फेसबुक

वैश्विक ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग सेवा
(फेसबुक डॉट कॉम से अनुप्रेषित)

फ़ेसबुक अन्तरजाल पर स्थित एक निःशुल्क सामाजिक नेटवर्किंग सेवा है जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ संपर्क रख सकते हैं। यह मेटा प्लैटफ़ॉर्म्स नामक निजी कंपनी द्वारा संचालित है। इसके प्रयोक्ता नगर, विद्यालय, कार्यस्थल या क्षेत्र के अनुसार गठित किये हुए नेटवर्कों में शामिल हो सकते हैं और आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।[5] इसका आरंभ 2004 में हार्वर्ड के एक छात्र मार्क ज़ुकेरबर्ग ने की थी। तब इसका नाम द फ़ेसबुक था। कॉलेज नेटवर्किग जालस्थल के रूप में आरंभ के बाद शीघ्र ही यह कॉलेज परिसर में लोकप्रिय होती चली गई। कुछ ही महीनों में यह नेटवर्क पूरे यूरोप में पहचाना जाने लगा। अगस्त 2005 में इसका नाम फ़ेसबुक कर दिया गया। फ़ेसबुक में अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी में भी काम करने की सुविधा है।

फ़ेसबुक
प्रकार निजी कंपनी
स्थापना कैम्ब्रिज, मासाचुसेट्स, संयुक्त राज्य[1]
संस्थापक मार्क ज़ुकेरबर्ग
एडुआर्दो सॅवेरिन
डस्टिन मॉस्कोविट्ज़
क्रिस ह्यूज़ेज
मुख्यालय पालो ऑल्टो, कैलीफोर्निया
डबलिन, आयरलैंड (यूरोप, अफ्रीका एवं मध्य-पूर्व के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय)
सिओल, दक्षिण कोरिया (एशिया का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय)
सेवित क्षेत्र विश्वव्यापी
गणमान्य व्यक्ति मार्क झुकरबर्ग (सी.ई.ओ]])
डस्टिन मॉस्कोविट्ज़ (सह-संस्थापक)
शैरिल सैंडबर्ग (मुख्य प्रचा। अधि.)
मैट कोह्लर (प्रोड. मैनेजमेंट के उपाध्यक्ष)
क्रिस क्रिस ह्यूज़ेज (सह-संस्थापक)
रेवेन्यु वृद्धि 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर (2008 अनुमान)[2]
कर्मचारी ८०००+[3]
जालस्थल facebook.com
ऐलेक्सा श्रेणी 2 (मई, 2010 अनुसार)[4]
जालस्थल का प्रकार सामाजिक नेटवर्किंग सेवा
विज्ञापन बैनर ऍड्स, रेफ़रल मार्केटिंग, कैज़ुअल गेम्स
पंजीकरण वांछित
उपलब्ध बहुभाषी
चालू हुई 4 फ़रवरी 2004
वर्तमान स्थिति सक्रिय

2013-2014 में फ़ेसबुक ने भारत सहित 40 देशों के मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से समझौता किया था । इस करार के तहत फ़ेसबुक की एक नई साइट का उपयोग मोबाइल पर निःशुल्क किया जा सकता था। यह जालस्थल फ़ेसबुक का पाठ्य संस्करण था । भारत में रिलायंस कम्युनिकेशंस ( जियो) और वीडियोकॉन मोबाइल (2017 से बन्द) को यह सेवा प्रदान करना था। इसके बाद शीघ्र ही टाटा डोकोमो (2017 से बन्द)पर भी यह सेवा शुरू हो जानी थी । इसमें फोटो व वीडियो के अलावा फ़ेसबुक की अन्य सभी संदेश सेवाएं मिलनी थी। लेकिन फ़रवरी 2016 मे TRAI ने इस समझौते को रद्द] कर दिया था ।

