प्रवेशद्वार:केरल
केरल (केरलम्) (കേരളം) भारत का एक प्रान्त है। इसकी राजधानी तिरुअनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) है। मलयालम् (മലയാളം) यहां की मुख्य भाषा है। हिन्दूओं तथा मुसलमानों के अलावा यहां ईसाई भी बङी संख्या में रहते हैं।भारत की दक्षिण - पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य एक खूबसूरत भूभाग स्थित है, जिसे केरल के नाम से जाना जाता है । इस राज्य का क्षेत्रफल 38863 वर्ग किलोमीटर है और यहाँ मलयालम भाषा बोली जाती है । अपनी संस्कृति और भाषा वैशिष्ट्य के कारण पहचाने जाने वाले भारत के दक्षिण में स्थित चार राज्यों में केरल प्रमुख स्थान रखता है । इसके प्रमुख पडोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक हैं । पोंडिच्चेरी (पुतुच्चेरी) राज्य का मय्यष़ि (माहि) नाम से जाता जाने वाला भूभाग भी केरल राज्य के अन्तर्गत स्थित है । अरब सागर में स्थित केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का भी भाषा और संस्कृति की दृष्टि से केरल के साथ अटूट संबन्ध है । [पूरा पढ़ें] |
चयनित लेख | |
17वीं शताब्दी के केरल के मानवेदन नामक सामूतिरि राजा द्वारा प्रस्तुत दृश्यकला कृष्णनाट्टम कहलाती है । मानवेदन ने श्रीकृष्ण कथा को आधार बनाकर संस्कृत में 'कृष्णगीति' नामक दृश्यकाव्य की रचना की थी। यह कथा अभिनय की दृष्टि से भी श्रेष्ठ थी । इसके अंतर्गत अवतारम्, कालिय मर्दनम्, रासक्रीडा, कंसवधम्, स्वयंवरम्, बाणयुद्धम्, विविधवधम्, स्वर्गारोहणम् नामक कथाएँ आती हैं, जिनकी प्रस्तुति आठ दिनों तक चलती है । कृष्णनाट्टम में नृत्त प्रधान अभिनय का महत्व है । कृष्णनाट्टम में लोक नृत्य परम्परा का प्रभाव लक्षित होता है । गायक श्लोक और पद गाते हैं और अभिनेता उनकी ताल - लय पर नृत्य को प्रधानता देते हुए अभिनय करते हैं । इस की प्रस्तुति में टोपी मद्दल, शुद्ध मद्दल, इडक्का आदि वाद्यंत्रों का प्रयोग होता है । टोपी मद्दल सात्विक वेषों की प्रस्तुति के लिए तथा शुद्ध मद्दल आसुरू वेषों की प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं । चेम्पटा, चेम्पा, अटन्ता, पंचारि आदि तालों पर किया जानेवाला नृत्य 'कृष्णनाट्टम' की विशेषता है । [पूरा पढ़ें] |
चयनित चित्र | |
केरल के व्यञ्जन | |
पर्यटन स्थल | |
केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित कोवालम अपने खूबसूरत बीच और ताड़ के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है। कोवालम के बीच विश्व के सबसे दर्शनीय बीचों में गिना जाता हैं। सुनहरी रेत को चूमती नीली सागर की लहरें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक खीचें चले आते हैं। यहां की खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यावली और वाटर स्पोट्र्स की गतिविधियां भी बड़ी संख्या में सैलानियों को लुभाती हैं।
ब्रिटिश मिशनरी जार्ज अल्फ्रेड बेकर ने कोवालम के विकास में अहम भूमिका निभाई। वह कोवालम की सुंदरता से इतना प्रभावित थे कि वह यहीं के होकर रह गए। उनके पिता हेनरी बेकर और मां ऐमीलिया ने ही सर्वप्रथम केरल में शिक्षा की ज्योति को जलाया था और आज केरल शिक्षा के मामले में सबसे अग्रणी राज्य है। [पूरा पढ़ें]
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