लक्ष्मणगढ़
लक्ष्मणगढ़ (Laxmangarh) या लच्छमनगढ़ (Lachhmangarh) भारत के राजस्थान राज्य के सीकर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है।[1][2]
लक्ष्मणगढ़ Laxmangarh लच्छमनगढ़ | |
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निर्देशांक: 27°49′23″N 75°01′30″E / 27.823°N 75.025°Eनिर्देशांक: 27°49′23″N 75°01′30″E / 27.823°N 75.025°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | सीकर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 53,392 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, मारवाड़ी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 332311 |
दूरभाष कोड | 91-1573 |
वाहन पंजीकरण | RJ-23 |
विवरण
संपादित करेंलक्ष्मणगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर सीकर से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। लक्ष्मणगढ़ तहसील में मुख्य गांवों में बठोठ आता है |
इतिहास
संपादित करेंसीकर के राव राजा लक्ष्मण सिंह ने 1805 ई. में बेड़ नामक पहाड़ी पर लक्ष्मणगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था और उन्होंने 1864 ई. में इसके चारों ओर वर्तमान लक्ष्मणगढ़ शहर की स्थापना की थी।
अर्थव्यवस्था
संपादित करेंलच्छमनगढ़ के निवासी मूलरूप से कृषि पर निर्भर है, शेष यहाँ कपड़ा, स्वर्ण, शिक्षा,स्वास्थ्य आदि क्षेत्रो में कार्यरत है। यहाँ का मुख्य बाजार घंटाघर एवं चोपड़ बाजार है।
परिवहन
संपादित करेंक़स्बानुमा लक्ष्मणगढ़ शहर सीकर ज़िला मुख्यालय से लगभग 24 किमी दूरी पर स्थित है। जयपुर, दिल्ली, अजमेर, कोटा और बीकानेर से यह सड़क मार्ग से सीधे जुड़ा हुआ है। जयपुर यहां से क़रीब 160 किलोमीटर (एनएच 52 के माध्यम से 145.2 किमी) है, जबकि राजधानी दिल्ली क़रीब (261.8 किमी एनएच 334 बी के माध्यम से) (283.8 किमी एनएच 9 के माध्यम से) की दूरी पर स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग 52 मार्ग पर स्थित लक्ष्मणगढ़ मीटर गेज रेल लाइन से जुड़ा हुआ था, लेकिन वर्तमान में ब्रोडगज का कार्य चालु है, जो की अब पूरा हो गया है। यहां पर रेल परिवहन की सुविधा भी ह जो जयपुर, चुरू और बीकानेर को जोड़ती है।
पर्यटन
संपादित करेंलक्ष्मणगढ़ का किला, चार चौक हवेली, राधिका मुरली मनोहर मंदिर, चेतराम संगनीरिया हवेली, राठी परिवार हवेली, श्योनारायण कयल हवेली, डाकनियों का मंदिर, कृष्ण वाटिका और श्रद्वानाथ जी का आश्रम दर्शनीय आकर्षण हैं।
हवेलियाँ
संपादित करेंशेखावाटी के राजपूत किलों एवं हवेलियों में बनी सुंदर फ्रेस्को पेंटिंग्स दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इसी के चलते शेखावाटी अंचल को राजस्थान के ओपन आर्ट गैलरी की संज्ञा दी जाती है। 1830 से 1930 के दौरान व्यापारियों ने अपनी सफलता और समृद्धि को प्रमाणित करने के उद्देश्य से सुंदर एवं आकर्षक चित्रों से युक्त हवेलियों का निर्माण कराया। इनमें चार चौक हवेली, चेतराम संगनीरिया हवेली, राठी परिवार हवेली, श्योनारायण कयल हवेली, श्रद्धा नाथ जी का आश्रम आदि प्रमुख हैं। हवेलियों के रंग शानों-शौकत के प्रतीक बने। समय गुजरा तो परंपरा बन गए और अब तो विरासत का रूप धारण कर चुके हैं। कलाकारों की कल्पना जितना उड़ान भर सकती थी, वह सब इन हवेलियों की दीवारों पर आज देखने को मिलता है तहसील मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर गांव गनेड़ी में गिनोड़ियो की हवेली,अशोक स्तम्भ,नागा छतरी, महात्मा ज्योतिबा फुले सर्किल आदि प्रमुख है।
होटल एवं गेस्ट हाऊस
संपादित करेंचांदनी होटल, गणपति होटल, अशीष होटल।
धर्म और समारोह
संपादित करेंसभी प्रमुख हिंदू और मुस्लिम त्योहारों को मनाते हैं। प्रमुख हिंदू त्यौहारों में से कुछ हैं : होली, दीपावली, मकर संक्रांति, रक्षाबंधन, सावन, तीज और गौगा, सहकर्मी, गणगौर आदि। यहाँ पर होली पर विशेष रूप से गींदड़ नृत्य का आयोजन होता है जो देश विदेश में बहुत प्रसिद्ध है।
भौगोलिक स्थिति
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990