प्रोफाइल

 
फ़ेसबुक चैट वार्तालाप

फ़ेसबुक का उपयोग करने वाले अपना एक प्रोफाइल पृष्ठ तैयार कर उस पर अपने बारे में जानकारी देते हैं। इसमें उनका नाम, छायाचित्र, जन्मतिथि और कार्यस्थल, विद्यालय और कॉलेज आदि का ब्यौरा दिया होता है। इस पृष्ठ के माध्यम से लोग अपने मित्रों और परिचितों का नाम, ईमेल आदि डालकर उन्हें ढूंढ़ सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने मित्रों और परिचितों की एक अंतहीन श्रृंखला से भी जुड़ सकते हैं। फ़ेसबुक के उपयोक्ता सदस्य यहां पर अपना समूह भी बना सकते हैं।[5] यह समूह उनके विद्यालय, कॉलेज या उनकी रुचि, शहर, किसी आदत और जाति का भी हो सकता है। समूह कुछ लोगों का भी हो सकता है और इसमें और लोगों को शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया जा सकता है। इसके माध्यम से किसी कार्यक्रम, संगोष्ठी या अन्य किसी अवसर के लिए सभी जानने वालों को एक साथ आमंत्रित भी किया जा सकता है।

लोग इस जालस्थल पर अपनी रुचि, राजनीतिक और धार्मिक अभिरुचि व्यक्त कर समान विचारों वाले सदस्यों को मित्र भी बना सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरह के संपर्क आदि जोड़ सकते हैं। साइट के विकासकर्त्ता भी ऐसे कई कार्यक्रम तैयार करते रहते हैं, जिनके माध्यम से उपयोक्ता अपनी रुचियों को परिष्कृत कर सकें। फ़ेसबुक में अपने या अपनी रुचि के चित्र (फोटो) लोड कर उन्हें एक दूसरे के साथ बांट भी सकते हैं। ये चित्र मात्र उन्हीं लोगों को दिखेंगे, जिन्हें उपयोक्ता दिखाना चाहते हैं। इसके लिये चित्रों को देखने का अनुमति स्तर निश्चित करना होता है। चित्रों का संग्रह सुरक्षित रखने के लिए इसमें पर्याप्त जगह होती है। फ़ेसबुक के माध्यम से समाचार, वीडियो और दूसरी संचिकाएं भी बांट सकते हैं। फ़ेसबुक ने 2008 में अपना आवरण रूप बदला था।[5]

अश्लीलता

फ़ेसबुक पर बढ़ती अश्लीलता को देखते हुए भारत की महिलाएं इस प्लेटफार्म से दूरी बना रही हैं।[6][7] फ़ेसबुक का वीडियो वाला विंडो खोलते ही अश्लील साहित्य, पोर्न फिल्म, चित्र दिखने लगते हैं। उन्हें देखकर शर्मिंदगी भी महसूस होती है। सबसे बड़ी बात ये है, वह सामग्री ग्राहकों पर ज़बरदस्ती थोपी जा रही है। यूजरों के लाइक, फाॅलो व शेयर करने के बिना ही प्रस्तुत हो जाती है। फ़ेसबुक व यूट्यूब सोशल मीडिया के ऐसे प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं, जिनसे देश की बड़ी आबादी जुड़ी है। मौजूदा वक्त में हर वर्ग फ़ेसबुक इस्तेमाल कर रहा है। अगर आपने गौर किया हो तो लाॅकडाउन के बीच और उसके बाद से ही फ़ेसबुक पर अश्लील चित्रों-वीडियो की भरमार है। फ़ेसबुक पर वीडियो वाले ऑपशन्स को टच करते ही अश्लील फोटोज व वीडियो अपने आप चलने लगते हैं, जबकि ग्राहक न लाइक करता है और न ही फाॅलो।[8][9]

सोशल मीडिया पर अश्लीलता की जड़ें आज इस कदर फैल चुकी हैं जिन्हें काटना मुश्किल है। पुलिस थानों में पंजीकृत होते यौन अपराधों में कम उम्र के युवाओं की संलिप्तता भयाभय करती है। फ़ेसबुक पर उडे़ली जा रही अश्लील लघु फिल्मों को देखकर युवा गलत रास्तों पर चल पड़े हैं। हैदराबाद का हालिया एक केस जिसमें पंद्रह वर्ष के लड़के का कबूलनामा हमें सोचने पर मजबूर करता है, आखिर हम किस राह पर निकल पड़े हैं। आरोपी लड़के ने रिश्तेदार की लड़की से ही दरिंदगी की। उसने बताया घटना को अंजाम देने से पहले उसने सोशल मीडिया पर अश्लील फिल्म देखी, उसके बाद उसने वैसा ही करने को ठानी। सोशल मीडिया पर परोसी जाने वाली गंदगी से किशोरों के मन पर बहुत ख़राब असर पड़ता है।

[10]

