हैदराबादी हलीम एक प्रकार का हलीम है जो भारतीय शहर हैदराबाद में बहुत लोकप्रिय है। [2][3] हलीम एक तरह की खिचड़ी है जो मांस, दाल और दलिये से बनाया जाता है। यह मूल रूप से एक अरबी व्यंजन है और इसे हैदराबाद राज्य में निज़ामों (हैदराबाद राज्य के पूर्व शासकों) के शासन काल के दौरान लाया गया था। स्थानीय पारंपरिक मसालों ने इसमें एक अद्वितीय हैदराबादी हलीम को विकसित करने में मदद की, [4] जो 19 वीं शताब्दी तक देशी हैदराबादियों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई।

हैदराबादी हलीम
हैदराबादी हलीम सलाद के साथ सजाया गया
अन्य नामहैदराबादी हरीश
मूल स्थानभारत
क्षेत्र या राज्यहैदराबाद, तेलंगाना
सर्जक चौश (हैदराबादी अरब) से उत्पन्न[1]
मुख्य सामग्रीकूटे हुए गेहूं, दाल, बकरी का मांस, घी, सूखे मेवे और केसर

हलीम की तैयारी की तुलना हैदराबादी बिरयानी से की गई है। हालांकि हैदराबादी हलीम शादी, समारोहों और अन्य सामाजिक अवसरों पर पारंपरिक रूप से मुख्य भोजन के पूरब दिया जाता है, यह विशेष रूप से इफ्तार (शाम का भोजन जो दिन भर का उपवास तोड़ता है) के दौरान इस्लामी महीने में खाया जाता है क्योंकि यह तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और इसमें काफी मात्रा में कैलोरी पाई जाती है। इसलिए इस पकवान को रमजान का पर्यायवाची बना दिया है। इसके सांस्कृतिक महत्व और लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए भारतीय सरकार ने, 2010 में इसे भारतीय जीआईएस रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा भौगोलिक संकेत का दर्जा (जीआईएस) प्रदान किया गया था, [5] यह दर्जा प्राप्त करने वाला यह भारत का पहला मांसाहारी व्यंजन है। अक्टूबर 2022 में, हैदराबादी हलीम ने खाद्य श्रेणी में 'सबसे लोकप्रिय जीआई' पुरस्कार जीता, जिसे एक मतदान प्रणाली के माध्यम से चुना गया था जो कि उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत) द्वारा आयोजित किया गया था।[6][7]

इतिहास संपादित करें

मुख्य लेख:हलीम

हलीम की उत्पत्ति एक अरबी व्यंजन के रूप में हुई [1][8] जिसमें मांस और मुख्य सामग्री के रूप में गेहूं होता है। यह छठे निजाम, महबूब अली खान के शासनकाल के दौरान अरब प्रवासी भारतीयों द्वारा हैदराबाद में लाया गया था, और बाद में सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान के शासन के दौरान हैदराबादी व्यंजनों का एक अभिन्न अंग बन गया। [9][10] सुल्तान सैफ नवाज जंग बहादुर,एक अरब प्रमुख जो यमन,हद्रामौत,के मुकाल्लाह से थे, जो सातवें निज़ाम के महान दरबारी में से एक थे,ने इसे हैदराबाद में लोकप्रिय बनाने में काफी योगदान दिया। [1][11] मूल स्वाद में स्थानीय मशालों के स्वादों को जोड़ने से एक अन्य प्रकार के हलीम से अलग स्वाद उठ कर आया। [12]

आधिकारिक तौर पर हैदराबाद में पेश किया गया संपादित करें

हैदराबादी हलीम को आधिकारिक तौर पर 1956 में मदीना होटल के ईरानी संस्थापक आगा हुसैन ज़ेबेटा द्वारा मदीना होटल में पहली बार लाया गया था।[13]

1947 में पथरगट्टी में मदीना बिल्डिंग नाम की वक्फ संपत्ति में 1947 में जो होटल खोला गया था, उसमें से जो किराया आता था, उसका इस्तेमाल हज यात्रियों की सेवा के लिए किया जाता था, मदीना होटल हैदराबाद के सबसे पुराने होटलों में से एक है। [14] मदीना होटल के नवीनीकरण के बाद 1956 में अंतिम निज़ाम, मीर उस्मान अली खान ने इसका उद्घाटन किया। [15]


