जवाई बाँध राजस्थान के पाली ज़िले के सुमेरपुर तहसील में स्थित एक बाँध है। इसका निर्माण १९४६ ईस्वी में जोधपुर रियासत के महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था। [1]

जवाई बाँध
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निर्देशांक: 25°04′14″N 73°09′24″E / 25.070507°N 73.156586°E / 25.070507; 73.156586
राज्यराजस्थान
ज़िलापाली
विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रबाली
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रपाली
शासन
 • सभाराजस्थान जल संसाधन विभाग
ऊँचाई259 मी (850 फीट)
दूरभाष कोड02933
वाहन पंजीकरणआरजे-57

रियासत काल में इस बाँध का निर्माण स्टेट के इंजीनियर एडगर व फर्गुसन की देखरेख में हुआ था। राजस्थान के गठन के पश्चात सन १९५६ में यह बाँध मुख्य अभियंता मोतीसिंहजी की देखरेख में पूर्ण हुआ।

वर्तमान में जवाई बाँध जोधपुर और पाली ज़िले का मुख्य पेयजल स्रोत है। इसके अलावा जवाई बाँध को मारवाड़ का अमृत सरोवर या मान सरोवर कहा जाता है।

जवाई बाँध की जल आपूर्ति के लिए उदयपुर की कोटड़ा तहसील में सेई परियोजना बनाई गई।

भौगोलिक विवरण और इतिहास

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  • यह बांध भारत के राजस्थान राज्य के पाली जिले के सुमेरपुर शहर के पास स्थित है। बांध को जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने बनाया था। इसका काम १२ मई १९४६ को शुरू हुआ और यह १९५७ में पूरा हुआ। इसको बनाने में कुल व्यय २ करोड़ ७ लाख रूपये लगा था। इस गांव में ५०० किमी² का क्षेत्र शामिल है यह पश्चिमी राजस्थान में सबसे बड़ा बांध है। बांध में ७८८७.५ मिलियन क्यूबिक फीट की क्षमता है और खेती योग्य क्षेत्रफल के १०२,३१५ एकड़ (४१४.०५ किमी) क्षेत्र शामिल है। इसकी ऊंचाई लगभग ६१.२५ फीट (१८.६७ मीटर) है। सेई बांध और कालीबोर बांध जावई बांध के फीडर बांध हैं। [2]
  • बांध की मुख्य नींव सीसा धातु से निर्मित है

प्रवासी पक्षियों के लिए शीतकालीन स्वर्ग होने के अलावा, जोधपुर शहर और पाली जिले के कुछ हिस्सों के लिए यह मुख्य जल आपूर्ति स्रोत है। अगर बांध में पर्याप्त पानी है, तो जालौर जिले और पाली जिले के कुछ गांवों को जवाई बांध से सिंचाई के लिए पानी मिलता है, जो इस बांध को बनाने में मुख्य उद्देश्य था। जवाई परियोजना से पाली,उदयपुर, बाडमेर, जालौर जिले लाभान्वित होते है जवाई परियोजना को पश्चिम मरुस्थल की जीवन रेखा भी कही जाती है

जैव विविधता

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  • जवाई अब तेंदुए को देखने,पक्षियों को देखने के लिए जाना जाता है।सर्दियों के मौसम में यहाँ कई प्रवासी पक्षी प्रजातियाँ देखी जाती हैं। जवाई बांध बड़ी मगरमच्छ आबादी के लिए भी जाना जाता है, 2020 तक जवाई बांध में 377 मगरमच्छ[3] थे।जवाई के समीप कोठार गांव के जंगल में तेंदुए सायकल में विचरण के लिए आते है.
  1. "जवाई बाँध पाली" (PDF). इंडिया वॉटर पोर्टल. मूल (PDF) से 13 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 सितम्बर 2017.
  2. "पाली का जवाई बाँध". मूल से 9 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 सितम्बर 2017.
  3. "करीब 17 वर्ष पूर्व जवाई बांध में हुआ था योजना का शुभारंभ". patrika. 12 Oct 2021.