सोराठिया भारत के गुजरात राज्य में पाई जाने वाली अहीर/यादव जाति का एक वंश है। प्रोफेसर भगवान सिंह सूर्यवंशी के अनुसार वे जूनागढ़ के आभीर प्रमुख नवघन के वंशज हैं।[1]

सोरठिया अहीर गुजरात में यदुवंशी अहीरों का वंश है। इस समुदाय का नाम सौराष्ट्र के सोरठ क्षेत्र से लिया गया है। गुजराती अहीर/यादवों की अन्य शाखाओं की तुलना में सोरठिया उपजाति की आबादी बहुसंख्यक है। सोरठिया अहीरों के कुल 484 उपनाम हैं, जो गुजराती अहीर/यादवों की किसी भी अन्य शाखा से ज़्यादा है। उनकी परंपराओं के अनुसार, वे भगवान कृष्ण के साथ मथुरा से चले आए थे। वे अब मुख्य रूप से पोरबंदर, जामनगर, जूनागढ़, कच्छ और सौराष्ट्र प्रांत के अन्य सभी जिलों में पाए जाते हैं। सोरठिया कच्छी और गुजराती बोलते हैं।[2]

वर्तमान परिस्थितियाँ

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प्रत्येक सोरठिया कबीले का दर्जा बराबर है और वे आपस में विवाह करते हैं। पड़ोसी हिंदू समुदायों की तरह, यह समुदाय कबीले के बाहर विवाह करता है। सोरठिया किसान और जमींदारों का समुदाय है; वे मुख्य रूप से परिवहन और भारी निर्माण मशीनरी व्यवसाय में लगे हुए हैं। उनमें से कुछ ठेकेदार के रूप में जीविकोपार्जन करते हैं।[2]

  1. SurvaVanshi, Bhagwansingh (1962). Abhiras their history and culture. पृ॰ 84.
  2. Singh, K. S. (1995). The Scheduled Castes (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. पृ॰ 133. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-563742-7.