कृष्णगिरि
कृष्णगिरि (Krishnagiri) भारत के तमिल नाडु राज्य के कृष्णगिरि ज़िले में एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2][3]
कृष्णगिरि Krishnagiri கிருட்டிணகிரி | |
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कृष्णगिरि दुर्ग | |
निर्देशांक: 12°32′N 78°14′E / 12.53°N 78.23°Eनिर्देशांक: 12°32′N 78°14′E / 12.53°N 78.23°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | तमिल नाडु |
ज़िला | कृष्णगिरि ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,99,657 |
भाषा | |
• प्रचलित | तमिल |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 635001,635002,635115,635101,635120 |
दूरभाष कोड | 4343 |
वाहन पंजीकरण | TN 24 |
वेबसाइट | www |
विवरण
संपादित करेंअल्फांसो आमों के लिए प्रसिद्ध कृष्णागिरि तमिल नाडु का एक प्रमुख शहर है। प्राचीन काल में यह तमिलनाडु के कोंगू नाडु क्षेत्र का हिस्सा था। उस समय यह पश्िचमी गंगा साम्राज्य का एक भाग था। आम यहां का मुख्य फसल है। माना जाता है कि आम की सर्वप्रथम पैदावार यहीं हुई थी। कृष्णागिरी हसूर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह कई पर्वतों से घिरा हुआ है। कृष्णागिरी विशेष रूप से कृष्णागिरी बांध व सरकारी संग्रहालय के लिए प्रसिद्ध है। कृष्णागिरी दो शब्दों कृष्ण और गिरी से मिलकर बना है। कृष्ण का अर्थ काला होता है जबकि गिरी का मतलब पहाड़ होता है। इस प्रकार कृष्णागिरी का शाब्दिक अर्थ काला पहाड़ होता है। यहां काले ग्रेनाइट चट्टानों का पहाड़ है। इसी कारण इसका नाम कृष्णागिरी पड़ा। इसके नाम के पीछे एक अन्य कहानी भी प्रचलित है। यह क्षेत्र एक समय विजयनगर के शासक कृष्णदेव राय के साम्राज्य का हिस्सा था। इसीलिए इस स्थान का नाम उनके नाम पर कृष्णागिरी पड़ा।
भूगोल
संपादित करेंकृष्णगिरि की स्थिति 12°32′N 78°14′E / 12.53°N 78.23°E पर है। इसकी औसत ऊंचाई है ६३१ मीटर (2070 फीट)
प्रमुख आकर्षण
संपादित करेंकृष्णागिरी बांध
संपादित करेंयह बांध कृष्णागिरी से सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बांध धर्मपुरी और कृष्णागिरी के मध्य स्थित है। कृष्णागिरी बांध एक हजार एकड़ की भूमि पर बना हुआ है। यह बांध प्रसिद्ध पयर्टन स्थल के रूप में भी जाना जाता है। इस बांध का निर्माण वर्ष 1955-57 में किया गया था। कृष्णागिरी बांध के सामने खूबसूरत फूलों का बगीचा भी है।
तेली
संपादित करेंयह स्थान होसूर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तेली घाटी और चट्टान के मध्य में स्थित है। ब्रिटिश शासन के समय में इस जगह को लिटिल इंग्लैंड के नाम से जाना जाता था। सोलहवीं शताब्दी में बना देंकनिककोत्ती किला यहां के प्रमुख आकर्षण केन्द्रों में से है। यह किला हैदर अली और अंग्रेजों के बीच हुए युद्ध के समय में नष्ट हो गया था।
केलावरपल्ली जल परियोजना
संपादित करेंइस परियोजना का काम 1995 ई. में पूरा हुआ था। यह जगह हसूर से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह पर्यटन स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। छुट्टियों के दौरान काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।
सरकारी संग्रहालय
संपादित करेंयह संग्रहालय तमिलनाडु एवं विशेष रूप से कृष्णागिरी जिले की परम्परा, संस्कृति, कला और कृषि, हैरिटेज और ऐतिहासिक पृष्टभूमि को दर्शाता है। इस संग्रहालय की शुरूआत 1993 ई. में हुई थी। यह संग्रहालय कृष्णागिरी जिले के गांधी सलई में स्थित है। यह संग्रहालय पयर्टन स्थल होने के साथ-साथ शिक्षा के केन्द्र के रूप में भी जाना जाता है।
अरूलमिगू मारगाथमबीगई चंद्र चूडेश्वर मंदिर
संपादित करेंयह मंदिर हसूर राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर स्थित है। यह मंदिर पर्वत पर स्थित है। मंदिर के पास में ही चिल्ड्रेन पार्क है।
आवागमन
संपादित करें- वायु मार्ग
सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बंगलुरू विमानक्षेत्र है। बंगलुरू से कृष्णागिरी की दूरी 40 किलोमीटर है।
- रेल मार्ग
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन होसूर रेलवे जंक्शन है। स्टेशन से कृष्णागिरी पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- सड़क मार्ग
कृष्णागिरी भारत के कई प्रमुख जगहों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 42 और राष्ट्रीय राजमार्ग 44 यहाँ से गुज़रते हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
- ↑ "Tamil Nadu, Human Development Report," Tamil Nadu Government, Berghahn Books, 2003, ISBN 9788187358145
- ↑ "Census Info 2011 Final population totals". Office of The Registrar General and Census Commissioner, Ministry of Home Affairs, Government of India. 2013. मूल से 13 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 January 2014.