गोदावरी आरती
"गोदावरी आरती" गोदावरी नदी के भौगोलिक, पौराणिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और जीवन मूल्य का वर्णन करती है। गोदावरी आरती में कुल छह श्र्लोक अनुष्टुप छंद में निबद्ध हैं। [1]
लेखक | सुनील खांडबहाले |
---|---|
मूल शीर्षक | #godavariaarti |
भाषा | मराठी |
शृंखला | आरती |
विषय | विचारधारा परिवर्तन |
शैली | आरती |
प्रकाशक | https://www.godavariaarti.org |
प्रकाशन तिथि | रवि, नवम्बर १०, २०१९ |
प्रकाशन स्थान | भारत |
मीडिया प्रकार | डिजिटल् |
पृष्ठ | ६ श्र्लोक |
श्री आरती गोदावरी । उगमस्थ ब्रह्मगिरी । कुशावर्त गंगाद्वारी । माता श्री त्र्यंबकेश्वरी ।।१।। धृ॰
अर्थ:- इस प्रथम श्लोक में गोदावरी नदी के उद्गम स्थल भौगोलिक स्थान का वर्णन है। ब्रह्मगिरि महाराष्ट्र राज्य में नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर तालुका में सह्याद्री रेंज में एक उच्च पर्वत श्रृंखला है। त्र्यंबकेश्वर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वहाँ गोदावरी नदी कुशावर्त के रूप में प्रकट होती है। ब्रह्मगिरि पर्वत की तलहटी में संत श्री ज्ञानेश्वर महाराज के बड़े भाई श्री निवृतिनाथ की समाधि है।
जय पतित पावनी । निवृत्ति नाथाचरणी । गौतम श्री जटाधारी । वरदात्री गोदावरी ।।२।।
अर्थ:- एक पौराणिक कथा के अनुसार, 'श्री महर्षि गौतम' द्वारा अनजाने में एक गाय का वध हो जाता है, उस पाप से छुटकारा पाने के लिए वह भगवान शिव (शंकर) की घोर तपस्या करता है। आखिरकार, भगवान शिव उनसे प्रसन्न हो जाते हैं और गोदावरी नदी से 'श्री महर्षि गौतम' की शुद्धि के लिए आने का अनुरोध करते हैं। इसके लिए भगवान 'शिव' ब्रह्मगिरि पर्वतकी एक चट्टान पर अपने बालोंसे आघात करते हैं और वहां गोदावरी नदी प्रकट होती है। आगे, 'महर्षि गौतम' 'गंगाद्वार' से बहने वाली गोदावरी नदी को अवरुद्ध करने के लिए 'कुशावर्त' तालाब (कुंड) का निर्माण करते हैं। झील के पास संत श्री ज्ञानेश्वर के बड़े भाई 'संत श्री निवृतिनाथ' की समाधि है।
जय अमृत वाहिनी । वरदा माता अंजनी । वंदन श्री रामभूमी । कुंभपात्री गोदावरी ।।३।।
अर्थ:- इस तीसरे श्लोक में साहित्य के रूपक का प्रयोग कविद्वारा किया गया हैं। मानो ऐसा प्रतित होता हैं जैसे - भगवान रामजी के भक्त हनुमानजी की जन्मभूमि अंजनेरी पर्वत, गोदावरी नदी को आशीर्वाद दे रहें हो और जहां भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जीने अपना अधिकांश निर्वासन बिताया वह नासिक क्षेत्र के पंचवटी भूमि को गोदावरी नदी प्रणाम करती हों।
जय जीवन दायिनी । गोवर्धन जनस्थानी । नाथसागरा पैठणी । जलदात्री गोदावरी ।।४।।
अर्थ:- आरती के चौथे पंक्ति में गोदावरी नदी से होने वाली विकास का वर्णन है। गोदावरी नदी पर बने दो प्रमुख बांधों का प्रतीकात्मक रूप से उल्लेख किया गया है, याने नासिक में गंगापुर बांध और औरंगाबाद जिले के पैठण में जायकवाड़ी बांध, जिसे नाथसागर के नाम से भी जाना जाता है।
जय गंगाश्री दक्षिणी । अनुबन्ध पंचक्षेत्री । संगम श्री राजमुंद्री । सुखदात्री गोदावरी ।।५।।
अर्थ:- गोदावरी नदी भारत के पांच राज्यों से होकर 1,450 किमी की लंबाई में बहती है, भारत के दक्षिणी भाग में सबसे बड़ी नदी है और भारत के दक्षिण क्षेत्र (दक्षिणगंगा) की गंगा कहलाती है। गोदावरी नदी महाराष्ट्र राज्य की पश्चिमी तलहटी में ब्रह्मगिरि पहाड़ियों पर 1,067 मीटर की ऊंचाई पर अपनी यात्रा शुरू करती है। बाद में यह छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना के लिए दक्षिण-पूर्व की यात्रा करता है और आंध्र प्रदेश राज्य में राजमुंदरी में बंगाल की खाड़ी तक पहुंचता है।
तुल्या वसिष्ठा गौतमी । श्रीभारद्वाजी आत्रेयी । कौशिकी वृद्धगौतमी । धारासप्त गोदावरी ।।६।।
अर्थ:- अन्तिम पंक्ति में प्राचीन ग्रन्थ के सन्दर्भ का उल्लेख है कि गोदावरी नदी की सात सहायक नदियाँ हैं याने 'तुल्य', 'वशिष्ठ', 'गौतमी', 'भारद्वीजी', 'कौशिकी', 'अत्रेयी'। और 'वृद्धगौतमी'। वह श्लोक इस प्रकार है - “सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियताशन:। महापुण्यमप्राप्नोति देवलोके च गच्छति॥”
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- गोदावरी आरती Archived 2022-01-07 at the वेबैक मशीन
- गोदावरी आरती संकेतस्थळ