लद्दाख़ी-बलती भाषाएँ
लद्दाख़ी-बलती भाषाएँ (Ladakhi–Balti languages), जिन्हें पश्चिमी पुरानी तिब्बती भाषाएँ (Western Archaic Tibetan) भी कहा जाता है, भारत के लद्दाख़ प्रदेश और पाकिस्तान द्वारा अधिकृत गिलगित-बलतिस्तान (जिसे भारत अपना अंग मानता है) में बोली जाने वाली तिब्बताई भाषाओं का एक उप-परिवार है। इसकी अलग-अलग सदस्य भाषाओं को बोलने वाले एक दूसरे को समझने में असमर्थ हैं। यह सभी भाषाएँ यहाँ से दक्षिण में बोली जाने वाली लाहौली-स्पीति भाषाओं की तुलना में मानक तिब्बती भाषा के अधिक दूर भी हैं।[1]
लद्दाख़ी-बलती | |
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Ladakhi–Balti languages | |
भौगोलिक विस्तार: |
लद्दाख़, गिलगिल-बलतिस्तान |
भाषा श्रेणीकरण: | चीनी-तिब्बती |
उपश्रेणियाँ: |
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सदस्य भाषाएँ
संपादित करेंइस भाषा-परिवार की सदस्य भाषाएँ इस प्रकार हैं:
- लद्दाख़ी (लद्दाख़)
- ज़ंग्सकारी (लद्दाख़)
- पुरगी (लद्दाख़)
- बलती (गिलगिल-बलतिस्तान व लद्दाख़)
- चांगथंग (लद्दाख़)
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Nicolas Tournadre. 2014. The Tibetic languages and their classification. In Nathan W. Hill and Thomas Owen-Smith (eds.), Trans-Himalayan Linguistics: Historical and Descriptive Linguistics of the Himalayan Area, 105–129. Berlin: De Gruyter Mouton.