देवरी
देवरी (Deori) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है और एक विधानसभा निर्वाचनक्षेत्र भी है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर सागर से 62 किमी दूर पड़ती है।[1][2]
देवरी Deori | |
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निर्देशांक: 23°23′20″N 79°00′54″E / 23.389°N 79.015°Eनिर्देशांक: 23°23′20″N 79°00′54″E / 23.389°N 79.015°E | |
प्रान्त | मध्य प्रदेश |
ज़िला | सागर ज़िला |
ऊँचाई | 360 मी (1,180 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 25,632 |
भाषाएँ - Bundelkhandi , hindi | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 470226 |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | IN-MP |
वाहन पंजीकरण | MP |
विवरण
संपादित करेंदेवरी नगर में दो नदियाँ शहर के बीचोबीच बहती हैं - सुखचेन नदी और झुनकू नदी। नौरादेही अभयारण्य से सटे देवरी नगर में पेड़ अधिक हैं और देवरी में प्राचीन गोंडवाना राज्य का किला है देवरी कलाँ मै 70 पंचायते आती है। देव श्री दूध का बड़ा कारोबार है जिसका टर्नओवर 20 करोड रुपए प्रति साल है
वॉर्ड
संपादित करेंदेवरी मैं 15 वार्ड हैं:
- देव खंडेराव वार्ड
- तिलक वार्ड
- बाजार वार्ड- सिद्ध एवं प्राचीन श्री विदेह हनुमान मंदिर व श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर एवं आनंद दीक्षित का निवास है
- शास्त्री वार्ड
- अंबेडकर वार्ड
- महाकाली वार्ड
- सुभाष वार्ड- पर्यावरण संरक्षक एवं गौ सेवक पंडित रजनीश मिश्रा जी का निवास है जिन्हें ग्रीन मेन व तीसरी अदालत के नाम से जाना जाता है
- लक्ष्मी वार्ड
- महाकौशल वार्ड
- जवाहर वार्ड
- गांधी वार्ड
- सुखचैन वार्ड
- पृथ्वी वार्ड
- पटेल वार्ड
- झुनुकू वार्ड
धर्म
संपादित करेंदेवरी की सामुदायिक चिकित्सालय के सामने एक स्वामी विवेकानंद जी की आदमकद प्रतिमा की स्थापना करके देवरी मै एक रचनात्मक और ऐतिहासिक कार्य किया। जहाँ प्रतिमा की स्थापना हुई है अब वह स्थान 'स्वमी विवेकानंद चौराहा' नाम कहलाने लगा है। अव यहाँ पर सुबह से शाम तक चहल पहल बनी रहती है। विवेकानंद प्रतिमा के चारो तरफ लोग बैठे रहते हैं , यहा से गुजरने वाली प्रत्येक बस रुकती है। यात्री यहां रुकते हे बैठते है अपनी अपनी बस का इंतजार करते है और महापुरूष के दर्शन का भी लाभ लेते हैं। वहाँ पर "जय माँ भवानी दुर्गा मंडल" द्वारा 30 वर्षो से अनवरत माँ भगवती जी स्थापना होती आ रही है और नौ दिन का इस भावनात्मक नजारे को देखने के लिऐ देवरी विधानसभा के हजारो श्रद्धालु स्वामी विवेकानंद चौराहे पर ये अदभुद संगम देखने आते है। माँ भगवती जी के साथ स्वामी विवेकानंद जी की भी सुबह शाम पूजा पाठ होती है विवेकानंद जी भी देवी जी के बहुत बडे उपासक थे। आस एक उम्मीद संस्थान के सभी सदस्य 12 जनवरी को प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद जी की जयन्ती बडे धूमधाम से मनाते हैं।
बोली
संपादित करेंदेवरी कलाँ में मुख्य रूप से क्षेत्रीय बुंदेलखंडी भाषा बोली जाती है। और बुंदेलखंडी कहावते भी है जैसे -
- कनवा से कनवा केहो तुर्तई जेहे रूठ (टूट )। और धीरे-धीरे पूछ ले कैसे गई है फूट।। तुर्तई = तुरंत, कनवा = " एक आंख का "।
- उनके बिना कोन मडवा अटको ।मडवा यानी= शादी का मंडप ,
- जब शादी के मंडप का काम बिना फूफा और जीजा दामाद के नही होता तब बोलते हे ये बुंदलखंडी कहावत ।।
- ओई पातर मै खाय ओई मै छेद करे।
- कतन्नी सी जीव चलत है ठठरया की।
- करो ने धरो शनिचर लगो।
- काजर लगातई आंख फूट गई जो काजर तो कनवा कर गओ रे अन्न की सो।
- कोउ को घर जरे, कोउ तापत है।
- खेत के बिजूका।
- गरीब की लुगाई सबकी भौजाई।
- अकौआ से हाथी नई बंदत रे (तोतो)।
- ने एक कओ, ने दो सुनो॥
- अब औदे मो डरे। तोता समुदाय।
- औगना बीना गाडी नई ढडकत। औगना = गाडी के चाक मै डाला जाने वाला जला ऑयल।
- चित्त तुमाई , पट्ट तुमाई (तोता समुदाय)
- रोकत-रोकत मानतई नैया , छातीअई पे हौरा भूजत ( तोता समुदाय )
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293