दादा भगवान (7 नवंबर 1908 - 2 जनवरी 1988), भारत के एक आध्यात्मिक नेता थे, जिन्होंने अक्रम विज्ञान आन्दोलन की स्थापना की थी। कम उम्र से ही उनका धार्मिक झुकाव था। लोग इन्हें दादाश्री के नाम से भी जानते थे। इनका वास्तविक नाम अंबालाल मूलजीभाई पटेल था। इन्हें 1958 में "आत्म-साक्षात्कार" प्राप्त हुआ।

दादा भगवान
जन्म अंबालाल मूलजीभाई पटेल (ए.एम. पटेल)
7 नवम्बर 1908
मौत 2 जनवरी 1988(1988-01-02) (उम्र 79 वर्ष)
राष्ट्रीयता भारतीय

अम्बालाल मूलजीभाई पटेल (ए.एम. पटेल) का जन्म 7 नवंबर 1908 को बड़ौदा (अब गुजरात, भारत में) के पास एक गाँव तरसाली में हुआ था। उनके माता-पिता, मुल्जिभाई और झावेरबा, वैष्णव पाटीदार थे। इनका लालन पालन मध्य गुजरात के भद्रन, खेड़ा जिले में हुआ।

ऐसा कहा जाता है कि, जब वह तेरह वर्ष के थे, तब उन्हें एक संत ने आशीर्वाद दिया था उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। सन 1924 में हीराबेन नाम की एक स्थानीय गाँव की लड़की से विवाह हो गया।

बाद में वे जैन भिक्षु श्रीमद राजचन्द्र के लेखन से भी प्रभावित हुए, जो महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु और गृहस्थ और धार्मिक शिक्षक थे, जिनके शिक्षण ने बाद में नए धार्मिक आंदोलन को प्रेरित किया। उन्होंने अस्थायी ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू किया और बाद में आजीवन ब्रह्मचर्य की वंदना की।

वह बम्बई चले गए जहाँ उन्होंने पटेल एंड कंपनी के लिए एक ठेकेदार के रूप में सफलतापूर्वक काम किया। वह कंपनी बम्बई बंदरगाह में ड्राई डॉक का रखरखाव और निर्माण का काम करती थी।[1][2]

उन्होंने जून 1958 में सूरत रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर एक बेंच पर बैठकर आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने का दावा किया। हालाँकि आत्म-साक्षात्कार की बात शुरुआत के दिनों में जाहिर नही की गई थी। उनके इस अनुभव के बाद, एक करीबी रिश्तेदार ने उन्हें आध्यात्मिक नाम, दादा कह कर संबोधित करना शुरू कर दिया।[1]

दादा भगवान ने एक अध्यात्मिक आंदोलन की शुरुआत कि जिसे अक्रम विज्ञान आन्दोलन कहा गया। यह आन्दोलन 1960 के दशक में गुजरात से शुरू होकर बाद में दुनिया भर में महाराष्ट्र और गुजराती प्रवासी समुदायों में फैल गया।[1][2]

आंदोलन का विस्तार 1960 और 1970 के दशक में दक्षिणी गुजरात और महाराष्ट्र में और पूर्वी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और ब्रिटेन में गुजराती प्रवासियों में हुआ। 1983 में, उनके लगभग 50,000 अनुयायी थे।[1][2]

2 जनवरी 1988 को उनका निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार में लगभग 60000 अनुयायी शामिल हुए थे।[1][3]

पुस्तकें

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दादा भगवान ने निम्नलिखित पुस्तकों को अब अंग्रेजी में अनुवादित किया है:

स्थानों के नाम

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2012 में, अहमदाबाद नगर निगम ने विसट चौराहे और साबरमती चौराहे के बीच की सड़क को पूज्य दादा भगवान रोड और ज़ुंदल सर्कल को दादा भगवान सर्कल के रूप में नामित किया है।[4]

लोकप्रिय संस्कृति में

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फ्रेंच-अल्जीरियाई निर्देशक सलीम खस्सा द्वारा निर्देशित 2012 की फिल्म डेस्पेरेट एंडेवर में दादा भगवान की भूमिका गुलशन ग्रोवर द्वारा चित्रित किया गया था।[5][6]

इन्हें भी देखें

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  1. Flügel, Peter (2005). King, Anna S.; Brockington, John (संपा॰). Present Lord: Simandhara Svami and the Akram Vijnan Movement (PDF). The Intimate Other: Love Divine in the Indic Religions. New Delhi: Orient Longman. पपृ॰ 194–243. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788125028017. मूल (PDF) से 12 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2020.
  2. Wiley, Kristi L. (17 June 2009). The A to Z of Jainism. Scarecrow Press. पपृ॰ 167–168. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8108-6337-8. मूल से 22 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2020.
  3. Dada Bhagwan (2 April 2015). Adjust Everywhere: Conflict Resolution. Dada Bhagwan Aradhana Trust. पपृ॰ 5–10. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-89725-00-6. मूल से 21 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2020.
  4. John, Paul (10 मई 2012). "The Ahmedabad Municipal Corporation (AMC) has christened a stretch on SP Ring road and a circle after a revered saint Dada Bhagwan. The standing committee passed a resolution on Thursday renaming the stretch between Visat crossroads and Sabarmati crossroads as Pujya Dada Bhagwan road while the Zundal circle has been named as Dada Bhagwan circle". टाइम्स ऑफ इंडिया.
  5. "Gulshan Grover plays a Godman". टाइम्स ऑफ इंडिया. 17 अगस्त 2011.
  6. "Gulshan Grover wins best actor at NY fest". हिंदुस्तान टाइम्स. 26 अगस्त 2011. मूल से 9 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2020.