तैयारी संपादित करें

 
मिश्रित गेहूं, दाल और अन्य अनाज

परंपरागत रूप से, हैदराबादी हलीम एक भट्टी (एक ईंट और मिट्टी के भट्ठे से ढकी एक चुलाह) में 12 घंटे तक लकड़ी की धीमी आंच पर पकाया जाता है। इसकी तैयारी के दौरान एक या दो लोगों को लकड़ी के पलटे से लगातार इसे हिलाते रहना चाहिए। घर में निर्मित हैदराबादी हलीम के लिए, एक घोटनी (एक लकड़ी का हाथ वाला घोटना) का उपयोग तब तक किया जाता है जब तक कि यह एक चिपचिपा-मुलायम न हो जाए, जो कीमा बनाया हुआ मांस के समान हो। [16][17]

सामग्री संपादित करें

 
हैदराबादी हलीम को तैयार करने में मसाले का उपयोग किया जाता है


सामग्री में मांस (या तो बकरी का मांस, बीफ या मुर्ग) शामिल हैं; कुटा हुआ गेहूं, घी, दूध, मसूर की दाल, अदरक और लहसुन का पेस्ट; हल्दी; लाल मिर्च अन्य मिर्च मसाले जैसे कि जीरा, शाह ज़ीरा, दालचीनी, इलायची, लौंग, काली मिर्च, केसर, गुड़, प्राकृतिक गोंद, कबाब चीनी, और सूखे मेवे जैसे पिस्ता, काजू, अंजीर और बादाम। इसे घी पर आधारित एक गाड़ी तरी, निम्बू के टुकड़े, कटा हरा धनिया, उबले हुए अंडे और तले हुए प्याज को सजाकर गर्म गर्म परोसा जाता है। [9][18][19][20]

बदलाव संपादित करें

क्षेत्रीय स्वाद और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसे विभिन्न प्रकार से पेश किए गए हैं। शहर के बरकास क्षेत्र में अरब लोगों द्वारा एक मीठी प्रकार के हलीम को नाश्ते के रूप में खाया जाता है। [21] मुर्गे वाला हलीम कम लोकप्रिय है, भले ही इसकी कीमत कम हो। हलीम का एक शाकाहारी संस्करण, भी बनाया गया है जिसमें सूखे मेवे और सब्जियों को बकरी के मांस के बदले डाला गया है, हैदराबाद में कुछ होटलों पर उपलब्ध है। [22]


पोषण संपादित करें

बाहरी चित्र
  [हैदराबादी हलीम तैयारी चित्रों का एक स्लाइड शो। फ़्लिकर पर प्रकाशित]

हैदराबादी हलीम एक उच्च कैलोरी व्यंजन है, जो तुरंत ऊर्जा देती है क्योंकि इसमें धीमी गति से पचने वाली और तेजी से ऊर्जा देने वाली सामग्री होती है। [23][24] इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स (प्रतिऑक्सीकारक) से भरपूर ड्राई फ्रूट्स (सूखे मेवे)भी शामिल हैं। [18][25] मीट और सूखे मेवे इसे उच्च प्रोटीन व्यंजन बनाते हैं। 2013 में एक नई कम कोलेस्ट्रॉल वाली किस्म जिसमे में एमु का मांस, जो की खनिजों, फास्फोरस और विटामिन से भरपूर है पेश की गई थी। [26][27] ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी), एक स्थानीय नागरिक निकाय जो शहर में स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमों की निगरानी करता है, ने इसे बेचने वाले भोजनालयों द्वारा स्वच्छता और गुणवत्ता मानकों का पालन किया है की नहीं का ध्यान रखती है। [28]

लोकप्रियता संपादित करें

 
घोटनी एक लकड़ी के हाथ की मेशर, हलीम को पकाते समय मांस और गेहूं को पिघलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जब तक कि यह एक गाढ़ा पेस्ट न बन जाए।

हैदराबादी हलीम को एक अंतर्राष्ट्रीय नजाकत माना जाता है। [29][30] हैदराबाद में, शादियों के उत्सवों में अक्सर इस पकवान का सेवन किया जाता है। [23] रमजान के महीने के दौरान मुसलमानों द्वारा यह विशेष रूप से इफ़तार के दौरान खाया जाता है, दिन भर के उपवास के बाद शाम के भोजन के रूप में। [31][32]

