यह पृष्ठ रैंकोजी मन्दिर लेख के सुधार पर चर्चा करने के लिए वार्ता पन्ना है। यदि आप अपने संदेश पर जल्दी सबका ध्यान चाहते हैं, तो यहाँ संदेश लिखने के बाद चौपाल पर भी सूचना छोड़ दें।

लेखन संबंधी नीतियाँ

आपकी सहायता चाहिये संपादित करें

मित्रो! मैंने आज ही रैंकोजी मन्दिर (जापान) के नाम से यह नया पृष्ठ बनाया है। इसे मैंने अपनी ओर से यथासम्भव पूरी कोशिश की है कि सभी वांछित तथ्य आ जायें। स्रोत चूँकि अंग्रेजी विकीपीडिया है जहाँ कई सन्दर्भ जापानी भाषा के भी हैं। क्या कोई सज्जन इसे देखकर चेक करके बता पायेंगे कि वे तथ्य प्रामाणिक भी हैं या नहीं। धन्यवाद डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 07:55, 17 अक्टूबर 2013 (UTC)उत्तर दें

क्रान्त जी, ये सन्दर्भ यदि होते तो विश्वनीय होते लेकिन अफ़सोस ये तीनों लिंक उपलब्द्ध नहीं हैं।
इसके अलावा भी लेख त्रुटियों से भरा हुआ है। यथा :-
वाक्य सम्बंधी: भूमिका में लिखा वाक्य -
  1. जहाँ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अन्तिम सेनानीऽऽऽऽऽऽ ; क्या भास्वसं के सभी सैनिक पहले ही शहीद हो गये थे?
  2. जहाँ एक ओर जर्मनी में अपने पति प्रोफेसर फाफऽऽऽ; वाक्य में विराम चिह्नों का उपयोग आवश्यक।
  3. इस जगह को सबसे पहले स्वतन्त्र भारत केऽऽऽ; क्या इस जगह पहले कोई व्यक्ति नहीं गया? और यदि हाँ तो फिर वो अस्थियाँ किसने रखी?
  4. ऽऽऽजन्म दिया जिसका नाम था अनिता बोस। यह विकिपीडिया लेख है न कि कोई काव्य रचना जिसमें अलंकार और रस का पूरा ध्यान रखा जाये।
  5. ऽऽऽकभी कभार भारत आती रहती है। आप भारत में बैठकर सम्पादन कर रहे हो अतः ऐसा प्रतीत हो रहा है। वाक्य को निरपेक्ष बनाने के लिए "भारत की यात्रा करती हैं" अथवा इससे मिलता जुलता कुछ लिखना चाहिए।
  6. ऽऽऽजाये। और फिर अस्थियों काऽऽऽ; अंग्रेज़ी में फुलस्टॉप, अर्द्धविराम, अल्पविराम आदि के बाद भी And लिखा जाता है लेकिन हिन्दी में ऐसा कोई नियम नहीं है। हिन्दी में किसी भी विराम चिह्न के तुरन्त बाद "और" नहीं आता।
सन्दर्भ रहित वाक्य -
  1. किन्तु यह तथ्य कि वहाँ रखी अस्थियाँ नेताजीऽऽऽ
शाब्दिक त्रुटियाँ अथवा वर्तनी सम्बंधी त्रुटियाँ:
1. इण्टरव्यू (साक्षात्कार), 2. सेफ कस्टडी (सुरक्षा अथवा सुरक्षित अभिरक्षा), 3. स्टेचू (प्रतिमा), 4. तोक्यो।
सन्दर्भ 6, 7, 8 (जापानी भाषा में शीर्षक) वाले पृष्ठ अस्तित्व में नहीं हैं। अर्थात इनसे सन्दर्भित चार तथ्य सन्दर्भहीन हैं।
अनुभाग "अस्थियों पर विवाद" पूर्णतया सन्दर्भहीन है एवं "विवाद का हल" में बहुत ही कम सन्दर्भ हैं।☆★संजीव कुमार (✉✉) 21:47, 6 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
संजीव जी! आप निस्संदेह बहुत विद्वान हैं "ये तीनों लिंक उपलब्द्ध नहीं हैं।" लिखने के बजाय हटा देते तो मुझे प्रसन्नता होती। मैंने आपसे सहायता माँगी थी परन्तु आपने तो बाल में से भी खाल नोचकर लेख के वार्ता पृष्ठ पर परोस दी। आपका भाषायी ज्ञान विलक्षण है जो उपलब्ध को हमेशा उपलब्द्ध ही लिखते हो। अत: मेरा आपसे आग्रह है कि आप इसमें जैसा जी आये सुधार कर दें। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 14:10, 7 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
