ऐन, ग्रेट ब्रिटेन की महारानी

इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड की रानी। (1702-07);ग्रेट ब्रिटेन की रानी और। आयरलैंड (1707)

ऐन (Anne, 6 फरवरी 1665 – 1 अगस्त 1714) इंग्लैंड के राजा जेम्स २ की दूसरी बेटी थी जो ०८ मार्च १७०२ को इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड तथा आयरलैण्ड की महारानी बनी। इन्हीं के शासनकाल में १७०७ में विलय के कानून के तहत इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड मिलकर ग्रेट ब्रिटेन बने। वह मृत्युपर्यन्त ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैण्ड की राष्ट्राध्यक्ष बनी रही। इनकी कोई जीवित संतान नहीं थी और इसलिये कोई उत्तराधिकारी ना होने की वजह से ऐन स्टुअर्ट राजवंश की अंतिम शासक थीं।

ऐन
Anne
माइकल डॉल द्वारा चित्रित, 1705 में
इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड की महारानी
शासनावधि8 मार्च 1702 – 1 मई 1707
ब्रिटेन23 अप्रैल 1702
पूर्ववर्तीविलियम III
आयरलैंड और ग्रेट ब्रिटेन की महारानी
Reign1 मई 1707 – 1 अगस्त 1714
उत्तरवर्तीजॉर्ज I
जन्म6 फ़रवरी 1665
सेंट जेम्स का महल, वेस्टमिंस्टर
निधन1 अगस्त 1714(1714-08-01) (उम्र 49)
केनसिंग्टन महल, मिडिलसेक्स
समाधि24 अगस्त 1714
जीवनसंगीडेनमार्क के राजकुमार जॉर्ज
संतान
और...
राजकुमार विलियम, ग्लूसेस्टर के ड्यूक
घरानास्टुअर्ट राजघराना
पिताजेम्स २ व ७
माताऐन हाएड
धर्मइंग्लैंड का गिरिजाघर
हस्ताक्षरऐन Anne के हस्ताक्षर

प्रारंभिक जीवन संपादित करें

 
ऐन (मध्य) और बहन मैरी (बाएँ) अपने माता-पिता यॉर्क के ड्यूक और डचेज़ के साथ।चित्रण सर पीटर लिली और बेनेडेट्टो गेन्नारी द्वितीय के द्वारा।

ऐन का जन्म ६ फरवरी १६६५ को सेंट जेम्स के महल में रात के वक्त जेम्स और उनकी पहली पत्नी ऐन हाएड की चौथी संतान के रूम में हुआ था।[1] उनके पिता जेम्स उस वक्त के राजा चार्ल्स के छोटे भाई और यॉर्क के ड्यूक थे। यॉर्क के ड्यूक और डचेज़ की कुल आठ संताने थीं लेकिन उनमें से सिर्फ ऐन और मैरी ही युवावस्था तक जीवित बची थीं।[2] ऐन का जन्म उनके ताउ चार्ल्स २ के शासनकाल में हुआ था जिनके कोई भी जायज संतान नहीं थीं और ऐन के पिता जेम्स, सिंहासन के उत्तराधिकारियों की पंक्ति में पहले क्रम पर थे। उनका रोमन कैथोलिक धर्म के प्रति संदेहास्पद झुकाव इंग्लैंड में उस वक्त लोकप्रिय नहीं था और संभवत: इसीलिये चार्ल्स के आदेशानुसार ऐन की शिक्षा-दीक्षा ऐंग्लिकन विचारधारा के तहत हुई। बचपन में आंखों के इलाज़ के लिये वो फ्रांस चली गयीं थीं और वहाँ अपनी दादी रानी हेनेरीटा मारिया के पास रहीं। १६६९ में उनकी मृत्यु के पश्चात वो अपनी बुआ व इंग्लैंड की राजकुमारी हेनेरीटा के पास रहीं। १६७० में उनकी भी मृत्यु हो जाने पर वो इंग्लैंड वापस चली आयीं जहाँ अगले वर्ष उनकी माँ हाएड की भी मृत्यु हो गई।[3]

शाही परम्परानुसार ऐन और मैरी का लालनपालन व शिक्षा उनके माता-पिता से अलग रिचमंड, लंदन स्थित व्यक्तिगत आवास में हुआ।[4] कर्नल एडवर्ड विलियर्स की देखरेख में उन दोनों को एंग्लिकन विचारधारा की शिक्षा दी गई। [5]

