तेली
तेली परंपरागत रूप से भारत, पाकिस्तान और नेपाल में तेल उत्पाद करने और बेचने वाले तेल व्यापारी लोग है। ये वैश्य कि सबसे प्रभुत्व जाती है जिस कारण ये खुद को गुप्ता भी कहते है । जिन्हे वर्तमान में तेली समाज के नाम से जाना जाता है। तेली शब्द को संस्कृत में तैलिक कहते है। तेली समाज के लोग हिंदू, मुस्लिम,जैन, बौद्ध और पारसी इन सभी धर्मो में पाए जाते हैं। हिंदू तेली समाज के सरनेम– साहू,तैल्याकार,सहुवान,साव,साह,साहूकार है। तेली समाज को गुजरात में घांची तेली के नाम से जाना जाता है। घांची तेली समाज के सरनेम– मोदी, चौधरी और गांधी है। दक्षिण भारत में तेली समाज को वनियार, चेट्टियार, चेट्टी, गनिगा के नाम से जाना जाता हैं। मुस्लिम तेली समाज को मलिक के नाम से जाना जाता है। देश में तेली समाज की जनसंख्या 14% है। महाराष्ट्र के यहूदी समुदाय (जिसे बैन इज़राइल कहा जाता है) शीलवीर तेली नामक तेली जाति में एक उप-समूह के रूप में भी जाना जाता था, अर्थात् शबात पर काम करने से उनके यहूदी परंपरा के विरूद्ध अर्थात् शनिवार के तेल प्रदाताओं। साहू के अधिकांश लोग ट्रेडमैन हैं और महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में उच्चतम पेशे के हैं|तेली जाति का इतिहास अंग्रेजों के आगमन से पहले यह समाज आर्थिक दृष्टि से समृद्ध और प्रभावशाली रहा है. इस समाज के लोग बड़े जमींदार और साहूकार कारोबारी रहे हैं. जहां भी यह प्रभावशाली रहे इन्होंने मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया और रचनात्मक कार्यों में सक्रिय सक्रिय योगदान दिया है. स्वतंत्रता संग्राम में तेली समाज के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान है. इस समाज में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है. तेली समाज वीर शिरोमणी महाराणा प्रतापसिंह को अपना महापुरुष के तोर पे देखते हे.[1] तेली समाज के प्रमुखतम राजाओं में भामाशाह थे।दानवीर भामाशाह का जन्म राजस्थान के मेवाड़ राज्य में वर्तमान पाली जिले के सादड़ी गांव में 29 अप्रैल 1547 को सम्पन्न तेली जैन परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम भारमल था जो रणथम्भौर के किलेदार थे।


पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक साहू परिवार में करमा बाई नामक एक पवित्र आत्मा का जन्म हुआ था। एक दिन नरवरगढ़ के राजा के एक हाथी की त्वचा में संक्रमण हो गया और रजवेद्य ने सुझाव दिया कि उसके जीवन को केवल तेल के एक तालाब में स्नान करके बचाया जा सकता है। राजा ने अपने लोगों को निर्देश दिया कि वे 3 दिनों में तालाब को तेल से भर दें अन्यथा वह व्यापारियों को मार देगा। लेकिन यह एक असम्भव कार्य था। कर्मा बाई ने प्रार्थना की और सिर्फ एक जार के साथ पूरे तालाब को तेल से भर दिया। जब राजा ने यह देखा तो वह बहुत दोषी महसूस किया। उसी दिन से साहू परिवार मा कर्मा बाई की पूजा करते हैं।
तेली जाति की उत्पत्ति के के बारे में अनेक मान्यताएं हैं. जिसमें से प्रमुख मान्यताओं का विस्तार से नीचे वर्णन किया गया है.
