ढ़ाई अक्षर प्रेम के
ढ़ाई अक्षर प्रेम के 2000 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। यह वह सात फिल्मों में से पहली थी जिसमें अंततः वास्तविक जीवन के जोड़े अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय ने अभिनय किया था।[1]
ढ़ाई अक्षर प्रेम के | |
---|---|
निर्देशक | राज कँवर |
लेखक | जैनेन्द्र जैन (संवाद) |
निर्माता |
राज कँवर के. पप्पू |
अभिनेता |
सलमान ख़ान, अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय, अमरीश पुरी |
संगीतकार | जतिन-ललित |
प्रदर्शन तिथियाँ |
29 सितंबर, 2000 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंकरण खन्ना (अभिषेक बच्चन) अनाथ है जो सशस्त्र बल में एक कप्तान है। वह खूबसूरत मॉडल निशा के प्यार में पागल है, जिसके साथ वह अपनी अगली छुट्टी के दौरान शादी करने की योजना बना रहा है। रास्ते में उसकी मुलाकात साहिबा ग्रेवाल (ऐश्वर्या राय) से होती है। वह बेहद ही व्याकुल और घबराई हुई और करण उसे अपनी जान लेने से रोकता है। धीरे-धीरे, साहिबा करण को अपने दर्दनाक अतीत और खराब भविष्य के बारे में बताती है। साहिबा ने अपने परिवार से झूठ बोला था कि उसने शहर में पढ़ाई के दौरान शादी कर ली है और अब वह बिना पति के अपने घर लौटने से डर रही है। करण शिष्टतापूर्वक उसके साथ घर जाने की पेशकश करता है। रास्ते में, साहिबा को करण से प्यार हो जाता है लेकिन वह अभी निशा के प्रति भावनाएँ रखता है। वे पालनपुर पहुंचते हैं और करण जल्द ही खुद को साहिबा के बड़े परिवार में शामिल कर लेता है। उसमें उसके पिता, उसके तीन छोटे भाई, उनकी पत्नियां और साहिबा की प्यारी दादी बीजी शामिल हैं। केवल उसके पिता ने अपने दामाद को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। सब कुछ तब तक ठीक रहता है जब तक कि साहिबा की एक चाची गलती से यह मान लेती है कि साहिबा मां बनने वाली है और यह बात चारों ओर फैला देती है।
अचानक, साहिबा के उदास पिता भी मुस्कुरा रहे होते हैं और साहिबा के लिए जीवन फिर से गुलाबों का बिस्तर बन जाता है। वह करण से उसे कभी न छोड़ने की विनती करती है। करण उस भविष्य से डरता है जिसकी उसने योजना नहीं बनाई है और वह रात में निशा से मिलने के लिए निकल जाता है। लेकिन निशा पहले से ही शादीशुदा है और उसे विश्वास दिलाती है कि साहिबा उसका सच्चा प्यार है और उसे पालनपुर लौट जाना चाहिए। उसे पता चलता है कि वह परिवार अब उससे कोई लेना-देना नहीं रखना चाहता। साहिबा के पिता चाहते हैं कि वह राय बहादुर के बेटे के साथ एक नया जीवन शुरू करें। लेकिन सगाई समारोह में, साहिबा उसे उस हत्यारे के रूप में पहचानती है जिससे वह शहर से भाग के आई थी। वह अपने पिता को उसके दोस्त और उसके मंगेतर के बारे में चेतावनी देने की कोशिश करती है लेकिन वह उसकी सभी दलीलों को अनसुना कर देता है। हालाँकि, उसका छोटा भाई रौनक (अनुपम खेर) करण का पक्ष लेता है और शादी को होने से रोकने की कोशिश करता है। लेकिन साहिबा यह मानकर कि सब कुछ ख़त्म हो गया है, ज़हर खा लेती है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- अभिषेक बच्चन — करण खन्ना
- ऐश्वर्या राय — साहिबा ग्रेवाल
- अमरीश पुरी — योगवेन्द्र 'योगी' ग्रेवाल
- अनुपम खेर — रौनक ग्रेवाल
- शक्ति कपूर — प्रीतम ग्रेवाल
- सुषमा सेठ — बीजी
- हरीश पटेल — शरन ग्रेवाल
- दलीप ताहिल — राय बहादुर
- नीना कुलकर्णी — अमृत ग्रेवाल
- तन्वी आज़मी — सिमरन ग्रेवाल
- हिमानी शिवपुरी — स्वीटी ग्रेवाल
- सुप्रिया कार्णिक — मोनिका ग्रेवाल
- ऋषिकेश पांडे — समीर
- सोनाली बेंद्रे — निशा (अतिथि भूमिका)
- सलमान ख़ान — ट्रक ड्राइवर
संगीत
संपादित करेंसभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत जतिन-ललित द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "ढ़ाई अक्षर प्रेम के" | अनुराधा पौडवाल, बाबुल सुप्रियो | 4:48 |
2. | "दो लफ़्ज़ों में" | अनुराधा पौडवाल, बाबुल सुप्रियो | 4:58 |
3. | "है दीवाना ये इश्क़ मेरा" | अनुराधा पौडवाल, बाबुल सुप्रियो | 4:58 |
4. | "ये समां ये नज़ारे" | अनुराधा पौडवाल, बाबुल सुप्रियो | 6:17 |
5. | "कोई ताज़ा हवा" | बाबुल सुप्रियो | 5:01 |
6. | "ओ मेरे रब्बा" | अनुराधा पौडवाल, केके | 5:03 |
7. | "मेरा माही बड़ा सोहना है" | अनुराधा पौडवाल, अभिषेक बच्चन | 6:24 |
8. | "एक हसीन लड़की" | बाबुल सुप्रियो, सुदेश भोंसले | 4:26 |
9. | "ढ़ाई अक्षर प्रेम के" (II) | अनुराधा पौडवाल, बाबुल सुप्रियो | 1:02 |
10. | "ढ़ाई अक्षर प्रेम के" (III) | अनुराधा पौडवाल | 1:03 |
11. | "ढ़ाई अक्षर प्रेम के" (IV) | अनुराधा पौडवाल | 0:59 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "अभिषेक-ऐश्वर्या में झगड़ा होने पर सबसे पहले कौन मांगता है माफी? जब एक्ट्रेस के जवाब से सभी हो गए थे हैरान". हिन्दुस्तान लाइव. अभिगमन तिथि 28 नवम्बर 2023.