कटासराज मन्दिर
कटास राज पाकिस्तान के पाकिस्तानी पंजाब के उत्तरी भाग में नमक कोह पर्वत शृंखला में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। कटास राज मंदिर का निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने करवाया था। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। अतिरिक्त और भी मंदिरों की श्रृंखला है जो दसवीं शताब्दी के बताये जाते हैं। ये इतिहास को दर्शाते हैं। इतिहासकारों एवं पुरात्तव विभाग के अनुसार, इस स्थान को शिव नेत्र माना जाता है। जब माँ पार्वती सती हुई तो भगवान शिव की आँखों से दो आंसू टपके। एक आंसू कटास पर टपका जहाँ अमृत बन गया यह आज भी महान सरोवर अमृत कुण्ड तीर्थ स्थान कटास राज के रूप में है दूसरा आंसू अजमेर राजस्थान में टपका और यहाँ पर पुष्करराज तीर्थ स्थान है। [2]
कटासराज मन्दिर کٹاس راج مندر | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | Shiva |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | Choa Saidanshah |
ज़िला | चकवाल जिला |
राज्य | पंजाब |
देश | पाकिस्तान |
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भौगोलिक निर्देशांक | 32°43′26″N 72°57′7″E / 32.72389°N 72.95194°Eनिर्देशांक: 32°43′26″N 72°57′7″E / 32.72389°N 72.95194°E |
वास्तु विवरण | |
निर्माण पूर्ण | ७वीं शताब्दी और उसके बाद[1] |
मंदिर संख्या | 12 (7 मूल मन्दिर) |
इसके अतिरिक्त महाभारत काल में पांडव बनवास के दिनों में इन्ही पहाड़ियों में अज्ञातवास में रहे।[3] यहीं वह कुण्ड है जहाँ पांडव प्यास लगने पर पानी की खोज में पहुंचे थे। इस कुण्ड पर यक्ष का अधिकार था सर्वप्रथम नकुल पानी लेने गया जब पानी पीने लगा तो यक्ष ने आवाज़ दी की इस पानी पर उसका अधिकार है पीने की चेष्टा मत करो अगर पानी लेना है तो पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो लेकिन वह उसके प्रश्नों का उत्तर न दे सका और पानी पीने लगा। यक्ष ने उसको मूर्छित कर दिया ठीक इसी प्रकार सहदेव, अर्जुन व भीम चारों भाई एक एक करके पानी लेने गये लेकिन कोई भी यक्ष के प्रश्नों का उत्तर न दे सका और फिर भी पानी लेने का प्रयास किया यक्ष ने चारों भाइयों को मूर्छित कर दिया अंत में चारों भाइयों को खोजते हुए युधिष्ठिर कुण्ड के किनारे पहुंचा और चारों भाइयों को मूर्छित पड़े देखा वह बोला की मेरे भाइयों को किसने मूर्छित किया है वह सामने आये, यक्ष आया और उसने कहा कि इन्होने बिना मेरे प्रश्नों का उत्तर दिए पानी लेना चाहा अत: इनकी यह दुर्दशा हुई अगर तुम ने भी ऐसा व्यवहार किया तो तुम्हारा भी यही हाल होगा।
युधिष्ठिर ने नम्रतापूर्वक कहा की तुम प्रश्न पूछो मैं अपने विवेक से उनका उत्तर दूँगा यक्ष ने कई प्रश्न पूछे उनमे से एक मुख्य प्रश्न था-
कौन प्रसन्न है? आश्चर्य क्या है? मार्ग क्या है? वार्ता क्या है? मेरे चार प्रश्नों का उत्तर दे तो तुम्हारे मृत भाई जीवित हो जायेंगे।
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया-
- प्रसन्न : जो व्यक्ति पांचवे छठे दिन घर में स्वादु साग पका ले, जो ऋणी नहीं हो, जो प्रवास में न रहता हो वह प्रसन्न है।
- आश्चर्य : प्रतिदिन प्राणी मृत्यु को प्राप्त होते हैं यह सब देखकर भी संसार के प्राणी हमेशा जीवित रहने की कामना करते हैं इससे बदकर आश्चर्य क्या होगा।
- मार्ग : तर्क प्रतिष्ठित नहीं होता श्रुतियाँ (वेद) विभिन्न हैं कोई एक ऐसा मुनि नहीं जिसकी बात को प्रामाणिक माना जा सके अत: महापुरूष धर्म के विषय में जिस मार्ग का अनुसरण करें सबके लिए वही मार्ग चलने योग्य है।
- वार्ता (समाचार) : महामोह रूपी कड़ाहे में, सूर्य रूपी आग से, रात दिन रूपी (ईंधन) से, मास ऋतु रूपी कड़छी के द्वारा यह काल प्राणियों को भोजन के सामान पका रहा है, यही वार्ता है।
इस प्रकार युधिष्ठिर ने अपने विवेक से यक्ष के सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिया और यक्ष ने प्रसन्न होकर पांडवों को जीवित कर दिया तत्पश्चात ये पांडव अपने गंतव्य की और चले गए।
जीर्णोद्धार
संपादित करेंकटास राज मंदिर का निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने करवाया था और जीर्णोदार गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिरभोज जी ने करवाया था। वर्तमान में पाकिस्तान सरकार इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराएगी [4]
चित्र दीर्घा
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Bin Naveed, Muhammad. "Katas Raj". मूल से 12 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 June 2017.
- ↑ Handbook of the Punjab, western Rajputana, Kashmir, and upper Sindh, Edward Backhouse Eastwick, John Murray (Publisher), 1883, ... Kataksh is on the N. side of the Salt Range, 16 m. from Pind Dadan, at a height of more than 2,000 ft. above the sea ... Shiva wept so, on the death of his wife Sati, that his tears formed the sacred pool of Pushkara near Ajmir and Kataksh, in the Sindh Sagar Doab ...
- ↑ After 26/11, first Hindu jatha leaves for Pakistan Archived 2012-03-27 at the वेबैक मशीन, Neeraj Bagga, The Tribune (India), 18 Feb 2012, ... Katasraj is believed to be the place where discourse between Yudhishtir and Yaksha took place, as referred to in Mahabharata ...
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 दिसंबर 2015.