भगवान शिव ने किया तेली जाति की उत्पत्ति तेली जाति की उत्पत्ति के के बारे में अनेक मान्यताएं हैं. जिसमें से प्रमुख मान्यताओं का विस्तार से नीचे वर्णन किया गया है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव की अनुपस्थिति में माता पार्वती को घबराहट महसूस हुई क्योंकि उनके महल में कोई द्वारपाल नहीं था. इसीलिए उन्होंने अपने शरीर के मैल- पसीने से भगवान गणेश को उत्पन्न किया और उन्हें दक्षिणी द्वार की रक्षा के लिए तैनात कर दिया. जब भगवान शिव वापस लौटे तो गणेश जी उन्हें नहीं पहचान पाए और महल में प्रवेश करने से रोक दिया. इससे भगवान शिव इतना क्रोधित हुए कि उन्होंने अपनी तलवार से गणेश जी का सिर काट दिया और मस्तक को भस्म कर दिया. जब भगवान शिव ने महल में प्रवेश किया तो माता पार्वती ने तलवार पर रक्त लगा देखकर उनसे पूछा कि क्या हुआ. पुत्र की हत्या की बात जानकर माता दुखी हो गई और विलाप करने लगी. माता पार्वती ने भगवान शिव से गणेश जी को फिर से जीवित करने का आग्रह किया. लेकिन मस्तक भस्म कर देने के कारण उन्होंने गणेश जी को फिर से जीवित करने में असमर्थता जताई. लेकिन उन्होंने कहा यदि कोई जानवर दक्षिण की ओर मुंह किया हुआ मिले तो गणेश जी को फिर से जीवित किया जा सकता है. फिर ऐसा हुआ कि एक व्यापारी महल के बाहर आराम कर रहा था. उसके पास एक हाथी था जो दक्षिण की ओर मुंह करके बैठा था. भगवान शिव ने अपने तलवार के प्रहार से उसका सर काट दिया और हाथी के सिर को गणेश जी के धड़ से जोड़कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया. लेकिन हाथी की मौत से हुए नुकसान के कारण व्यापारी जोर-जोर से विलाप करने लगा. व्यापारी को शांत करने के लिए भगवान शिव ने ओखली और मुसल की मदद से, जो तब तक अज्ञात यंत्र था, कोल्लू बनाया और तिलहन को पेरकर तेल निकालने की विधि बतलाई. व्यापारी कोल्लू के मदद से तेल पेरने लगा और तेली जाति का संस्थापक यानी की पहला तेली कहलाया.
वर्ण स्थिति
संपादित करेंतेली समाज में शुरुवात से वर्ण व्यवस्था को लेकर अलग अलग मतभेद रहा है, कुछ अपने को तेल के व्यापारी होने के कारण अपने को वैश्य कहते है, और कुछ अपने को क्षत्रिय कहते है, एवम कुछ लोग कहते है, हमारे गुप्त वंश के पूर्वजों ने कभी भी अपने को किसी वर्ण का नही बताया है नाही उनके द्वारा लिखवाए किसी भी शिलालेखो में उनके वर्ण के बारे में लिखा है,यानी हमारे पूर्वज वर्ण व्यवस्था को नही मानते थे और वो सभी धर्मो का सम्मान करते थे।े
तेली समाज के महापुरुष
संपादित करेंगुरु संताजी जगनाडे महाराज ( जो संत तुकाराम के परम शिष्य थे। गुरु संताजी द्वारा लिखे अभंगो को पांचवा वेद कहा जाता है)
गुरु गोरखनाथ [उद्धरण चाहिए]( गुरु गोरखनाथ ने स्वयं अपने श्लोक में अपनी जाति तेली बताई है। गुरु गोरखनाथ को ही नाथ सम्प्रदाय के विस्तार का श्रेय जाता है)
देवी मां कर्मा [उद्धरण चाहिए]( भगवान जगन्नाथ स्वयं प्रातः कालीन सुबह मां कर्मा के घर खिचड़ी का भोग लगाने आते थे। इस पर बहुत सी कहानियां प्रचलित है। और इसी कारण आज भी जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है)
