मणिशंकर अय्यर

भारतीय राजनीतिज्ञ

मणिशंकर अय्यर (हिन्दी: मणि शंकर अय्यर |तमिल: மணிசங்கர் அய்யர்) (जन्म लाहौर अप्रैल 10, 1941,) एक भूतपूर्व भारतीय राजनयिक हैं जो विदेश सेवा से इस्तीफा देकर 1989-1991 में राजीव गांधी के लिए सक्रिय राजनीतिज्ञ बने। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं और 2009 के चुनाव में अपनी सीट हारने तक पंचायती राज मंत्री रहे। . वह मई 2004 से जनवरी 2006 तक प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम तथा 2009 तक युवा कार्यकलाप और खेल मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री रहे।

मणिशंकर अय्यर
मणिशंकर अय्यर इटानगर के दौरे पर

पूर्व सान्सद
चुनाव-क्षेत्र मयिलाडुतुरै

जन्म 10 अप्रैल 1941 (1941-04-10) (आयु 83)
लाहोर, ब्रिटिश राज
राजनीतिक दल INC
जीवन संगी सुनीत अय्यर
बच्चे 3 पुत्रियां
निवास मयिलाडुतुरै
As of सितंबर 22, 2006
Source: [1]

उन्होंने 14वीं लोक सभा में तमिलनाडु के मायिलादुतुरई निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

प्रारंभिक जीवन

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[[|thumb|right|200px|बाएं से दूसरे मणिशंकर अय्यर, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह]]

 
11th President of India A. P. J. Abdul Kalam administering the oath as Cabinet Minister at a Swearing-in Ceremony in New Delhi on 2004.
 
13th President of India Pranab Mukherjee releasing a book authored by 12th Vice-President of India Mohammad Hamid Ansari, in New Delhi on 2008.

मणिशंकर अय्यर, चार्टर्ड एकाउंटेंट वी. शंकर अय्यर और भाग्यलक्ष्मी शंकर अय्यर के पुत्र हैं। उनके छोटे भाई स्वामीनाथन अय्यर एक पत्रकार हैं। 12 साल की उम्र में एक विमान दुर्घटना में उनके पिता का निधन हो गया।

सेंट वेल्ह्म बॉयज़ स्कूल दून स्कूल और सेट स्टीफन्स कॉलेज, दिल्ली से शिक्षा प्राप्त की। पिता के निधन के बाद है, अय्यर की माता जी को दून के साथ बातचीत करनी पड़ी कि वे कम फ़ीस में उन्हें पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दें और उसके बदले में उन्होंने स्कूल में पढ़ाया.[1]

दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से दो साल का अर्थशास्त्र में ट्राइपोज़ किया जो समय के बीतने के साथ ऑक्सरिज परंपरा में एम.ए. हो गया। वह ट्रिनिटी हॉल के सदस्य थे। कैम्ब्रिज में वह मार्क्सवादी समाज के सक्रिय सदस्य भी थे। कैम्ब्रिज में अय्यर छात्र राजनीति में आए और एक बार एक अध्यक्षीय चुनाव भी जीतने की कोशिश की। दून और कैम्ब्रिज दोनों में उनके कनिष्ठ राजीव गांधी ने उनके अभियान को समर्थन दिया।

अभी तक वह सैनिक फ़ार्म में रहते थे जिसके निर्माण को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अवैध घोषित कर दिया है (जैसा कि पिछली लोकसभा मैम्बर्स ईयरबुक 2006 से पता चलता है).

चित्र:Manishankar.jpg
मणिशंकर अय्यर पार्टी कार्यकर्ताओं से घिरे हुए

वह 26 साल तक भारतीय विदेश सेवा में रहे जिसमें से अंतिम पांच (1985-1989) राजीव गांधी के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रतिनियुक्ति पर रहे।

मीडिया और राजनीति में अपना कॅरिअर शुरू करने के लिए उन्होंने 1989 में सेवा से इस्तीफा दे दिया, 1991,1999 और 2004 में मायिलादुतुरई से कांग्रेस के सांसद के रूप में संसद में आए और 1996, 1998 और 2009 में हार गए।

वह कांग्रेस कार्यकारी समिति के विशेष आमंत्रित और पार्टी के राजनीतिक प्रशिक्षण विभाग और नीति योजना और समन्वय विभाग दोनों के अध्यक्ष हैं। एक सुपरिचित राजनीतिक स्तंभकार होने के अलावा उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें पाकिस्तान पेपर्स और रीमैम्बरिंग राजीव शामिल हैं तथा चार संस्करण वाला प्रकाशन राजीव गांधीज़ इंडिया का संपादन भी किया।