हैदराबाद और आसपास के क्षेत्रों में, रमजान का महीना हैदराबादी हलीम का पर्यायवाची है। [33] 2014 के रमजान के मौसम के दौरान, शहर में 500 करोड़ रूपये की हैदराबादी हलीम की बिक्री हुई, [34] और जिस के लिए अतिरिक्त 25,000 लोगों को हलीम की तैयारी और बिक्री में लगाया गया था। [35] पारखी रसोइयों को १ लाख रूपये (यूएस $ 1,400) महीने से अधिक के वेतन का दिया जाता है, [36] २०११ के अनुसार, रमजान के दौरान पूरे शहर में 6000 भोजनालय थे जो सिर्फ हलीम बेचते थे जिनमें से 70% रमजान समाप्त होने तक अस्थायी रूप से काम करते है। [37][38] और शहर में उत्पादित हैदराबादी हलीम का 28% दुनिया भर के ५० देशों में निर्यात किया गया था।[37]


भारतीय व्यंजनों के एक उद्यमी संजीव कपूर ने अपनी पुस्तक रॉयल हैदराबादी कुकिंग में उल्लेख किया है कि हैदराबाद में हलीम की तैयारी हैदराबादी बिरयानी की तरह एक कला का रूप ले चुकी है। [39] 2010 में हैदराबादी हलीम को भारतीय जीआई रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा भौगोलिक संकेत का दर्जा दिया गया था। जीआई प्रमाणन प्राप्त करने वाला यह भारत का पहला मांस उत्पाद बन गया। [24][40] [३ product] इसका मतलब यह है कि एक व्यंजन हैदराबादी हलीम के रूप में तब तक नहीं बेची जा सकती है जब तक कि वह इसके लिए निर्धारित आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करती है। [38][41]

इन्हें भी देखें संपादित करें

  • शवरमा
  • मंडी (भोजन)

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Shahid, Sajjad (16 अगस्त 2011). "Biryani, Haleem & more on Hyderabad's menu". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. मूल से 6 नवम्बर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अगस्त 2011.
  2. "The history of haleem: How a bland iftar dish from Yemen got Indianised". मूल से 28 जुलाई 2014 को पुरालेखित.
  3. "The haleem debate: Why some Indian Muslims are renaming the Ramzan delicacy 'daleem'". मूल से 3 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 दिसंबर 2019.
  4. "Hyderabad, where Ramadan is incomplete without haleem". मूल से 6 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 दिसंबर 2019.
  5. "On the food trail in Hyderabad, where Ramzan is incomplete without haleem". मूल से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 दिसंबर 2019.
  6. "Hyderabad Haleem wins 'Most Popular GI' food award".
  7. "Hyderabadi Haleem: हैदाराबाद के मशहूर हैदराबादी हलीम को मिला GI Tag, जानें इसके बारें में".
  8. "Ramadan, the month of unprecedented shopping in Hyderabad". Overseas Indian. Ministry of Overseas Indian Affairs, Government of India. अक्टूबर 2006. मूल से 30 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जुलाई 2012.
  9. Siddique, Mohammed (18 अगस्त 2010). "In Hyderabad this Ramzan? Try the Haleem". Rediff. मूल से 20 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2010.
  10. Dey, Pranesh (5 दिसंबर 2004). "How the city succumbed to a new taste". The Times of India. मूल से 3 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2011.
  11. Nanisetti, Serish (10 जून 2016). "How haleem conquered Hyderabadi hearts". The Hindu. अभिगमन तिथि 10 जून 2016.
  12. Karen Isaksen Leonard (2007). Locating home: India's Hyderabadis abroad. stanford university press. पृ॰ 14. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8047-5442-2. मूल से 3 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 सितम्बर 2011.
  13. "Madina Hotel owner felicitated for bringing haleem to city". Times of India. 2 अगस्त 2011. मूल से 9 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 दिसंबर 2019.
  14. "Hyderabad new Madina hotel opens no resemblance to the past". Deccan Chronicle. 17 मई 2018. मूल से 31 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 दिसंबर 2019.
  15. "Hyderabadi haleem over the years". The Hindu. 17 अगस्त 2012.
  16. Vyas, Sheetal (12 सितम्बर 2010). "Deccan delight". Sify. मूल से 29 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2013.
  17. "Hyderabadi Haleem to go global, outlets in US planned (Business Feature)". Business Standard. 29 जुलाई 2013. मूल से 3 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2013.
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  20. Latif, Bilkees I. (1999). The Essential Andhra Cookbook with Hyderabadi Specialities. Penguin Books (India). पपृ॰ 95–97. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-14-027184-3. मूल से 20 मार्च 2018 को पुरालेखित.
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  40. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  41. Hyderabadi haleem now officially an asset of AP. IBN Live. 2 अक्टूबर 2010. मूल से 11 सितम्बर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अगस्त 2011.

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