यादों की बारात
यादों की बारात 1973 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण नासिर हुसैन ने किया और लेखन का कार्य सलीम-जावेद द्वारा किया गया। इसमें धर्मेन्द्र, ज़ीनत अमान, तारिक़ ख़ान, नीतू सिंह, विजय अरोड़ा, अजीत और आमिर ख़ान कलाकार शामिल थे। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में प्रभावशाली रही। यह पहली मसाला फिल्म थी, जिसमें एक्शन, नाट्य, रोमांस, संगीत, अपराध और थ्रिलर शैलियों के तत्व शामिल थे। मसाला भारतीय सिनेमा की सबसे लोकप्रिय शैली बनी और यादों की बारात को इस तरह "पहली" "बॉलीवुड फिल्म" के रूप में पहचाना गया।
यादों की बारात | |
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यादों की बारात का पोस्टर | |
निर्देशक | नासिर हुसैन |
लेखक |
सलीम-जावेद नासिर हुसैन |
निर्माता | नासिर हुसैन |
अभिनेता |
धर्मेन्द्र, विजय अरोड़ा, तारिक़ ख़ान, ज़ीनत अमान |
संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
2 नवंबर, 1973 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
इसने कई कलाकारों के करियर को भी बढ़ावा दिया। ज़ीनत अमान और नीतू सिंह के लिए ये प्रथम व्यावसायिक सफल हिन्दी फिल्म रही और दोनों 1970 के दशक की प्रमुख अभिनेत्री बनी। संगीत निर्देशक आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित, इसे अपने गीतों के लिए अभी भी याद किया जाता है। मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले द्वारा गाया गया "चुरा लिया है", विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसको तेलुगू, तमिल और मलयालम में पुनर्निमित किया गया।
संक्षेप
संपादित करेंशंकर (धर्मेन्द्र), विजय (विजय अरोड़ा), और रतन (तारिक़ खान) तीनों भाई रहते हैं। एक दिन उनके पिता के जन्मदिन के दिन, उनकी माँ उन तीनों को एक गाना "यादों की बारात" सिखाती है। एक दिन उनके पिता शाकाल और उसके गुंडों को डाका डालते हुए देख लेता है। उसके पुलिस में जाने से पहले ही रात को कुछ लोग उसके घर आते हैं और उन तीनों के माता-पिता की हत्या कर देते हैं। शंकर और विजय ये सब देख लेते हैं और भाग जाते हैं। वे लोग रास्ते में ट्रेन में जाने वाले होते हैं, पर विजय से शंकर पिछड़ जाता है।
- कई साल बाद
शंकर आज भी अपने माता-पिता के हत्या वाले दृश्य देख घबरा जाते रहता है। वो अपने दोस्त उस्मान के साथ शहर भर में अपराध करते रहता है। विजय, जिसे एक अमीर आदमी गोद ले लिए रहता है, अब अमीर आदमी की बेटी, सुनीता (ज़ीनत अमान) से प्यार करने लगता है। रतन, जिसे उसके घर काम करने वाली पालते रहती है, उसका नाम बदल कर मोंटो कर देती है। मोंटो अपनी नई पहचान के साथ अपना बैंड बनाता है और होटल में काम करते रहता है। वो उसके साथ काम करने वाली गायिका, (नीतू सिंह) से प्यार करते रहता है।
तीनों भाई कई बार एक दूसरे से मिलते हैं, पर पहचान नहीं पाते हैं। मोंटो और रतन जब गाने के कारण मिलते रहते हैं, तब शंकर को भी पता चल जाता है कि वो दोनों उसके भाई हैं। लेकिन तभी शंकर को उसका बॉस पकड़ लेता है, जो उनके माता-पिता का असली क़ातिल है। जब शंकर को असलियत पता चलती है तो वो शाकाल को ट्रेन के पटरी में मरने के लिए छोड़ चले जाता है। ट्रेन आ कर उसे मार के चले जाती है और तीनों भाई मिल जाते हैं।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- धर्मेन्द्र — शंकर
- विजय अरोड़ा — विजय
- तारिक़ ख़ान — रतन / मोंटो
- ज़ीनत अमान — सुनीता
- अजीत — शाकाल
- नीतू सिंह — "लेकर हम दीवाना दिल" गीत में
- सत्येन कप्पू — जैक
- जलाल आगा — सलीम
- इम्तियाज ख़ान — रूपेश
- शेट्टी — मार्टिन
- आमिर ख़ान — बालक रतन
संगीत
संपादित करेंसभी गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "यादों की बारात निकली है" (I) | लता मंगेशकर, पद्मिनी कोल्हापुरी, सुष्मा श्रेष्ठ | 3:51 |
2. | "यादों की बारात निकली है" (II) | किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी | 3:24 |
3. | "चुरा लिया है तुमने जो दिल को" | आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी | 4:49 |
4. | "लेकर हम दीवाना दिल" | आशा भोंसले, किशोर कुमार | 5:58 |
5. | "आप के कमरे में कोई रहता है" | किशोर कुमार, आशा भोंसले, आर॰ डी॰ बर्मन | 8:46 |
6. | "ओ मेरी सोनी मेरी तमन्ना" | किशोर कुमार, आशा भोंसले | 4:31 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंप्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति | पुरस्कार वितरण समारोह | श्रेणी | परिणाम |
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धर्मेन्द्र | फिल्मफेयर पुरस्कार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित |
आर॰ डी॰ बर्मन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | नामित |
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिसूक्ति पर यादों की बारात से सम्बन्धित उद्धरण हैं। |