मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय

जनजातियों पर आधारित संग्रहालय

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय (अंग्रेजी: Madhya Pradesh Tribal Museum), मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित एक संग्रहालय है। यह संग्रहालय मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा संचालित होता है। इसमें मध्यप्रदेश में निवासरत जनजातीय समूहों की कला, संस्कृति, परम्परा और जीवन उपयोगी शिल्प चित्रों, रहन-सहन तथा रीति-रिवाज रिवाजों का चित्रों, मूर्तियों एवं प्रदर्शनों के माध्यम से दर्शन कराया गया है[1]। साथ ही समय-समय पर यहां पर कई सांस्कृतिक आयोजन, कार्यशालाएं आदि आयोजित की जाती हैं जिससे कि लोगों को आदिवासी समाज की मान्यताओं कला संस्कृति के बारे में ज्ञान मिल सके। कई प्रादर्श जोकि मूल रूप से आदिवासी संस्कृतियों में उपयोग किए जाते हैं, यहां प्रदर्शित किए गए हैं। इसका लोकार्पण भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने किया[2] था।

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय
ट्राइबल म्यूज़ियम
अवस्थितिभोपाल , भारत
प्रकारमानवविज्ञान संग्रहालय
जालस्थलwww.mptribalmuseum.com

मध्य प्रदेश की प्रमुख जनजातियाँ निम्नलिखित हैं-

यहां पर मध्य प्रदेश की प्रमुख जनजाति जैसे गोंड जिनका मुख्यता निवास बैतूल होशंगाबाद मंडला सागर छिंदवाड़ा बालाघाट तथा शहडोल में है।
भील जिनका निवास मुख्यता झाबुआ अलीराजपुर धार बड़वानी खरगोन एवं रतलाम में है। भील अपने आपको वाल्मीकि और एवं एकलव्य का वंशज मानते हैं। इनकी कई उप जातियां जैसे भिलाला पट्टी लिया बारेला एवं राठिया हैं। टंट्या भील भारत के स्वतंत्रता संग्राम की उल्लेखनीय स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी है जो की इसी जनजाति से आते है।
कोरकू जनजाति मध्य प्रदेश के सतपुड़ा पर्वतमाला क्षेत्र के छिंदवाड़ा बैतूल होशंगाबाद जिले के विभिन्न गांवों में निवास करते हैं।
बैगा जनजाति यह मुख्यता मंडला डिंडोरी शहडोल उमरिया बालाघाट एवं अमरकंटक के वन प्रदेशों में रहते हैं। बैगा जनजाति को छोटा नागपुर क्षेत्र की भूमियां जनजाति से निकली एक शाखा माना जाता है।
कोल मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है एवं इसकी 22 उपशाखाएं हैं।
भारिया' यह मुख्यतः जबलपुर एवं छिंदवाड़ा जिले में निवासरत हैं।
सहरिया यह मध्य प्रदेश के शिवपुरी गुना ग्वालियर मुरैना भिंड विदिशा रायसेन सीहोर एवं बुंदेली जिलों में निवासरत हैं।

इन सभी जनजातियों के सांस्कृतिक तथा सामाजिक परिदृश्य को चित्रों प्रदर्शन एवं कलाकृतियों द्वारा अत्यंत प्रभावी ढंग से इस संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है।

संग्रहालय का समय[3]

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फ़रवरी से अक्टूबर तक - दोपहर 12 बजे से सांय 08 बजे तक
नवम्बर से जनवरी तक - दोपहर 12 बजे से सांय 07 बजे तक
अवकाश - प्रत्येक सोमवार और राष्ट्रीय अवकाशों पर
 
पण्डित विश्व मोहन भट्ट , मोहन वीणा का वादन, फ़रवरी २०१७

चित्रदीर्घा

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  1. "एक संग्रहालय आदिवासियों के नाम". BBC हिंदी. Nov 5, 2014. मूल से 16 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि Dec 3, 2017.
  2. "::Department Of Public Relations,Madhya Pradesh::". Department Of Public Relations,M.P. Dec 3, 2017. मूल से 3 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि Dec 3, 2017.
  3. "मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय". मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय. मूल से 3 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि Dec 3, 2017.

बाहरी कड़ियाँ

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