स्टेटस अद्यतन

 
फ़ेसबुक का मुख्यालय, पालो ऑल्टो,था और अब भी फ़ेसबुक पर यह अश्लीलता बदस्तूर जारी है ैलीफोर्निया

फ़ेसबुक पर उपयोक्ताओं को अपने मित्रों को यह बताने की सुविधा है कि किसी विशेष समय वे क्या कर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं और इसे 'स्टेट्स अपडेट' करना कहा जाता है। फ़ेसबुक और ट्विटर के आपसी सहयोग के द्वारा निकट भविष्य में फ़ेसबुक एक ऐसा सॉफ्टवेयर जारी करेगा, जिसके माध्यम से फ़ेसबुक पर होने वाले 'स्टेट्स अपडेट' सीधे ट्विटर पर अद्यतित हो सकेंगे। अब लोग अपने मित्रों को बहुत लघु संदेशों द्वारा यह बता सकेंगे कि वे कहाँ हैं, क्याकर रहे हैं या क्या सोच रहे हैं।[11]

ट्विटर पर १४० कैरेक्टर के 'स्टेट्स मैसेज अपडेट' को अनगिनत सदस्यों के मोबाइल और कंप्यूटरों तक भेजने की सुविधा थी, जबकि फ़ेसबुक पर उपयोक्ताओं के लिये ये सीमा मात्र ५००० लोगों तक ही सीमित है। सदस्य ५००० लोगो तक ही अपने प्रोफाइल के साथ जोड़ सकते हैं या मित्र बना सकते हैं। फ़ेसबुक पर किसी विशेष प्रोफाइल से लोगों के जुड़ने की संख्या सीमित होने के कारण 'स्टेट्स अपडेट' भी सीमित लोगों को ही पहुँच सकता है।

सार्वजनिक खाते

सार्वजनिक खाते (पब्लिक पेज) यानी ऐसे पेज जिन्हें हर कोई देख सकता है और लोग जान सकते हैं कि उनके आदर्श नेता, प्यारे पॉप स्टार या सामाजिक संगठन की क्या गतिविधियाँ हैं। फ़ेसबुक के ट्विटर से जुड़ जाने के बाद अब कंपनियाँ, संगठन, सेलिब्रिटी अपने प्रशंसकों और समर्थकों से सीधे संवाद कर पाएँगे, उन्हें बता पाएँगे कि वे क्या कर रहे हैं, उनके साथ फोटो शेयर कर पाएँगे। फिलहाल यह सुविधा पब्लिक पेज प्रोफाइल वालों को ही उपलब्ध है। फ़ेसबुक के सार्वजनिक पृष्ठ (पब्लिक पेज) बनाना हाल के दिनों में काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। पब्लिक पेज बनाने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और रॉक बैंड यू-२ शामिल हैं। इनके अलावा भी कई बड़ी हस्तियों, संगीतकारों, सामाजिक संगठनों, कंपनियों ने अपने खाते फ़ेसबुक पर खोले हैं।[11] ये हस्तियां या संगठन अपने से जुड़ी बातों को अपने प्रशंसकों या समर्थकों के साथ बाँटना चाहते हैं तो आपसी संवाद के लिए फ़ेसबुक का प्रयोग करते हैं।

प्रतिबंध

फ़ेसबुक पर आयोजित पैगंबर मोहम्मद के आपत्तिजनक कार्टून बनाने की प्रतियोगिता में मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोप के कारण पाकिस्तान के एक न्यायालय ने फ़ेसबुक पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। फ़ेसबुक पर चल रही इस कार्टून प्रतियोगिता को ईशनिंदा के कारण पाक में ३१ मई, २०१० तक प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ ही न्यायालय ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को निर्देश जारी किया कि वह ईशनिंदा में बनाए गए कार्टून के मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठाए।[12][13]

बाद में जिस फ़ेसबुक उपयोक्ता ने 'एवरीवन ड्रॉ मोहम्मद डे' प्रतियोगिता आयोजित की थी, उसने यह पृष्ठ हटा लिया है। इसके साथ ही उसने इस अभियान से जुड़ा ब्लॉग भी हटा लिया था।[14]

