हिण्डन नदी

भारत में नदी
(हिंडन नदी से अनुप्रेषित)

हिण्डन नदी (Hindon River) उत्तरी भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी है। इसका पुरातन नाम हरनदी या हरनंदी भी था।[1][2] इसका उद्गम सहारनपुर जिले में निचले हिमालय क्षेत्र के ऊपरी शिवालिक पर्वतमाला में स्थित शाकंभरी देवी की पहाडियों मे है। यह पूर्णत: वर्षा-आश्रित नदी है और इसका बेसिन क्षेत्र 7083 वर्ग किमी है। यह गंगा और यमुना नदियों के बीच लगभग 400 किमी की लम्बाई में मुज़फ्फरनगर जिला, मेरठ जिला, बागपत जिला, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा से गुजरते हुए दिल्ली से कुछ दूरी पर यमुना से मिल जाती है।[3]

हिण्डन नदी
Hindon River

ग़ाज़ियाबाद के समीप विमान से हिण्डन नदी का दृश्य
स्थान
देश  भारत
राज्य उत्तर प्रदेश
भौतिक लक्षण
नदीशीर्षशाकम्भरी देवी रेंज राजाजी शृंखला, शिवालिक पर्वतमाला
 • स्थानसहारनपुर ज़िला, उत्तर प्रदेश
 • निर्देशांक35°05′N 77°08′E / 35.083°N 77.133°E / 35.083; 77.133
नदीमुख यमुना नदी
 • स्थान
उत्तर प्रदेश
 • निर्देशांक
28°24′43″N 77°29′38″E / 28.412°N 77.494°E / 28.412; 77.494निर्देशांक: 28°24′43″N 77°29′38″E / 28.412°N 77.494°E / 28.412; 77.494
लम्बाई 400 कि॰मी॰ (250 मील)
जलसम्भर आकार 7,083 कि॰मी2 (7.624×1010 वर्ग फुट)
जलसम्भर लक्षण

कभी महानगर की पहचान मानी जाने वाली हिंडन नदी का अस्तित्व खतरे में है। इसका पानी पीने लायक तो कभी रहा नहीं, अब इस नदी में प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि जलीय प्राणियों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। ऐसे में हिंडन नदी अब केवल शोध करने तक ही सीमित रह गई है। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है। वर्षा ऋतु में भी यह लगभग जलविहीन रहती है। नदी में लगातार औद्योगिक अपशिष्ट व पूजन सामग्री आदि डाले जाने से उसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा दो से तीन मिलीग्राम प्रति लीटर रह गई है। शोधकर्ता डॉ॰ प्रसूम त्यागी के अनुसार प्रायः ऑक्सीजन का स्तर 60 लाख मिलीग्राम प्रति लीटर या ज्यादा होना चाहिए। यही कारण है कि नदी में मोहन नगर व छगारसी के पास ही जलीय जीवन के नाम पर केवल काइरोनॉस लार्वा ही बचा है, जो भारी जल प्रदूषण का संकेत है। यह सूक्ष्म जीव की श्रेणी में आता है।

हिंडन नदी में मोहन नगर औद्योगिक क्षेत्र से डिस्टलरी का अपशिष्ट, वेस्ट डिस्चार्ज, धार्मिक पूजन सामग्री व मलमूत्र मिलते हैं। इसके बाद छगारसी ग्राम में पशुओं को नहलाना व खनन आदि होता है, जिसके कारण प्रदूषण में बढोत्तरी होती है। लगभग दस साल पहले तक नदी में अनेक कशेरुकी प्राणी, मछलियां व मेढ़क आदि मिलते थे, जो कि वर्तमान में मात्र सूक्ष्मजीव, काइरोनॉमस लार्वा, नेपिडी, ब्लास्टोनेटिडी, फाइसीडी, प्लैनेरोबिडी परिवार के सदस्य ही बचे हैं।

सहायक नदियाँ

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दून घाटी से निकलती काली नदी, १५० कि॰मी॰ की यात्रा में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठऔर गाजियाबाद होते हुए हिंडन नदी में इसके यमुना में मिलन से पूर्व ही मिलती है। काली नदी भी उच्च प्रदूषण लेकर चलती है व पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बहुत सा प्रदूषित जल यमुना को पहुंचाती है।[3]

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. रावण के गाँव में नहीं मनता दशहरा Archived 2008-06-18 at the वेबैक मशीन। वेब दुनिया। १४ अक्टूबर २००७
  2. जहां रावण ने भी शिवलिंग की पूजा की थी। Archived 2004-04-10 at the वेबैक मशीन अमर उजाला
  3. जैन, शरद के. (२००७). हाइड्रोलॉजी एण्ड वटर रिसोर्सेज़ ऑफ इंडिया- खंड-५७ - ट्रिब्यूटरीज़ ऑफ यमुना रिवर. स्प्रिंजर. पृ॰ 350. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1402051794. मूल से 5 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 फ़रवरी 2010.