भामाशाह[उद्धरण चाहिए] (भामाशाह और महाराणा प्रताप बचपन के परममित्र थे। जब महाराणा प्रताप को मुगलों से युद्ध करने के लिए आपार धन और सैनिकों की जरूरत थी, उसी वक्त उनके बचपन के मित्र भामाशाह ने अपने सारे धन दौलत को महाराणा को देश की रक्षा के लिए दान दे दिया,और भामाशाह ने भील और मीणाओं की सेना एकत्र कर तब महाराणा प्रताप और भामाशाह ने मुगलों से युद्ध किया था)
वीर महाबली तेली [उद्धरण चाहिए]( वीर महाबली और छत्रसाल दोनो ही बचपन के परममित्र थे। वीर महाबली ने अपने पूर्वजों की सारी धन संपत्ति को दान कर छत्रसाल को युद्ध के लिए तैयार किया। तब बुंदेलखंड के दोनो शेरो छत्रसाल और महाबली ने मुगलों से युद्ध किया। और मुगलों को पराजित भी किया)
नरेंद्र मोदी :- प्रधानमंत्री [उद्धरण चाहिए]
रघुवर दास :- पूर्व मुख्यमंत्री (झारखंड).राज्यपाल (ओडिशा) [उद्धरण चाहिए]
सुशील कुमार मोदी :- पूर्व मुख्यमंत्री बिहार[उद्धरण चाहिए]
राजनीति
संपादित करेंबिहार
संपादित करें2000 के दशक के अंत में, तेली सेना द्वारा आयोजित बिली के तेली समुदाय में से कुछ, वोट बैंक की राजनीति में शामिल थे क्योंकि उन्होंने राज्य में सबसे पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकरण प्राप्त करने की मांग की थी। प्रारंभ में, वे भारत की आधिकारिक सकारात्मक भेदभाव योजना में इस तात्पर्य को प्राप्त करने में विफल रहे, विपक्षी अन्य समूहों से आ रहे थे जिन्होंने तेली को बहुत अधिक आबादी वाले और सामाजिक-आर्थिक रूप से प्रभावशाली माना और परिवर्तन को सही ठहराया। अप्रैल 2015 में, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की सूची में तेली जाति को शामिल करने का फैसला किया।[2][3] बिहार जाति आधारित गणना 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में तेली की आबादी 2.81% है।[4][5]
झारखंड
संपादित करें2004 में, झारखंड सरकार ने अर्जुन मुंडा के अधीन झारखंड में अनुसूचित जनजाति में तेली जाति को दर्जा देने की सिफारिश की, लेकिन यह कदम 2015 के रूप में अमल नहीं किया गया।[6] 2014 में, रघुवर दास झारखंड के पहले तेली मुख्यमंत्री बने
छत्तीसगढ़ में तेली जाति के लोगो की जनसंख्या ज्यादा है|
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित तेली का मन्दिर तेली समुदाय ने 9 वी सदी में बनवाया था ।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Williams, Abigail (2017-06-27), "Using Books", The Social Life of Books, Yale University Press, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-300-20829-0, अभिगमन तिथि 2025-01-06
- ↑ "बिहारः जातियों के दर्जे में बदलाव से होगा फ़ायदा ?". मूल से 11 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 अप्रैल 2018.
- ↑ "Bihar: BJP, JD(U) set for a war of sops ahead of Assembly polls". मूल से 9 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 दिसंबर 2017.
- ↑ "Bihar Caste Survey: बिहार में किस जाति की कितनी आबादी, देखें पूरी सूची".
- ↑ "Bihar Caste Survey Report LIVE: बिहार में 63% पिछड़े, 19% दलित, 15% सवर्ण, जाति गणना रिपोर्ट में यादव सबसे ज्यादा".
- ↑ "Teli show of strength at Gumla". मूल से 8 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 दिसंबर 2017.