नामवर सिंह
नामवर सिंह (जन्म: 28 जुलाई 1926[1] वाराणसी (अब चन्दौली) उत्तर प्रदेश निधन: 19 फरवरी 2019[2], नयी दिल्ली) हिन्दी के मूर्धन्य आलोचक, सम्पादक, वक्ता एवं विद्वान रहे हैं। छायावाद, कविता के नए प्रतिमान, दूसरी परम्परा की खोज, वाद विवाद संवाद इत्यादि उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। नामवर सिंह शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबन्धकार तथा मूर्द्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्य रहे। अत्यधिक अध्ययनशील तथा विचारक प्रकृति के नामवर सिंह हिन्दी में अपभ्रंश साहित्य से आरम्भ कर निरन्तर समसामयिक साहित्य से जुड़े हुए आधुनिक अर्थ में विशुद्ध आलोचना के प्रतिष्ठापक तथा प्रगतिशील आलोचना के प्रमुख हस्ताक्षर थे।
नामवर सिंह | |
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जन्म | 28 जुलाई, 1926 जीयनपुर, चंदौली जिला उत्तर प्रदेश |
मौत | 19 फरवरी 2019 नयी दिल्ली |
पेशा | अध्यापन एवं लेखन |
भाषा | हिन्दी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
काल | आधुनिक |
उल्लेखनीय काम | कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परम्परा की खोज |
जीवन
संपादित करेंनामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 ई०[1] को बनारस (वर्तमान में चंदौली ज़िला) के एक गाँव जीयनपुर में हुआ था। लम्बे समय तक 1 मई 1927 को उनकी जन्म-तिथि के रूप में माना जाता रहा है और नामवर जी स्वयं भी अपना जन्म-दिवस इसी तारीख को मनाते रहे हैं, लेकिन यह वस्तुतः स्कूल में नामांकन करवाते वक्त लिखवायी गयी तारीख थी।[3] उन्होंने हिन्दी साहित्य में एम॰ए॰ व पी-एच॰डी॰ करने के पश्चात् बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यापन किया, लेकिन 1959 में चकिया चन्दौली के लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रूप में चुनाव लड़ने तथा असफल होने के बाद उन्हें बी॰एच॰यू॰ छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने क्रमश: सागर विश्वविद्यालय और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया। बाद में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उन्होंने काफी समय तक अध्यापन कार्य किया। अवकाश प्राप्त करने के बाद भी वे उसी विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केन्द्र में इमेरिट्स प्रोफेसर रहे। वे हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी, अपभ्रंश, भोजपुरी, उर्दू, बाङ्ला एवं संस्कृत भाषा भी जानते थे। 19 फरवरी 2019 की रात्रि में नयी दिल्ली स्थित एम्स में उनका निधन हो गया। उन्होंने हिन्दी आलोचना को नयी पहचान दिलायी। वे वास्तव में नामवर आलोचक थे।
प्रकाशित कृतियाँ
संपादित करें- बक़लम ख़ुद - 1951ई॰ (व्यक्तिव्यंजक निबन्धों का यह संग्रह लम्बे समय तक अनुपलब्ध रहने के बाद सन् 2013 ई॰ में भारत यायावर के सम्पादन में राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक प्रारम्भिक रचनाएँ में नामवर जी की उपलब्ध कविताओं तथा विविध विधाओं की गद्य रचनाओं के साथ संकलित होकर पुनः सुलभ हो गया है।)
- हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग - 1952 (मूलतः एम॰ ए॰ कक्षा के लिए लघु शोध-प्रबंध के रूप में लिखित; पुनर्लिखित रूप में 1954 ई॰)
- पृथ्वीराज रासो की भाषा - 1956 (मूलतः पीएच॰डी॰ हेतु शोध-प्रबंध के रूप में लिखित; संशोधित संस्करण 'पृथ्वीराज रासो: भाषा और साहित्य')
- आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ - 1954
- छायावाद - 1955
- इतिहास और आलोचना - 1957
- कहानी : नयी कहानी - 1964
- कविता के नये प्रतिमान - 1968
- दूसरी परम्परा की खोज - 1982
- वाद विवाद संवाद - 1989
- आलोचक के मुख से - 2005 (व्याख्यानों का संकलन, संपादक- खगेंद्र ठाकुर)
- कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता - 2010 (लिखित समीक्षात्मक निबंधों का संकलन; सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- हिन्दी का गद्यपर्व - 2010 (लिखित समीक्षात्मक निबंधों का संकलन; सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- प्रेमचन्द और भारतीय समाज - 2010 (लिखित एवं वाचिक का संकलन; सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- ज़माने से दो दो हाथ - 2010 (लिखित एवं वाचिक का संकलन; सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- साहित्य की पहचान - 2012 (वाचिक का संकलन; सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- आलोचना और विचारधारा - 2012 (वाचिक का संकलन; सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- आलोचना और संवाद - 2018 (लिखित समीक्षात्मक निबंधों का संकलन; सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- पूर्वरंग - 2018 (मुख्यतः आरंभिक रचनाकाल में लिखित समीक्षात्मक निबंधों एवं टिप्पणियों का संकलन; सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- साक्षात्कार-संवाद-
- कहना न होगा - 1994
- बात बात में बात - 2006 (सं• डॉ• समीक्षा ठाकुर)
- सम्मुख - 2012 (सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- साथ साथ - 2012 (सं॰ आशीष त्रिपाठी)
- पत्र-संग्रह-
- काशी के नाम - 2006
- तुम्हारा नामवर
- संकलन-संचयन-
- नामवर संचयिता
- हिन्दी समीक्षा और आचार्य शुक्ल (पूर्व प्रकाशित सामग्रियों का ही विषय-केंद्रित एकत्र प्रस्तुतिकरण)
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जययात्रा (पूर्व प्रकाशित सामग्रियों का ही विषय-केंद्रित एकत्र प्रस्तुतिकरण)
- द्वाभा
- छायावाद: प्रसाद, निराला, महादेवी और पंत (पूर्व प्रकाशित सामग्रियों का ही विषय-केंद्रित एकत्र प्रस्तुतिकरण)
- रामविलास शर्मा (पूर्व प्रकाशित सामग्रियों का ही विषय-केंद्रित एकत्र प्रस्तुतिकरण)
इनके अतिरिक्त नामवर जी के जे॰एन॰यू॰ के क्लास नोट्स भी उनके तीन छात्रों -- शैलेश कुमार, मधुप कुमार एवं नीलम सिंह के सम्पादन में नामवर के नोट्स नाम से प्रकाशित हुए हैं।
सम्पादन कार्य
संपादित करेंअध्यापन एवं लेखन के अलावा उन्होंने 1965 से 1967 तक जनयुग (साप्ताहिक) और 1967 से 1990 तक आलोचना (त्रैमासिक) नामक दो हिन्दी पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।
- सम्पादित पुस्तकें-
- संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो - 1952 (आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के साथ)
- पुरानी राजस्थानी - 1955 (मूल लेखक- डाॅ॰ एल॰ पी॰ तेस्सितोरी; अनुवादक - नामवर सिंह)
- चिन्तामणि भाग-3 (1983)
- कार्ल मार्क्स : कला और साहित्य चिन्तन (अनुवादक- गोरख पांडेय)
- नागार्जुन : प्रतिनिधि कविताएँ राजकमल प्रकाशन
- मलयज की डायरी (तीन खण्डों में)
- आधुनिक हिन्दी उपन्यास भाग-2
- रामचन्द्र शुक्ल रचनावली (सह सम्पादक - आशीष त्रिपाठी)
- शमशेर बहादुर सिंहः प्रतिनिधि कविताएं, राजकमल प्रकाशन
इनके अलावा स्कूली कक्षाओं के लिए कई पुस्तकें तथा कुछ अन्य पुस्तकें भी सम्पादित।
नामवर जी पर केन्द्रित साहित्य
संपादित करें- आलोचक नामवर सिंह (1977) - सं॰ रणधीर सिन्हा
- पहल का विशेषांक - अंक-34, मई 1988 ई० - सं०-ज्ञानरंजन, कमला प्रसाद (यह विशेषांक पुस्तक रूप में भी प्रकाशित हुआ[4], परन्तु लम्बे समय से अनुपलब्ध है।) इसके अलावा पूर्वग्रह (अंक-44-45, 1981ई०) तथा दस्तावेज (अंक-52, जुलाई-सितंबर, 1991) के अंक भी नामवर जी पर ही केन्द्रित थे।[5]
- नामवर के विमर्श (1995) - सं॰-सुधीश पचौरी (पहल, पूर्वग्रह, दस्तावेज आदि के नामवर जी पर केन्द्रित विशेषांकों में से कुछ चयनित आलेखों के साथ कुछ और नयी सामग्री जोड़कर तैयार पुस्तक[6])
- नामवर सिंह : आलोचना की दूसरी परम्परा (2002) - सं॰- कमला प्रसाद, सुधीर रंजन सिंह, राजेंद्र शर्मा - 'वसुधा' का विशेषांक (अंक-54, अप्रैल-जून 2002; पुस्तक रूप में वाणी प्रकाशन से)
- आलोचना के रचना पुरुष : नामवर सिंह (2003) - सं॰ भारत यायावर (पुस्तक रूप में वाणी प्रकाशन से)
- नामवर की धरती (2007) - लेखक - श्रीप्रकाश शुक्ल (आधार प्रकाशन, पंचकूला हरियाणा)
- जे॰एन॰यू॰ में नामवर सिंह (2009) - सं॰ सुमन केसरी
- पाखी का विशेषांक (अक्टूबर 2010) - सं॰ प्रेम भारद्वाज (पुस्तक रूप में नामवर सिंह : एक मूल्यांकन नाम से सामयिक प्रकाशन से)।
- नामवर विचार कोश (2012) - संपादक- महेन्द्र राजा जैन (नयी किताब प्रकाशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली से प्रकाशित)
- बहुवचन का विशेषांक (अंक-50, जुलाई-सितंबर 2016) - हिन्दी के नामवर शीर्षक से (पुस्तक रूप में अनन्य प्रकाशन, शाहदरा, दिल्ली से)।
अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य
संपादित करेंनामवर सिंह महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति (चांसलर) होने से पहले राजा राममोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान के अध्यक्ष (1993-96) भी रह चुके हैं।
सम्मान
संपादित करें- साहित्य अकादमी पुरस्कार - 1971[7]"कविता के नये प्रतिमान" के लिए
- शलाका सम्मान हिंदी अकादमी, दिल्ली की ओर से
- 'साहित्य भूषण सम्मान' उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से
- शब्दसाधक शिखर सम्मान - 2010 ('पाखी' तथा इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसायटी की ओर से)
- महावीरप्रसाद द्विवेदी सम्मान - 21 दिसम्बर 2010
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ (क)नामवर होने का अर्थ (व्यक्तित्व एवं कृतित्व), भारत यायावर, किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली; संस्करण-2012; पृ०-32; (ख)द्रष्टव्य-'कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता' सहित डाॅ० नामवर सिंह की सभी नयी पुस्तकों में दिये गये लेखक परिचय में।
- ↑ "हिंदी के शिखर आलोचक नामवर सिंह का निधन". bbc hindi. मूल से 29 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 मार्च 2019.
- ↑ नामवर होने का अर्थ (व्यक्तित्व एवं कृतित्व), भारत यायावर, किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली; संस्करण-2012; पृष्ठ-32.
- ↑ नामवर सिंह : आलोचना की दूसरी परम्परा, सं॰- कमला प्रसाद, सुधीर रंजन सिंह, राजेंद्र शर्मा, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, संस्करण-2012, पृष्ठ-10.
- ↑ समकालीन सृजन संदर्भ, खंड-1, भारत भारद्वाज, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-2000, पृष्ठ-90.
- ↑ नामवर के विमर्श, संपादक- सुधीश पचौरी, प्रवीण प्रकाशन, महरौली, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-1995, पृष्ठ-15.
- ↑ डॉ॰ गिरिराज शरण अग्रवाल एवं डॉ॰ मीना अग्रवाल हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश (दूसरा भाग) २००६ हिन्दी साहित्य निकेतन, बिजनौर (उ०प्र०) ISBN 81-85139-29-6 पृष्ठ १८७