क्रान्त जी, ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। आप सही कह रहे हैं मैंने हमेशा "उपलब्द्ध" ही लिखा है जबकि सही शब्द "उपलब्ध" है। मैंने यह त्रुटि बहुत जगहों पर की है। समय के साथ उसमें सुधार करुंगा और आगे से उपलब्ध ही लिखुंगा। मैंने पृष्ठ में ये सुधार इस तरह की गलतियों से बचने के लिए ही नहीं किये। मैं जानता हूँ आपका वर्तनी सम्बंधी ज्ञान बहुत अच्छा हैं। मैं तो मेरे बनाये पृष्ठों में वर्तनी सम्बन्धी सुधार का आग्रह अन्य लोगों से करता हूँ। चूँकि ये पृष्ठ "क्या आप जानते हैं?" पर नामांकित है अतः आपसे सुधार का आग्रह कर रहा हूँ।☆★संजीव कुमार (✉✉) 14:17, 7 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
प्रिय संजीव! मैंने इस लेख में यथासम्भव सुधार कर दिया है। जापानी भाषा के सभी सन्दर्भ मैंने अंग्रेजी विकीपीडिया पर दिये गये इसी लेख से कॉपी किये थे अत: उन्हें नहीं हटाया है। इसका कारण बहुत स्पष्ठ है कल को कोई ऐसा व्यक्ति भी इसे देख सकता है जो हिन्दी एवं जापानी भाषाओं का जानकार हो। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 15:02, 7 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
देखते हैं। मैं कुछ अंग्रेज़ी अथवा हिन्दी सन्दर्भ खोजने का प्रयास करुंगा। जापनी सन्दर्भ रखना उचित नहीं है क्यों कि वो पृष्ठ या तो किसी भी समय अस्तित्व में नहीं थे या उन्हें अब हटा दिया गया है अतः वो मृत कड़ियाँ हैं जिनसे वास्तव में हमने कोई तथ्य नहीं लिया। मैं यहाँ सन्दर्भ जोड़कर लेख की पुनः समीक्षा करुंगा। यदि 15 नवम्बर तक (सा:क्या आप जानते हैं के लिए) ऐसा नहीं करता हूँ तो कृपया मेरा ध्यान पुनः आकृष्ठ कर देना।☆★संजीव कुमार (✉✉) 17:57, 7 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
क्रान्त जी मेरे पास दिन के उस समय इण्टरनेट रहता है जब मैं बहुत अधिक व्यस्त होता हूँ, अतः पृष्ठ में सुधार (सन्दर्भित) करना मेरे लिए मुमकीन नहीं हो पा रहा। कृपया आप निम्न सन्दर्भों को उचित स्थानों पर लगा दो जिससे इसे क्या आप जानते हैं में मुखपृष्ठ पर लाना सम्भव हो पाये। इसके अलावा असन्दर्भित भाग को हटा भी सकते हो। द गार्डियन, ज़ी न्यूज़, टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, रिडीफ़, हिन्दुस्तान टाइम्स और जापान टाइम्स। इसके अलावा एक और भी स्रोत है लेकिन उसकी विश्वनीयता की जाँच अभी की नहीं गई है अतः कुछ कह नहीं सकता।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:45, 8 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
  • लेख का पहला वाक्य ही यह कहता है कि "[रैंकोजी मन्दिर में] भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रिम सेनानी सुभाष चन्द्र बोस की अस्थियाँ आज भी सुरक्षित रखी हुई हैं", जिस से यह प्रतीत होता है कि यह एक तथ्य है कि बोस की अस्थियाँ सच्च में वहाँ रखी हुई हैं जबकि ऐसी अटकलें लगाई जाती हैं कि ऐसा कुछ है और जहाँ तक मुझे पता है न तो जापानी सरकार और न ही भारतीय सरकार इस बात की पुष्टि करती हैं कि अस्थियाँ वहाँ हैं। लेख को निष्पक्ष होना चाहिए जिसमें दोनों तरफ़ के तथ्यों को रखा जाए: उनके जो यह मानते हैं कि अस्थियाँ वहाँ हैं और उनके भी जो इसे नकारते है। और मुख्यतः विश्वसनीय स्रोत इसे तथ्य तो बिल्कुल ही नहीं मानते।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 02:12, 18 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