आधारभूत स्तर पर लोकतंत्र, भारतीय विदेश नीति विशेष रूप से भारत के पड़ोसी देशों और पश्चिम एशिया के साथ और परमाणु निरस्त्रीकरण में उनकी विशेष रुचि है।

व्यक्तिगत जीवन

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उन्होंने 4 जनवरी 1973 को सुनीत मणि अय्यर से शादी की थी। उनकी तीन बेटियां हैं, सबसे बड़ी एक वकील है, दूसरी एक विकास सलाहकार है और सबसे छोटी एक भावी इतिहासकार, हार्वर्ड में पीएचडी कर रही है।[उद्धरण चाहिए]

विवादित वक्तव्य

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प्रधानमंत्री मोदी को कहा नीच व्यक्ति [2]

उल्लेखनीय उद्धरण

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  • "महोदय, मेरा माननीय सदस्य को धर्मनिरपेक्ष जवाब यह है कि जहां यह आदमी के हाथ में है तो हम आदमी के पास जाते हैं।"[3]
  • "हर पांच साल, आम जनता निर्धारित करती है कि सरकार कौन बनाएगा. और उन पांच सालों के बीच वर्ग तय करते हैं कि सरकार क्या करेगी."[4]

सावरकर विवाद

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इंडियन ऑयल फाउंडेशन के अध्यक्ष के तौर पर अंडमान जेल को दौरे के दौरान मणिशंकर विवाद में फंसे. मणिशंकर ने यह कहा "फाउंडेशन के अध्यक्ष की हैसियत से मैंने सेलुलर जेल में सावरकर के उद्धरणों से युक्त पट्टिका को हटाने के आदेश दिए.

मेरे अध्यक्ष बने रहने तक पट्टिका को वापस जेल में लगाने का सवाल ही पैदा नहीं होता," उन्होंने पत्रकारों को बताया।

"मैं इस मुद्दे पर माफ़ी नहीं मांगूगा"

सावरकर का समर्थन करते हुए विभिन्न उच्च स्तर के राजनेताओं के साथ राष्ट्रव्यापी विरोध आयोजित किए गए।

मंच के बगल में लकड़ी के खंबे से बंधा हुआ श्री अय्यर का पुतला

एक मंच पर खड़ा किया गया। अपने संक्षिप्त भाषण में श्री बालासाहेब ठाकरे ने श्री अय्यर की टिप्पणी को अस्वीकृत करते हुए यह कहा. "यह अय्यर कौन है और देश की आजादी की लड़ाई के बारे में उसे क्या पता है?" उन्होंने सावरकर के बारे में सुभाष चंद्र बोस और बी. आर. अम्बेडकर जैसे नेताओं के विचार दोहराए.[5]

अय्यर ने चार पुस्तकें लिखी हैं-

  • "रीमैम्बरिंग राजीव" रूपा, नई दिल्ली, 1992
  • "वन ईयर इन पार्लियामेंट", कोणार्क, नई दिल्ली, 1993
  • "पाकिस्तान पेपर्स" UBSPD, नई दिल्ली, 1994
  • "निकरवालाज़, सिली-बिल्लीज़ एंड अदर क्युरियस क्रीचर्स", यूबीएस प्रकाशक, 1995
  • "राजीव गांधीज़ इंडिया", 4 खंड. (सामान्य संपादक), UBSPD नई दिल्ली, 1997
  • "कनफ़ैशन्स ऑफ़ ए सेक्युलकर फ़ंडामेंटालिस्ट" पेंगुइन
  • ए टाइम ऑफ़ ट्रांज़िशन: राजीव गांधी टू 21st सेंचुरी", पेंगुइन, 2009.
  1. "'The IB ultimately came to the conclusion that I was indeed a Marxist, but of the Groucho variety'". Tete-a-tete. The Telegraph - Calcutta (Kolkata). मई 18, 2008. मूल से 2 जुलाई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अक्तूबर 2010.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसंबर 2017.
  3. "पायनियर> स्तंभकार". मूल से 5 फ़रवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
  4. Mani Shankar Aiyar (अक्टूबर 16, 1998). "Stop the review!". रीडिफ On The NeT. मूल से 4 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अक्तूबर 2010.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 17 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अक्तूबर 2010.

बाहरी कड़ियाँ

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राजनीतिक कार्यालय
नया पद Minister of Panchayati Raj
2004 – 2009
उत्तराधिकारी
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