठ्यपुस्तकों मे पाए जाते हैं।

कृतियाँ संपादित करें

सूर्यकुमार पांडेय ने 30 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। उनकी कुछ पुस्तकें ये हैं-

  • चिकने घड़े
  • वाह वाह
  • रुकावट के लिए खेद है
  • पांडेजी के पटाखे
  • पांडेजी के ठहाके
  • पेट में दाढ़ियाँ हैं
  • लाट साहब के ठाठ
  • गीत मंजरी
  • अपने यहां सब चलता है

[3][4]

पुरस्कार और सम्मान संपादित करें

हिंदी साहित्य मे उनके अनेक योगदान के लिए सूर्यकुमार पांडेय को कई पुरस्कार मिले। जैसे

  • काका हथ्रासी पुरस्कार
  • सूर पुरस्कार
  • सोहनलाल द्विवेदी सम्मान
  • अट्टाहस सम्मान
  • भारतेन्दु हरीश्चन्द्र पुरस्कार
  • श्रीनारायण चतुर्वेदी पुरस्कार
  • व्यंग्यश्री सम्मान

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Mera Kharapan Shesh Hai". मूल से 30 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.
  2. "Suryakumar Pandey-Kavi,lucknow – eventaa". eventaa.com. मूल से 26 जनवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.
  3. http://suryakumarpandey.blogspot.in/2013/03/prakashit-pustakein.html[मृत कड़ियाँ]
  4. "Books by Surya Kumar Pandey". Prabhat Prakashan. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 फ़रवरी 2017.