वाल्मीकि

संस्कृत आदिकवि

वाल्मीकि, संस्कृत रामायण के प्रसिद्ध रचयिता हैं जो आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।[1] उन्होंने संस्कृत मे रामायण की रचना की।[2]महर्षि वाल्मीकि द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि राम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य व कर्तव्य से, परिचित करवाता है।[3] आदिकवि शब्द 'आदि' और 'कवि' के मेल से बना है। 'आदि' का अर्थ होता है 'प्रथम' और 'कवि' का अर्थ होता है 'काव्य का रचयिता'। वाल्मीकि ने संस्कृत के प्रथम महाकाव्य की रचना की थी जो रामायण के नाम से प्रसिद्ध है। प्रथम संस्कृत महाकाव्य की रचना करने के कारण वाल्मीकि आदिकवि कहलाये। वाल्मीकि आदिकवि थे ।

सृष्टिकर्ता वाल्मीकि दयावान
रामायण के रचियता

भगवान वाल्मीकि आदि काव्य (रामायण) की रचना करते हुऐ
अन्य नाम आदिकवि, महर्षि, ब्रह्मर्षि, योगर्षि,परमपिता, परमात्मा,कमलेश्वर, कलमेश्वर,करुणासागर, मोक्षवान, संगीतेश्वर, आदि आत्मा, अछूत आत्मा, सृजक साकार, अजर अमर,अंतर्यामी,आदिकवि, रामायण रचयिता, आदि लिखारी, महार्षि, आदिनाथ,मुनिनाथ, त्रिकालदर्शी, ज्ञानसागर, आदि अनंत, मोक्षवान, सृष्टिकर्ता, निरंकार, सर्वव्यापी, योगविशिष्ठ रचयिता, हिरण्यगर्भ वाल्मीकि व्योम
संबंध हिन्दू देवता
शास्त्र रामायण, योगवासिष्ठ, अक्षर-लक्ष्य के रचनाकार
त्यौहार वाल्मीकि प्रकट दिवस
महर्षि वाल्मीकि

आदिकवि वाल्मीकि का जीवन परिचय

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रामायण में भगवान वाल्मीकि ने 24000 श्लोकों में श्रीराम उपाख्यान ‘रामायण’ लिखी। ऐसा वर्णन है कि- एक बार वाल्मीकि क्रौंच पक्षी के एक जोड़े को निहार रहे थे। वह जोड़ा प्रेमालाप में लीन था, तभी उन्होंने देखा कि बहेलिये ने प्रेम-मग्न क्रौंच (सारस) पक्षी के जोड़े में से नर पक्षी का वध कर दिया। इस पर मादा पक्षी विलाप करने लगी। उसके विलाप को सुनकर वाल्मीकि की करुणा जाग उठी और द्रवित अवस्था में उनके मुख से स्वतः ही यह श्लोक फूट पड़ा।

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वंगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकं वधीः काममोहितम्॥
(अर्थ : हे दुष्ट, तुमने प्रेम मे मग्न क्रौंच पक्षी को मारा है। जा तुझे कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं हो पायेगी और तुझे भी वियोग झेलना पड़ेगा।)

उसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध महाकाव्य "रामायण" (जिसे "वाल्मीकि रामायण" के नाम से भी जाना जाता है) की रचना की और "आदिकवि वाल्मीकि" के नाम से अमर हो गये। अपने महाकाव्य "रामायण" में उन्होंने अनेक घटनाओं के समय सूर्य, चंद्र तथा अन्य नक्षत्र की स्थितियों का वर्णन किया है। इससे ज्ञात होता है कि वे ज्योतिष विद्या एवं खगोल विद्या के भी प्रकाण्ड ज्ञानी थे। महर्षि वाल्मीकि जी ने पवित्र ग्रंथ रामायण की रचना की परंतु वे आदिराम से अनभिज रहे।[4]

राम राम सब जगत बखाने | आदि राम कोइ बिरला जाने ||

अपने वनवास काल के दौरान भगवान"श्रीराम" वाल्मीकि के आश्रम में भी गये थे। भगवान वाल्मीकि को "श्रीराम" के जीवन में घटित प्रत्येक घटना का पूर्ण ज्ञान था। सतयुग, त्रेता और द्वापर तीनों कालों में वाल्मीकि का उल्लेख मिलता है इसलिए भगवान वाल्मीकि को सृष्टिकर्ता भी कहते है, रामचरितमानस के अनुसार जब श्रीराम वाल्मीकि आश्रम आए थे तो आदिकवि वाल्मीकि के चरणों में दण्डवत प्रणाम करने के लिए वे जमीन पर डंडे की भांति लेट गए थे और उनके मुख से निकला था "तुम त्रिकालदर्शी मुनिनाथा, विस्व बदर जिमि तुमरे हाथा।" अर्थात आप तीनों लोकों को जानने वाले स्वयं प्रभु हैं। ये संसार आपके हाथ में एक बैर के समान प्रतीत होता है।[5]

महाभारत काल में भी वाल्मीकि का वर्णन मिलता है।[6] जब पांडव कौरवों से युद्ध जीत जाते हैं तो द्रौपदी यज्ञ रखती है, जिसके सफल होने के लिये शंख का बजना जरूरी था परन्तु कृष्ण सहित सभी द्वारा प्रयास करने पर भी पर यज्ञ सफल नहीं होता तो कृष्ण के कहने पर सभी वाल्मीकि से प्रार्थना करते हैं। जब वाल्मीकि वहाँ प्रकट होते हैं तो शंख खुद बज उठता है और द्रौपदी का यज्ञ सम्पूर्ण हो जाता है। इस घटना को कबीर ने भी स्पष्ट किया है "सुपच रूप धार सतगुरु आए। पाण्डवो के यज्ञ में शंख बजाए।"[उद्धरण चाहिए]

इन्हें भी देखें

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  1. हजारीप्रसाद द्विवेदी (२००७). हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली. राजकमल प्रकाशन. पृ॰ ९१. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788126713639.
  2. Pattanaik, Devdutt (8 August 2020). "Was Ram born in Ayodhya". mumbaimirror.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 17 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवंबर 2016.
  4. "Valmiki Jayanti 2021: महर्षि वाल्मीकि जयंती पर जानें आदिराम और राम में अंतर". SA News Channel (अंग्रेज़ी में). 2021-10-18. अभिगमन तिथि 2021-10-18.
  5. {{cite book |title=सहरिया |date=2009 |publisher=वन्या [for] आदिम जाति कल्याण विभाग
  6. जोशी, अनिरुद्ध. "Ramayan in Mahabharata | महाभारत में रामायण की रामकथा". hindi.webdunia.com. अभिगमन तिथि 2021-10-18.


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