एकलव्य फ़ाउंडेशन
एकलव्य फाउण्डेशन भारत के मध्य प्रदेश राज्य में कार्यरत एक अशासकीय संस्था (NGO) है। यह बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत कार्य कर रही है। यह सन् १९८२ में एक अखिल भारतीय संस्था के रूप में पंजीकृत हुई थी। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक पद्धति एंव बाल-शिक्षा में तकनीकी विकास पर एकलव्य फाउण्डेशन द्वारा क्रियान्वन कराया जा रहा है। भोपाल स्थित संस्था के कार्यालय द्वारा विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। महाभारत के पात्र एकलव्य के जीवन चरित्र से प्रभावित इस संस्था का दर्शन शिक्षा के उन्न्यन में समाज में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है।
एकलव्य | |
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एकलव्य | |
अंग्रेज़ी नाम: Eklavya | |
स्थापित | १८८० दो दशक पूर्व |
प्रकार: | गैर-सरकारी संस्था |
अवस्थिति: | ई-१० बीडीए कालोनी, शंकर नगर शिवाजी नगर भोपाल, मध्यप्रदेश, भारत |
परिसर: | मुख्यालय: भोपाल |
जालपृष्ठ: | [1] |
परिचय
एकलव्य की स्थापना छोटे ज़मीनी स्तर पर शैक्षिक प्रयोग करने तथा उन्हें बड़े पैमाने पर फैलाने के लिए ज़रूरी तौर-तरीके और साझेदारियाँ विकसित करने के उद्देश्य से 1982 में हुई। महाभारत के एकलव्य की कथा से प्रेरित, एकलव्य का मकसद था देश की शिक्षा व्यवस्था के सुधार में योगदान देना; शिक्षा के बेहतर पहलुओं को सबकी पहुँच में लाना, सीखने, खोजने, सवाल उठाने और सृजन की सभी कोशिशों को बढ़ावा देना।
पिछले वर्षों में एकलव्य ने म॰प्र॰ राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰) के साथ मिलकर होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया जो शैक्षिक नवाचार के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बना। फाउण्डेशन ने म॰प्र॰ एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ के साथ मिलकर ही सामाजिक अध्ययन कार्यक्रम तथा प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम का विकास तथा कार्यान्वयन किया। साथ ही कई राज्यों की एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ तथा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰) को भी उनके शैक्षिक कार्यक्रमों के विकास में, खासकर जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (डी॰पी॰ई॰पी॰) के तहत, मदद की। इसी दौर में एकलव्य फाउण्डेशन शैक्षिक साहित्य के एक महत्वपूर्ण प्रकाशक के रूप में भी उभरा।
भारत की अग्रणी शोध एवं अकादमिक संस्थाओं के साथ सम्बन्ध बनाकर उनके संसाधनों को ज़मीनी कार्यक्रमों तक लाना एकलव्य की प्रमुख ताकत रही है। सरकारी स्कूली व्यवस्था के सुधार की दृष्टि से सरकारी विभागों के साथ साझेदारी का भी उसका एक लम्बा अनुभव रहा है।
कार्यक्षेत्र
वर्तमान समय में एकलव्य फाउण्डेशन के काम के प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं:
पाठ्यचर्या शोध एवं सामग्री निर्माण
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के साथ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क और उसके तहत नई पाठ्यपुस्तकों का विकास करना (विशेष रूप से प्राथमिक स्तर की तथा माध्यमिक स्तर पर विज्ञान और सामाजिक अध्ययन की पाठ्यपुस्तकें)
- हाईस्कूल स्तर पर विज्ञान शिक्षण की समीक्षा तथा वैकल्पिक शिक्षण सामग्री का विकास
- प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर गणित-शिक्षण की समीक्षा तथा वैकल्पिक शिक्षण सामग्री का विकास
- विप्रो के साथ भागीदारी में स्कूल में समग्र बदलाव लाने पर शोध कार्य। ये शोध कार्य भोपाल के कुछ ऐसे निजी स्कूलों में किए जा रहे हैं जहाँ अधिकाँशत: निम्न-मध्यम वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं।
- शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (टी॰आई॰एस॰एस॰) और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर प्रारम्भिक शिक्षा में एम॰ए॰ कोर्स का संचालन
- भूगोल-शिक्षण में एक वैकल्पिक दृष्टि का विकास करना तथा बच्चों के लिए भारत के एक सामाजिक-पर्यावरणीय चित्रात्मक एटलस का विकास
- किशोर उम्र के बच्चों के लिए मानव शरीर पर कुछ मॉड्यूल्स का विकास।
समुदाय आधारित शिक्षण केन्द्र स्थापित करना