खतरा

सोश्यल नेटवर्किंग साइट फ़ेसबुक इंटरनेट के माध्यम से जुड़े लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बनती जा रही है। परंतु कुछ साइबर विशेषज्ञ फ़ेसबुक से उत्पन्न खतरों के बारे में समय समय पर आगाह करते रहते हैं। चीफ सैक्यूरिटी ऑफिसर ऑनलाइन नामक सामयिक के वरिष्ठ सम्पादक जॉन गूडचाइल्ड के अनुसार कई कम्पनियाँ अपने प्रचार के लिए फ़ेसबुक जैसे नेटवर्किंग माध्यम का उपयोग करना चाहती है परंतु ये कम्पनियाँ ध्यान नहीं देती कि उनकी गोपनियता अभी भी अनिश्चित है।

सीबीसी न्यूज़ के 'द अर्ली शॉ ऑन सैटर्डे मॉर्निंग' कार्यक्रम में गूडचाइल्ड ने फ़ेसबुक से उत्पन्न पाँच ऐसे खतरों के बारे में बताया जिससे निजी और गोपनीय जानकारियों की गोपनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।[15] ये इस प्रकार से हैं:

  • डाटा बांटना: यहां दी गई जानकारी केवल घोषित मित्रों तक ही सीमित नहीं रहती है, बल्कि वह तृतीय पार्टी अनुप्रयोग विकासकर्त्ताओं (थर्ड पार्टी अप्लिकेशन डेवलपर) तक भी पहुँच रही हैं।
  • बदलती नीतियां: फ़ेसबुक के हर नये संस्करण रिलीज़ होने के बाद उसकी प्राइवेसी सेटिंग बदल जाती है और वह स्वत: डिफाल्ट पर आ जाती है। प्रयोक्ता उसमें बदलाव कर सकते हैं परंतु काफी कम प्रयोक्ता इस ओर ध्यान दे पाते हैं।
  • मैलावेयर: फ़ेसबुक पर प्रदर्शित विज्ञापनों की प्रामाणिकता का कोई वादा नहीं है। ये मैलावेयर हो सकते हैं और उनपर क्लिक करने से पहले उपयोक्ताओं को विवेक से काम लेना चाहिये।
  • पहचान उजागर: उपयोक्ताओं के मित्र जाने अनजाने उनकी पहचान और उनकी कोई गोपनीय जानकारी दूसरों से साझा कर सकते हैं।
  • जाली प्रोफाइल: फ़ेसबुक पर सेलिब्रिटियों को मित्र बनाने से पूर्व उपयोक्ताओं को ये चाहिये कि पहले उनकी प्रोफाइल की अच्छी तरह से जाँच अवश्य कर लें। स्कैमरों के द्वारा जाली प्रोफाइल बनाकर लोगों तक पहुँच बनाना काफी सरल है।

मीडिया प्रभाव

अप्रैल 2011 में, फ़ेसबुक ने फ़ेसबुक पर ब्रांड प्रोन्नति के विकास में मदद करने के लिए विपणक और रचनात्मक एजेंसियों के लिए एक नया पोर्टल लॉन्च किया। फरवरी 2010 में "प्रभावकारी शिखर सम्मेलन" में फ़ेसबुक के शीर्ष अधिकारियों से मिलने के लिए ब्रिटिश विज्ञापन नेताओं के एक समूह का चयन करके आमंत्रित किया गया।फ़ेसबुक अब ट्रू ब्लड, अमेरिकन आइडल और टॉप गियर के अभियानों में शामिल है।[1]

सामाजिक प्रभाव

सामाजिक नेटवर्किंग सेवा § सामाजिक प्रभाव, इंटरनेट का सामाजिक प्रभाव § सामाजिक नेटवर्किंग और मनोरंजन, और सामाजिक राजधानी।मुखय पृष्ठ फ़ेसबुक ने विभिन्न तरीकों से लोगों के सामाजिक जीवन और गतिविधि को प्रभावित किया है।फ़ेसबुक, कंप्यूटर, या मोबाइल फोन का उपयोग करने वाले लोगों को मित्रों, रिश्तेदारों और अन्य परिचितों के संपर्क में लगातार बने जब तक कि इंटरनेट तक पहुंच हो।यह खो दिया परिवार के सदस्यों और दोस्तों को फिर से मिलाता है।यह उपयोगकर्ताओं को विचारों को व्यापार करने की अनुमति देता है, स्थानीय या वैश्विक विकास के साथ सूचित रखता है। फ़ेसबुक से सामाजिक प्रभाव इतना बदल गया है कि लोग कैसे संवाद करते हैं।ई-मेल के जरिए दूसरों को उत्तर देने की बजाय फ़ेसबुक उपयोगकर्ताओं को दूसरों को सामग्री प्रसारित या साझा करने की अनुमति देता है, और इस प्रकार दूसरों को संलग्न करने या दूसरों के पदों के साथ जुड़ा हुआ है।

भावनात्मक स्वास्थ्य प्रभाव

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि फ़ेसबुक ईर्ष्या की भावनाओं को ट्रिगर करके आत्मसम्मान पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।छुट्टी और छुट्टियों के फोटो के साथ बड़ी असंतोष होने साबित ट्रिगर है।एक स्पष्टीकरण यह है कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को आम तौर पर फ़ेसबुक के बीच अपना समय विभाजित करते हैं और वास्तविक दुनिया में बातचीत करते हैं।जब वास्तविक जीवन में कुछ मनोरंजक होता है, तो लोगों को इसे साझा करने की आवश्यकता महसूस होती है।हालांकि किसी बिंदु पर लोग एक वास्तविकता के स्थान पर दूसरे के साथ शुरू करना शुरू करते हैं,नतीजतन, लोग अपने व्यवहार को बदलना शुरू करते हैं,यहां तक ​​कि जीवन के बारे में उनकी मान्यताओं को भी बदलना शुरू करते हैं फ़ेसबुक की वास्तविकता के आधार पर,इससे संज्ञानात्मक असंतोष होता है।धारणाओं और विश्वासों के बीच इस तरह की विसंगतियां लोगों की भावनात्मक संतुलन को नुकसान पहुंचा सकती हैं और उन्हें पहचान भ्रम, रिश्ते संघर्ष, निर्णय में परिवर्तन और यहां तक ​​कि मानसिक विराम का भी अनुभव कराती है।

राजनीतिक प्रभाव

अग्रिम जानकारी :संयुक्त राज्य अमेरिका में सोशल मीडिया और राजनीतिक संचार 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति अभियान में सोशल मीडिया पर एक लाख से अधिक लोगों को भाग लेने के लिए,फ़ेसबुक एप्लिकेशन को अमेरिकी राजनीति ने स्थापित किया।फ़ेसबुक और ट्विटर जैसे नए सोशल मीडिया ने व्यक्तिगत कंप्यूटर और इंटरनेट का इस्तेमाल किया, और 2010 के बाद से लाखों लोगों, खासकर 35 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ जुड़ने के लिए स्मार्ट फोन का इस्तेमाल किया।2008 तक, राजनेताओं और हित समूहों ने अपने संदेश को प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया के व्यवस्थित उपयोग के साथ प्रयोग किया।[16][17]

जैसा कि अमेरिकी राजनीतिक रणनीतिकारों 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना ध्यान बदलते हैं,वे एक तेजी से महत्वपूर्ण विज्ञापन उपकरण के रूप में फ़ेसबुक की पहचान करते हैं।हाल ही में तकनीकी नवाचारों ने मतदाताओं के संभावित अधिक उन्नत डिवीजनों और उप-विभाजन किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण, फ़ेसबुक अब छोटे, अत्यधिक लक्षित सबसेट पर वीडियो विज्ञापन वितरित कर सकता है।इसके विपरीत, टेलीविजन, सभी दर्शकों को एक ही विज्ञापन दिखाता है, और इसलिए सटीक रूप से सिलवाया नहीं जा सकता।[18]

फ़ेसबुक छोड़ो अभियान

हाल ही में फ़ेसबुक ने अपने सुरक्षा नियमों को पहले से कुछ कड़ा कर दिया है जिसके कारण इसके उपयोक्ताओं में काफी रोष दिखा है। इसके कड़े सुरक्षा नियमों से नाराज उपयोक्ताओं ने एक समूह बनाकर फ़ेसबुक पर फ़ेसबुक के विरुद्ध ही अभियान चला दिया है।[19] उन्होंने ने एक साइट बनाई है क्विटफ़ेसबुकडे डॉट काम जिसपर फ़ेसबुक उपयोक्ताओं से ३१ मई को फ़ेसबुक छोड़ो दिवस के रूप में मनाने का आहवान किया है। इस वेबसाइट पर संदेश है कि यदि आप को लगता है कि फ़ेसबुक आपकी स्वतंत्रता, आपके निजी डाटा और वेब के भविष्य का सम्मान नहीं करता तो आप फ़ेसबुक छो़ड़ो अभियान में हमारा साथ दे सकते हैं। फ़ेसबुक छोड़ना आसान नहीं है, यह इतना ही मुश्किल है जितना की धूम्रपान छोड़ना लेकिन फिर भी उपयोक्ताओं को अपने अधिकारों के लिए यह करना ही पड़ेगा।[20]

क्विटफ़ेसबुकडे डॉट काम पर अब तक एक हजार से अधिक लोग ३१ मई को अपना फ़ेसबुक खाता समाप्त करने की शपथ ले चुके हैं।

फ़ेसबुक और साहित्य

उत्तर प्रदेश के एक आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने फ़ेसबुक पर अपने अनुभवों तथा अपने कार्यों को पृष्ठभूमि बनाते हुए हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा में एक-एक पुस्तक लिखने का कार्य प्रारम्भ किया है जो बहुत शीघ्र ही प्रकाशित हो जायेंगे. अमिताभ ठाकुर द्वारा ये पुस्तकें फ़ेसबुक संस्थापक मार्क झुकरबर्ग तथा अपने फ़ेसबुक के साथियों को समर्पित किया गया है।

सन्दर्भ

  1. एल्डन, एरिक. (१८ दिसम्बर २००८). "2008 ग्रोथ पुट्स फ़ेसबुक इन बैटर पोज़ीशन टू मेक मनी". वेन्चरबीट. मूल से 19 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-12-19.
  2. "बाय द नंबर्स: बिलियनेर बैचेलर्स". फोर्ब्स. मूल से 10 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 सितंबर 2008.
  3. "प्रेस इन्फ़ो", फ़ेसबुक। अभिगमन तिथि: २७ मई २०१०
  4. फ़ेसबुक जालस्थल - ट्रैफ़िक डीटेल्स फ़्रॉम ऍलेक्सा, ऍलेक्सा इंटरनेट, इंका., मूल से 21 दिसंबर 2016 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि २२ मई २०१०
  5. फ़ेसबुक Archived 2010-06-01 at the वेबैक मशीन। लाइव हिन्दुस्तान। 27 मई 2010
  6. "Facebook पर बढ़ती अश्लीलता को देखते हुए भारत की महिलाएं इस प्लेटफार्म से दूरी बना रही हैं।". 22 Jul 2022.
  7. "Facebook: मेटा का खुलासा, भारत में फ़ेसबुक पर अश्लीलता ज्यादा, महिलाओं ने किया किनारा". 22 Jul 2022.
  8. "सोशल मीडिया के बढ़ते खतरे". Dec 10, 2020.
  9. ""सोशल मीडिया पर परोसी जा रही अश्लीलता से युवा पीढ़ी पर पड़ रहा विपरीत असर"".
  10. "सोशल मीडिया के बढ़ते खतरे". Dec 10, 2020.
  11. फ़ेसबुक ने ट्विटर के लिए खोला गलियारा Archived 2010-03-30 at the वेबैक मशीन। वेबदुनिया। डॉयचे वेले, जर्मन रेडियो
  12. पैगंबर के कार्टून के कारण पाक में फ़ेसबुक बैन Archived 2010-05-23 at the वेबैक मशीन। दैनिक भास्कर। २० मई २०१०
  13. पाकिस्तान में फ़ेसबुक पर प्रतिबंध Archived 2010-05-22 at the वेबैक मशीन। वेबदुनिया। १९ मई २०१०। लाहौर
  14. फ़ेसबुक से विवादित पेज को हटाया Archived 2010-05-27 at the वेबैक मशीन। नवभारत टाइम्स। २२ मई २०१०
  15. फ़ेसबुक के 5 खतरे Archived 2010-07-14 at the वेबैक मशीन|तरकश। १४ मई २०१०
  16. "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मार्च 2017.
  17. "संग्रहीत प्रति". मूल से 15 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मार्च 2017.
  18. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मार्च 2017.
  19. फ़ेसबुक अकाउंट डिलीट करो दिवस Archived 2010-05-24 at the वेबैक मशीन। दैनिक भास्कर। १६ मई २०१०
  20. "क्विटफ़ेसबुकडे डॉट काम". मूल से 26 मई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 मई 2010.

बाहरी कड़ियाँ