म्च्छयाल, हिमाचल प्रदेश में जोगिंदर नगर के पास स्थित एक हिन्दू तीर्थस्थल है। यहाँ विष्णु भगवान के मत्स्य अवतार का मन्दिर भी है, जिसकी लोग पूजा करते हैं। शनिवार के दिन लोग विशेष तौर पर मछलियों को आटा व मीठा आदि खिलाते हैं। ग्रहों आदि के उपायों के लिए भी लोग मच्छयाल में पूजा करते हैं। बैशाखी पर यहां तीन दिन मेला भी लगता है। मान्यता के तौर पर लोग पूजनीय मछली को नथनी भी पहनाते रहे हैं।

मच्छयाल में बहुत बड़ी-बड़ी मछलियां हुआ करती थी, जिनकी संख्या अब कम होती जा रही है। मछलियों के भगवान का एक बहुत ही सुन्दर मन्दिर झील की ऊपर की तरफ है। एक और झील जो इस पवित्र झील से डेढ़ किलोमीटर दूर है, 200 मीटर लम्बी और 20 से 50 मीटर चौड़ी है। यहाँ भी हजारों की संख्या में महाशीर मछलियाँ हैं। भारत का पहला महाशीर फार्म यहाँ से दस किलोमीटर दूर उपरली मच्छयाल में प्रस्तावित था लेकिन अब वह मच्छयाल से डेढ़ दो किलोमीटर की दूरी पर लूणी खड्ड में बनाया गया है।

इतिहास संपादित करें

कहा जाता है कि ३०० वर्ष पहले यहां स्थित शिवलिंग की पूजा करके ही लोग विवाह या दूसरे कार्यक्रमों के लिए बर्तन आदि प्राप्त करते थे। जिस परिवार में विवाह होता था वह परिवार उस शिवलिंग के समक्ष अपनी मन्नत रखकर काम आने वाले बर्तन की प्रार्थना करता था। ऐसा काफी अरसे चलता रहा, मगर किसी परिवार के मन में अधर्म उपजा तब से ही मच्छयाल में बर्तन आदि मिलने की प्रथा खत्म हो गई। लोगों की श्रद्धा में किसी किस्म की कमी नहीं आई और मच्छयाल में स्थित तालाब में लोग स्नान करके अपनी मन्नतें मानते हैं।