एकलव्य ने मध्यप्रदेश के पाँच जिलों (बैतूल, हरदा, होशंगाबाद, देवास और उज्जैन) में 120 सामुदायिक शिक्षण केन्द्र (शिक्षा प्रोत्साहन केन्द्र) स्थापित किए हैं। इन केन्द्रों का उद्देश्य पहली पीढ़ी के सीखने वालों को स्कूल के बाहर मदद देना है। साथ ही समुदाय को उनके बच्चों की शिक्षा में शामिल होने और शिक्षा के नए विचारों को जानने-समझने का मौका देना है। ये केन्द्र समुदाय के वयस्कों और प्रतिबद्ध स्कूली शिक्षकों की मदद से दूर-दराज के इलाकों में चलाए जा रहे हैं। समुदाय द्वारा नामांकित एक समिति इन केन्द्रों का प्रबन्धन करती है। एकलव्य द्वारा इन्हें आंशिक वित्तीय तथा पूर्णतया अकादमिक सहयोग दिया जाता है।
प्रस्तावित है कि इस कार्यक्रम के दायरे को विस्तार दिया जाए ताकि इसके तहत इस क्षेत्र के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और अन्य ग़ैर-सरकारी संगठनों के साथ परस्पर सम्पर्क बनाया जा सके। इससे अनौपचारिक शिक्षण के मौकों में भी इज़ाफा होगा।
शैक्षिक सामग्री का प्रकाशन तथा वितरण
- पत्रिकाएँ: एकलव्य द्वारा बच्चों के लिए 'चकमक' नाम की एक मासिक पत्रिका प्रकाशित की जाती है; शिक्षकों और हाईस्कूली बच्चों के लिए 'सन्दर्भ'; और आम जनता के लिए 'स्रोत'। इनका उद्देश्य विभिन्न विषयों, खासतौर पर विज्ञान विषय में, सामग्री उपलब्ध कराना है।
- पुस्तकें : एकलव्य ने बच्चों तथा बड़ों के लिए विविध प्रकार की शैक्षिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इसमें शामिल हैं: नव पाठकों के लिए किताबें, गतिविधि की किताबें, बच्चों के लिए लिखी और बच्चों द्वारा लिखी किताबें, शैक्षिक क्लासिक, शिक्षक मॉड्यूल आदि।
- पिटारा : एक गतिविधि केन्द्र व उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षणिक सामग्री जैसे किताबों, खिलौनों और विज्ञान-प्रयोगों के लिए किट का वितरण स्थल। छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश आदि जैसे हिन्दीभाषी राज्यों में पिटारा की शृंखला बनाने की प्रक्रिया जारी है।
राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर स्रोत सहायता उपलब्ध कराना
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के साथ पाठ्यचर्या व पाठ्यपुस्तक निर्माण
- पाठ्यचर्या व पाठ्यपुस्तक निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के साथ समन्वयन तथा एस॰सी॰ई॰आर॰टी॰ व विभिन्न डाइट्स की क्षमता वृद्धि।
- पाठ्यचर्या व पाठ्यपुस्तक निर्माण के लिए बिहार राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के साथ समन्वयन।
- एकलव्य मध्य एवं पश्चिमी म॰प्र॰ में फैले अपने फील्ड केन्द्रों के मार्फत कार्यरत है।
प्रकाशन
पत्रिकायें
- चकमक एकलव्य द्वारा प्रकाशित मासिक बाल-विज्ञान पत्रिका
- सन्दर्भ शिक्षा की द्वि-मासिक पत्रिका
- स्रोत विज्ञान व तकनीक पर आधारित मासिक पत्रिका
अन्य
बाहरी कड़ियाँ
एकलव्य पर लेख
- the experience of a government school teacher using Eklavya textbooks published in
EQUALS page 7 by Chloe Challender and Amy North Issue 15 नवम्बर December 2005
- Understanding Educational Innovation in India: The Case of Eklavya this is an article based on discussion with all different actors who are involved in eklavya [203.199.32.111/icicisig/upload/4.%20Balagopalan.pdf] this article is slow to download in pdf format so please see in HTMLUnderstanding Educational Innovation in India: The Case of Eklavya Interviews with Staff and Teachers by Sarada Balagopalan
- Exploring alternatives CN Subramanyam and Reshmi Paliwal SEMINAR
- Where Goes children after VIII Vinod Raina Seminar
- The 'Seekhna-Sikhana' Approach in Madhya Pradesh by Vinod Raina At Asha for Education
- Ignorance is bliss At India Together October 2002
- Eklavya loses thumb again by Harbans Mukhia The Hindu Monday, Aug 05, 2002
- Experiences of an activist who was associated with eklavya programmes Archived 2013-01-25 at आर्काइव डॉट टुडे by Dinesh Sharma
- Science Education in India by Amitabh Mukherjee 16/08/2007
पठनीय
- Agnihotri, R.K. PRASHIKA : Eklavya's Innovative Experiment in Primary Education Ratna Sagar New Delhi
- Teacher as Constructor of Knowledge: An Analysis of Teachers Contribution to the Hoshangabad Science Teaching Programme
- The Science and Art of Learning Critique of the MP Government’s Response Ramakanth Agnihotri Stifling Innovation C.N Subramanyam Back to Basics Amita Sharma
- Hoshangabad Vigyan a Unique Adventure in Rural science education
- [2] Prashika Complete Book
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