मकर राशि

सभसे अच्छे राशी

मकर राशि बारह राशियों के समूह में १०वीं है। इसका स्वामी शनि है।

मकर
मकर, अर्थात मगरमच्छ
मकर, अर्थात मगरमच्छ
मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला
वृश्चिक धनु मकर कुम्भमीन
राशि चिह्न मगरमच्छ
अवधि (ट्रॉपिकल, पश्चिमी) 21 दिसम्बर – 19 जनवरी (2024, यूटीसी)
नक्षत्र मकर तारामंडल
राशि तत्त्व पृथ्वी
राशि गुण कार्डिनल
स्वामी शनि
डेट्रिमेण्ट चंद्र देव
एग्ज़ाल्टेशन मंगल
फ़ॉल बृहस्पति
खगोलशास्त्र प्रवेशद्वार खगोलशास्त्र परियोजना

मकर राशि के जातक दुबले-पतले शरीर के होते हैं और इनकी लंबाई औसत होती है। मकर राशि के जातकों को एक बारगी देखने पर यकीन नहीं होता हैं। ये लोग बड़े समूह या संगठन का सफल संचालन कर रहे हैं। मकर राशि के जातक आत्म-केंद्रित होते हैं। मकर जातक स्वभाव से ज़िद्दी होते हैं। इसके अलावा मकर राशि के लोग अधिक महत्वाकांक्षी, गंभीर और अपने काम के प्रति समर्पित रहने वालों में से होते हैं। बचपन में इन्‍हें देखें तो लगता है पता नहीं कब बड़े होंगे और कब अपने पैरों पर खड़े होंगे, लेकिन किशोरावस्‍था में अचानक तेजी से बढ़ते हैं और इतना विकास करते हैं कि अचानक युवा दिखाई देने लगते हैं। यह अवस्‍था भी इतने अधिक लम्‍बे समय तक रहती है कि साथ के युवक अधेड़ दिखने लगते हैं और इन पर जैसे अवस्‍था का असर ही दिखाई नहीं देता। यह त्‍याग और बलिदान की राशि है। कृष्‍णामूर्ति बताते हैं कि जो व्‍यक्ति पिछले जन्‍म में अपना बलिदान देता है वह इस जन्‍म में मकर राशि में पैदा होता है। मकर राशिके लोग उत्तराषाढ़ नक्षत्र (3 चरण),श्रवण नक्षत्र (4 चरण),धनिष्ठा नक्षत्र (2 चरण) जैसे नक्षत्रसे जुड़े होते है।

प्रकृति संपादित करें

ये जातक मितव्‍ययी, नीतिज्ञ, विवेक बुद्धियुक्‍त, विचारशील, व्‍यावहारिक बुद्धि वाले होते हैं। इनमें विशिष्‍ट संगठन क्षमता होती है। असाधारण सहनशीलता, धैर्य और स्थिर प्रवृत्ति इन्‍हें बड़ा संगठन खड़ा करने में मदद करती है। इन लोगों को उपहास से हमेशा भय लगा रहता है। इस कारण समूह में बोल नहीं पाते। ऐसे में लोग समझते हैं कि ये लोग अंतर्मुखी हैं। इस राशि का स्‍वामी शनि है। शनि अच्‍छा होने पर ये लोग ईमानदार, सजग और विश्‍वसनीय होते हैं और शनि खराब होने पर ठीक उल्‍टा होता है। इन्‍हें एक साथी हमेशा साथ में चाहिए। तब इनका कार्य अधिक उत्तम होता है। इन जातकों में अहंकार, निराशावाद, अत्‍यधिक परिश्रम की कमियां होती हैं। इन्‍हें चिंतन पक्षाघात (एनालिसिस पैरालिसिस) की समस्‍या होती है। जातकों को सजग रहकर इन समस्‍याओं से बचने की कोशिश करनी चाहिए। ये लोग अपने परिजनों से प्रेम करते हैं लेकिन उसका प्रदर्शन नहीं करते। इसलिए परिवार के लोग, यहां तक कि इनकी संतान भी ही समझती है कि उनके पिता उन पर ध्‍यान नहीं देते। एक बात है जो इनके व्‍यवहार के विपरीत होती है वह यह कि जहां समूह में एक भी बाहर का व्‍यक्ति हो तो ये लोग चुप्‍पी मार जाते हैं, लेकिन यदि परिवार के लोग या सभी निकट के परिचित लोग हो तों परिहास की हल्‍की फुल्‍की ऐसी बातें करते हैं कि सभा में उपस्थित सभी लोगों का हंसते हंसते बुरा हाल हो जाता है। इनके लिए शुभ दिन मंगलवार, शुक्रवार और शनिवार होता है। शुभ रंग लाल, नीला और सफेद है। इस राशि के लोग बुद्धिमान होते है

बाहरी कडि़यां संपादित करें

मकर राशि (ज्‍योतिष कक्षा लेख के तहत){{Navbox | name = भारतीय ज्योतिष | title = भारतीय ज्योतिष | listclass = hlist | basestyle = background:#FFC569; | image =  

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|list1= अश्विनी  • भरणी  • कृत्तिका  • रोहिणी  • मृगशिरा  • [[आर्द्रा]

 •  पुनर्वसु  •  पुष्य  •  अश्लेषा  •  मघा  •  पूर्वाफाल्गुनी  •  उत्तराफाल्गुनी  •  हस्त  •  चित्रा  •  स्वाती  •  विशाखा  •  अनुराधा  •  ज्येष्ठा  •  मूल  •  पूर्वाषाढ़ा  •  उत्तराषाढा  •  श्रवण  •  धनिष्ठा  •  शतभिषा  •  पूर्वाभाद्रपद  •  उत्तराभाद्रपद  •  रेवती

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|group3=ग्रह |list3= सूर्य  • चन्द्रमा  • मंगल  • बुध  • बृहस्पति  • शुक्र  • शनि  • राहु  • केतु

|group4=ग्रन्थ |list4= बृहद जातक  • भावार्थ रत्नाकर  • चमत्कार चिन्तामणि  • दशाध्यायी  • गर्ग होरा  • होरा रत्न  • होरा सार  • जातक पारिजात  • जैमिनी सूत्र  • जातकालंकार  • जातक भरणम  • जातक तत्त्व  • लघुपाराशरी  • मानसागरी  • प्रश्नतंत्र  • फलदीपिका  • स्कन्द होरा  • संकेत निधि  • सर्वार्थ चिन्तामणि  • ताजिक नीलकण्ठी वृहत पराशर होरा शास्त्र [{ }] मुहूर्त चिंतामणि {{ }}


|group5=अन्य सिद्धांत |list5= आत्मकारक  • अयनमास  • भाव  • चौघड़िया  • दशा  • द्वादशम  • गंडांत  • लग्न  • नाड़ी  • पंचांग  • पंजिका  • राहुकाल

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मकर राशि मे भो, जा, जी, जू, जे, जो, खा, गा, गी, अक्षर आते है|इस राशि में मंगल उच्च का होता है यह शनि के अधिकार क्षेत्र की राशि है |काल पुरुष चक्र के अनुसार यह राशि पैर में जंघा को सूचित करती है |मकर रशि मे गुरु नीच होता है अर्थात वह वह यहाँ पर अपना सबसे निम्न फल देता है|