उधार की ज़िंदगी
उधार की ज़िंदगी 1994 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। यह के. वी. राजू द्वारा निर्देशित है। इसमें जितेन्द्र, मौसमी चटर्जी और काजोल हैं।[1] संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा रचित है।
उधार की ज़िंदगी | |
---|---|
उधार की ज़िंदगी का पोस्टर | |
निर्देशक | के. वी. राजू |
निर्माता |
राजेश मिश्रा एस. एस. मिश्रा |
अभिनेता |
जितेन्द्र, मौसमी चटर्जी, काजोल देवगन |
संगीतकार | आनंद-मिलिंद |
प्रदर्शन तिथियाँ |
4 नवम्बर, 1994 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंसीताराम (जितेन्द्र) अपने परिवार के साथ रहता है। उसने अपने बेटे वासुदेव की शादी की योजना बना रखी है। लेकिन उसे बताया जाता है कि वासुदेव एक अन्य महिला सुमन से प्यार करता है। सीताराम अपने बेटे से कहता है कि वह अपने प्यार को भूल जाए और उस महिला से शादी कर ले जिसे उसने उसके लिए चुना है। इसके बजाय वासुदेव सुमन से शादी कर लेता है और उसे अपने परिवार से मिलवाने के लिए घर ले आता है। जबकि परिवार के बाकी लोग सुमन का स्वागत करते हैं, सीताराम उसका स्वागत नहीं करता है। इसके तुरंत बाद वासुदेव और सुमन घर छोड़ देते हैं और अमेरिका में स्थानांतरित हो जाते हैं। कई वर्षों के बाद, सीताराम को एक पत्र मिलता है जिसमें उसे सूचित किया जाता है कि वासुदेव और उनका परिवार भारत में उनसे मिलने आएगा।
सीताराम इतने वर्षों के बाद अपने बेटे और उसके परिवार को देखने के लिए उत्सुक रहता है। लेकिन वह क्रोधित हो जाता है जब उसे पता चलता है कि उससे मिलने के लिए एक ही व्यक्ति आया है। वह है उसकी पोती सीता (काजोल देवगन)। वासुदेव और सुमन के न आने का बहाना यह है कि "वे व्यस्त हैं"। पुराने घाव फिर से उभर आते हैं और सीताराम को अपनी पोती से कोई लेना-देना नहीं रखना होता है। जबकि वह अपने दादा के लिए अपने पिता से एक विशेष उपहार लेकर आई है। लेकिन सीताराम यह उपहार तब तक स्वीकार नहीं करेगा, जब तक कि उनका बेटा खुद उन्हें यह उपहार न दे। फिर तब उन्हें अपने बेटे की अनुपस्थिति का कारण पता चलता है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- जितेन्द्र — सीताराम
- मौसमी चटर्जी — जानकी
- काजोल देवगन — सीता
- रोहित भाटिया — काशी
- सुजाता मेहता — गौरी
- टिन्नू आनन्द — अर्जुन के पिता
- रवि किशन — वासु
- शिवा रिन्दानी — अर्जुन
- रघुवीर यादव — सूरज
संगीत
संपादित करेंसभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "दादाजी की छड़ी हूँ मैं" | पूर्णिमा | 5:21 |
2. | "दिल धड़कने का बहाना" | कुमार शानू, अलका यागनिक | 5:26 |
3. | "हमने तो ली है कसम" | कुमार शानू, अलका यागनिक | 5:44 |
4. | "मैं भी चुप हूँ" | कुमार शानू, साधना सरगम | 6:19 |
5. | "रंग डालो फेंको गुलाल" | पूर्णिमा, उदित नारायण | 5:16 |
6. | "थोड़ी हँसी है तो थोड़े आँसू" | सुरेश वाडकर, उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति | 5:40 |
7. | "गाओ गाओ गाते जाओ" | साधना सरगम, सुरेश वाडकर | 4:24 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "जब फिल्में छोड़ना चाहती थीं काजोल, फिर 'उधार की जिंदगी' ने बदल दिया एक्ट्रेस का करियर". 5 अगस्त 2023. अभिगमन तिथि 7 अक्टूबर 2023.