एक क्षैतिज तिरंगा, जिसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा रंग है। इसके केंद्र में २४ तिल्लियों वाला एक गहरे नीले रंग का पहिया है, जिसे अशोक चक्र के रूप में जाना जाता है।
प्रथम चतुर्थांश: राष्ट्रीय एकता को दर्शाता राज्य का प्रतीक (सारनाथ का सिंहस्तम्भ); द्वितीय चतुर्थांश: धैर्य और शक्ति को दर्शाते अजंता गुफाओं के हाथी; तृतीय चतुर्थांश: न्याय और अर्थव्यवस्था को दर्शाता पुरानी दिल्ली के लाल किले का तराजू; अंतिम चतुर्थांश: समृद्धि को दर्शाता सारनाथ का कमल कलश।
इस ध्वज में एक सफेद पृष्ठभूमि पर एक ऊर्ध्वाधर और एक क्षैतिज लाल धारी है, जिनके मध्य में सुनहरे पीले रंग का भारतीय राज्य प्रतीक है, और बायीं ओर ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है।
ध्वज का लाल रंग श्रम का प्रतीक है, और इसके बायीं ओर स्थित तीन सफेद ऊर्ध्वाधर धारियाँ राज्य के तीन क्षेत्र; अर्थात् जम्मू, कश्मीर और लद्दाख़ को दर्शाती हैं। इसके अतिरिक्त ध्वज में बाईं और एक सफ़ेद हल भी है। इसकी लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात ३:२ है।
१९१० में पुर्तगाली गणराज्य के लिए पहली बार प्रयोग में लाया गया। पुर्तगाल ने यह ध्वज १९७४ तक पुर्तगाली भारत के लिए प्रयोग किया, जब तक कि उसने भारतीय कब्ज़े को मान्यता नहीं दे दी।
१९६७ (प्रस्तावित)
पुर्तगाली भारत का प्रस्तावित ध्वज।
एफ.पी. दे अलमिडा लंघन्स द्वारा प्रस्तावित। कभी प्रयोग में नहीं लाया गया।
नारंगी, पीले तथा हरे रंग की तीन बराबर लंबाई वाली क्षैतिज धारियां, जिनमें सबसे ऊपर वाली में एक आध खुला कमल है, तथा सबसे नीचे वाली धारी में सूर्य तथा चन्द्रमा है। इसके केंद्र में देवनागरी में वन्दे मातरम् लिखा हुआ है। [Note 1]
इसके ऊपरी बाएं क्वाड्रंट पर यूनियन जैक है, और ऊपर फ्लाई में श्वेत रंग का एक चंद्रमा तथा एक तारा है। इनके अतिरिक्त ७ श्वेत तारों का एक सप्तर्षि भी है, जो हिन्दुओं में पवित्र माना जाता है।[Note 3]
केसरिया, सफेद और हरे रंग की तीन क्षैतिज धारियों वाला ध्वज, जिसके केंद्र में एक छलांग लगाता बाघ है
हालांकि यह ध्वज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में चल रहे आज़ाद हिन्द के सैन्य आंदोलन का प्रतीक था, लेकिन १९३१ में जब आज़ाद हिन्द फ़ौज ने जब मणिपुर के मोइरंग में ध्वजारोहण किया था, तब कांग्रेस के ध्वज का प्रयोग किया गया था।
↑The partition of Bengal (1905) resulted in the introduction of a new Indian flag that sought to unite the multitude of castes and races within the country. The Vande Mataram flag, part of the Swadeshi movement against the British, comprised Indian religious symbols represented in western heraldic fashion. The tricolour flag included eight white lotuses on the upper green band representing the eight provinces, a sun and a crescent on the bottom red band, and the Vande Mataram slogan in Hindi on the central yellow band. The flag was launched in Calcutta bereft of any ceremony and the launch was only briefly covered by newspapers. The flag was not covered in contemporary governmental or political reports either, but was used at the annual session of the Indian National Congress. A slightly modified version was subsequently used by Madam Bhikaji Cama at the Second Socialist International Meeting in Stuttgart. Despite the multiple uses of the flag, it failed to generate enthusiasm amongst Indian nationalists.[7]
↑Around the same time, another proposal for the flag was initiated by Sister Nivedita, a Hindu reformist and disciple of Swami Vivekananda. The flag consisted of a thunderbolt in the centre and a hundred and eight oil lamps for the border, with the Vande Mataram caption split around the thunderbolt. It was also presented at the Indian National Congress meeting in 1906.[8] Soon, many other proposals were initiated, but none of them gained attention from the nationalist movement.
↑In 1916, Suraiya Tayyabji submitted thirty new designs, in the form of a booklet funded by members of the High Court of Madras. These many proposals and recommendations did little more than keep the flag movement alive. The same year, Annie Besant and Bal Gangadhar Tilak adopted a new flag as part of the Home Rule Movement. The flag included the Union Jack in the upper left corner, a star and crescent in the upper right, and seven stars displayed diagonally from the lower right, on a background of five red and four green alternating bands. The flag resulted in the first governmental initiative against any nationalistic flag, as a magistrate in Coimbatore banned its use. The ban was followed by a public debate on the function and importance of a national flag.[9]