तोहफा (1984 फ़िल्म)

1984 की के॰ राघ्वेन्द्र राव की फ़िल्म

तोहफा 1984 में बनी हिन्दी भाषा की मसाला फिल्म है, जो सुरेश प्रोडक्शन्स बैनर के तहत डी रामानायडू द्वारा निर्मित और के राघ्वेन्द्र राव द्वारा निर्देशित है। इसमें जितेन्द्र, जयाप्रदा, श्री देवी मुख्य भूमिकाओं में हैं और संगीत बप्पी लहरी द्वारा रचित है।[1] जारी होने पर ये एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी और 1984 की सबसे अधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बनी।[2]

तोहफा

तोहफा का पोस्टर
निर्देशक के राघ्वेन्द्र राव
लेखक कादर ख़ान (संवाद)
पटकथा के राघ्वेन्द्र राव
निर्माता डी रामानायडू
अभिनेता जितेन्द्र,
जयाप्रदा,
श्री देवी
संगीतकार बप्पी लहरी
प्रदर्शन तिथियाँ
3 फरवरी, 1984
देश भारत
भाषा हिन्दी

फिल्म की कहानी दो बहनों, जानकी और ललिता का अनुसरण करती है, जो दोनों अपने अच्छे दोस्त राम के प्रेम में पड़ जाते हैं। जब ललिता को पता चलता है कि जानकी राम से प्यार करती है, तो वह पीछे हट जाती है और अपनी बहन को उससे शादी करने देती है। यह के राघ्वेन्द्र राव की तेलुगु ब्लॉकबस्टर देवता (1982) की प्रत्यक्ष रीमेक थी, जिसमें से श्री देवी और जयाप्रदा ने अपनी भूमिकाओं को इस फिल्म में दोहराया।

संक्षेप संपादित करें

जानकी (जयाप्रदा) और ललिता (श्री देवी) दो बहने हैं, उन दोनों को एक दूसरे से बहुत प्यार रहता है। ललिता और राम (जितेन्द्र) मन ही मन एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। वहीं जानकी को भी राम से प्यार हो जाता है। जब ललिता को पता चलता है कि जानकी को राम से प्यार है तो वो अपने प्यार को मन में दबाने का फैसला करती है। वो इस कारण एक लड़के (शक्ति कपूर) से शादी कर लेती है, जिसे शादी के तुरंत बाद ही पुलिस पकड़ कर ले जेल ले जाती है। ललिता के उद्देश्य का पता न होने के कारण राम और जानकी उसके ऊपर बहुत गुस्सा होते हैं।

ललिता उन दोनों से दूर चले जाती है और कई सालों तक उन्हें नजर तक नहीं आती है। राम और जानकी शादी कर लेते हैं और खुशी खुशी रहने लगते हैं। उन्हें बस एक ही दुःख होता है कि उनके बच्चे नहीं है। कई सालों के बाद राम की मुलाक़ात ललिता से होती है। वो एक ऑफिस में काम करती है और अपने बच्चे को पाल रही होती है। राम को एहसास होता है कि ललिता के बच्चे का पिता और कोई नहीं, बल्कि वो खुद है। राम का ध्यान अपने बच्चे पर जाने लगता है। वहीं जानकी भी माँ बनने वाली होती है। उसे अपनी बहन के वापस आने के बारे में पता चलता है, पर वो पूरी परिस्थिति को ही गलत समझ लेती है और उसे लगने लगता है कि राम और ललिता के बीच चक्कर चल रहा है। बाद में सारी गलतफहमी दूर हो जाती है और ललिता की सच्चाई भी सामने आती है कि वो बहुत पहले से राम से प्यार करती थी, पर उसके लिए उसने अपने प्यार को मन में दबा दिया था। जानकी ये सब जान कर अपने आप को कसूरवार सोचने लगती है। वो एक बच्ची को जन्म देने के बाद मर जाती है और अपनी संतान को राम और ललिता की देखरेख में छोड़ देती है।

मुख्य कलाकार संपादित करें

संगीत संपादित करें

सभी गीत इन्दीवर द्वारा लिखित; सारा संगीत बप्पी लहरी द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."एक आँख मारूँ तो"किशोर कुमार, आशा भोंसले5:19
2."गोरी तेरे अंग अंग में"किशोर कुमार, आशा भोंसले7:12
3."ओ मिलन मौजों से"आशा भोंसले, एस॰ पी॰ बालसुब्रमण्यम5:40
4."अलबेला मौसम"लता मंगेशकर, किशोर कुमार, बालिका कविता5:39
5."तोहफा तोहफा तोहफा"आशा भोंसले, किशोर कुमार5:42

नामांकन और पुरस्कार संपादित करें

प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति पुरस्कार वितरण समारोह श्रेणी परिणाम
शक्ति कपूर फिल्मफेयर पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार नामित
बप्पी लहरी फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार नामित
इन्दीवर ("तोहफा तोहफा तोहफा") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार नामित

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "आखिरकार,सालों बाद हुई श्रीदेवी-जयप्रदा की दोस्ती". पत्रिका. 2 दिसम्बर 2015. मूल से 29 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 जनवरी 2019.
  2. "TRIBUTE : 1984 में श्रीदेवी ने दिया था बॉलीवुड को मार्केटिंग स्ट्रैटेजी 'तोहफा'". फर्स्टपोस्ट. 25 फरवरी 2018. मूल से 29 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 जनवरी 2019.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें