प्रतापसिंह बारहठ (२४ मई १८९३ - २४ मई १९१८) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिवीर तथा केसरी सिंह बारहठ के पुत्र थे। इनकी माता का नाम माणिक्य कंवर था।

दिल्ली षडयंत्र मुकदमे से जुड़े थे।

बीकानेर रियासत ने इनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी। इन्हें बनारस षडयंत्र मुकदमे में गिरफ्तार किया गया था। बरेली झेल में पुलिस प्रताड़ना में शहीद हो गए थे। अंग्रेज अधिकारी चार्ल्स क्लीवलैंड ने प्रताप सिंह की बहादुरी की प्रशंसा की थी।

उनका जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा के पास देवखेड़ा गांव में २४ मई १८९३ में हुआ था। वे क्रान्तिवीर ठा. केसरी सिंह बारहठ के पुत्र थे। प्रारंभिक शिक्षा कोटा, अजमेर और जयपुर में हुई। क्रांतिकारी मास्टर अमीरचंद से प्रेरणा लेकर देश को स्वतंत्र करवाने में जुट गए।

वे रासबिहारी बोस का अनुसरण करते हुए क्रांतिकारी आन्दोलन में सम्मिलित हुए। रास सिंह बिहारी बोस का प्रताप पर बहुत विश्वास था। २३ दिसम्बर १९१२ को लॉर्ड हर्डिंग्स पर बम फेंकने की योजना में वे भी सम्मिलित थे। उन्हें बनारस काण्ड के सन्दर्भ में गिरफ्तार किया गया और सन् १९१६ में ५ वर्ष के सश्रम कारावास की सजा हुई। बरेली के केंद्रीय कारागार में उन्हें अमानवीय यातनाएँ दी गयीं ताकि अपने सहयोगियों का नाम उनसे पता किया जा सके किन्तु उन्होने किसी का नाम नहीं लिया।

बरेली जेल में चार्ल्स क्लीवलैंड ने इन्हें घोर यातनाएं दी ओर कहा - "तुम्हारी माँ रोती है " तो इस वीर ने जबाब दिया - " में अपनी माँ को चुप कराने के लिए हजारों माँओं को नहीं रुला सकता। " और किसी भी साथी का नाम नहीं बताया।

२४ मई १९१८ को जेल में ही अंग्रेजों की कठोर यातनाओं से वे शहीद हो गये।

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