शासनकाल संपादित करें

उसका लालन-पालन प्रोटेस्टैंट विचारधारा के वातावरण में हुआ था। बचपन में ही उनकी दोस्ती सारा चर्चिल (मार्लबरो की भावी डचेज़) से हो गई थी। इस मित्रता का बड़ा गहरा प्रभाव ऐन के व्यक्तिगत जीवन पर ही नहीं, वरन् इंग्लैंड के इतिहास पर भी पड़ा। १६८३ में उनका विवाह डेनमार्क के राजकुमार जार्ज के साथ हुआ। राजनीतिक रूप से लोकप्रिय न होते हुए भी दांपत्य रूप से यह संबंध सुखी प्रमाणित हुआ। जेम्स के पश्चात् विलियम इंग्लैंड का राजा बना; और विलियम की मृत्यु के बाद ८ मार्च, १७०२ को ऐन ग्रेट ब्रिटेन तथा आयरलैंड की रानी घोषित हुई। व्यक्तित्व से प्रतिभाशाली न होते हुए भी उनका शासनकाल गौरवपूर्ण प्रमाणित हुआ।

प्रारंभिक जीवन में माता-पिता के स्नेह से वंचित रहने, अपनी १७ संतानों की मृत्यु देखने तथा निरंतर अस्वस्थ रहने से उसे यथेष्ट कष्ट सहन करना पड़ा। कौटुंबिक बंधनों, धार्मिक संघर्षो, कर्तव्यपालन की समस्याओं तथा देशभक्ति की भावनाओं ने उसे विरोधी दिशाओं में घसीटा। दरबार के पारस्परिक द्वेष तथा गुटबंदियाँ उसे जीवनपर्यन्त सालती रहीं। उसमें अधिक योग्यता भी नहीं थी और न वह तीक्ष्णबुद्धि वाली महिला थी। किन्तु, अपनी सीमाओं में रहकर वह ईमानदारी से कर्तव्यपालन में सतत प्रयत्नशील रहीं।

आरंभ से ही चर्च (धर्म) की समस्याओं के प्रति उसकी पूरी अभिरुचि बनी रही। राज्य के दोनों प्रमुख दलों से उसका संपर्क चर्च संबंधी भावनाओं से ही परिचालित रहा। व्यक्तिगत रूप से टोरी (अनुदार) दल से उसकी सहानुभूति रहने पर भी ह्विग (उदार) दल के साथ उसका बंधन दृढ़तर होता गया। मार्लबरो की ब्लेहाइम की अभूतपूर्व विजय के कारण ह्विग दल का प्रभाव बहुत बढ़ गया। वस्तुत: मार्लबरो का ड्यूक ही ह्विग दल का सर्वाधिक प्रभावशाली सदस्य था। किंतु १७१० में ऐन और सारा में संबंधविच्छेद होने के कारण मार्लबरो के भाग्य का पतन हो गया। सारा के स्थान पर मिसेज़ मैशम, जो उसकी ही संबंधी थी, ऐन की विशेष कृपापात्री बन गई। वास्तव में इंग्लैंड की जनता भी मार्लबरो के युद्धों से ऊब उठी थी। अत: ह्विग शासन की समाप्ति पर हार्ली के नेत्तृत्व में टोरी सरकार की स्थापना हुई। हार्ली गुप्त रूप से ऐन का विश्वासपात्र सलाहकार था।

ऐन के शासन के अंतिम काल में उत्तराधिकारी की की समस्या तीव्र हो गई। ऐन अपने भाई प्रेवेंद्र को उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी, किंतु मंत्रिमंडल तथा जनता के तीव्र विरोध के कारण असफल रही। अगस्त, १७१४ में उसकी मृत्यु हो गई। संसार के सर्वश्रेष्ठ सेनानियों में से एक मार्लबरो के डयूक की अभूतपूर्व विजयों, दल संबंधी राजनीति के उत्थान, इंग्लैंड और स्काटलैंड के एकीकरण, ईस्ट इंडिया कंपनी की समस्याओं के सफल समाधान तथा ऐडिसन, डिफ़ो, स्विफ़्ट, और पोप जैसे मेधावी साहित्यकारों के प्रादुर्भाव–इन सब कारणों ने ऐन के शासन को गौरवपूर्ण बना दिया था।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. कर्टिस, पृष्ठ 12–17; ग्रेग, पृष्ठ. 4
  2. ग्रीन, पृष्ठ. 17; ग्रेग, पृष्ठ. 6; वैलर, पृष्ठ 293–295
  3. कर्टिस, पृष्ठ. 21–23; ग्रेग, p. 8; सोमरसेट, पृष्ठ. 11–13; वैलर, पृष्ठ. 295
  4. ग्रेग, पृष्ठ. 5
  5. ग्रीन, पृष्ठ. 21; ग्रेग, पृष्ठ. 5