क्रांत जी। खोसला रिपोर्ट के अंश पढ़े जिसमें उनका एक वाक्य है - I am convinced beyond all reasonable doubts। मेरी समझ के अनुसार यह किसी जाँच आयोग का किसी विवादित प्रसंग या तथ्य को पुष्ट करने वाला तटस्थ निर्णय नहीं माना जा सकता है। यह उनका अपना निष्कर्ष है। इसीलिए भूमिका में पुष्टि अथवा निश्चयात्मक वाक्य के स्थान पर मान्यता जोड़ने का सुझाव रखना चाहूँगा। मैं संपादन करना चाह रहा था लेकिन वहाँ चर्चा करने के आशय का संकेत मिला। अन्य स्रोत पढ़कर भी कुछ निश्चयात्मक रूप से नहीं कहा जा सकता। मान्यता और विवाद भी इतिहास का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। हालांकि कुछ उल्लिखित तर्क सशक्त हैं किन्तु एक पुष्ट तथ्य के तौर पर इसे प्रस्तुत करने के पक्ष में नहीं हूँ। धन्यवाद। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 04:47, 18 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
कॉम्पटन जी! एवं तिवारी जी! लेख के सन्दर्भ क्रमांक 1 को विशेष रूप से देखें। इसमें स्पष्ठ लिखा है - (English में).en:DNA India Mar 8, 2007. अभिगमन तिथि: 17 November 2013. "MEA has informed Delhi-based Mission Netaji that the alleged ashes and remains of the freedom fighter are still in Tokyo's Renkoji temple....In a letter dated March two this year, Additional Secretary Ajai Choudhary of the external affairs ministry informed Mission Netaji that as far as the ministry was aware the alleged ashes and remains are still at the Renkoji temple" एमईए अर्थात् मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स (भारत सरकार का विदेश मन्त्रालय) "नेताजी की अस्थियाँ रैंकोजी मन्दिर में रखी हुई हैं" इस मान्यता की पुष्टि करता है और तदनुसार श्रीयुत् अजित तिवारी जी ने इसकी भूमिका में आवश्यक परिवर्तन भी कर दिया है। मेरे विचार से अब तो कोई संशय शेष नहीं रह जाता। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 05:56, 18 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
क्रांत जी। निवेदन है कि भूमिका में इस वाक्य पर (इस तथ्य की पुष्टि जी॰ डी॰ खोसला आयोग की रिपोर्ट में हो चुकी है।) पुनर्विचार करें। मान्यता के आशय वाले वाक्य के बाद इस निश्चयात्मक वाक्य को भूमिका से हटा देना चाहिए। भूमिका में जो संदर्भ आपने दिये हैं वे भी लेख के अन्य अनुभाग में यथास्थान हैं। अतः आप चाहें तो भूमिका से इन संदर्भों को भी हटा दें। मैं संपादन करना चाहता था लेकिन दिये गये सुझाव पर अमल आप ही करें यही उचित होगा। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 06:31, 18 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें
धन्यवाद तिवारी जी! मैंने आपके सुझाव पर भूमिका में आवश्यक परिवर्तन कर दिया है। इसे देख लें और यदि उचित समझें तो यहाँ पर अपनी अनुशंसा करें। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 07:26, 18 नवम्बर 2013 (UTC)उत्तर दें

लेख में दिशाहीन सामग्री संपादित करें

लेख में एक अनुभाग का शीर्षक "इतिहास" है। शीर्षक से स्पष्ट होता है कि इसमें मन्दिर के इतिहास के विषय में लिखा हुआ होगा लेकिन यहाँ तो नेताजी की अस्थियों का इतिहास है जिसे पढ़ने पर लगता है कि यह लेख मन्दिर के स्थान पर नेताजी की अस्थियों के बारे में लिखा गया है। इसी अनुभाग में डीएनए (अंग्रेज़ी), दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण समाचार पत्रों के सन्दर्भ दिये गए हैं जिनमें दैनिक भास्कर और जागरण के सन्दर्भ एक दूसरे की प्रतिलिपि हैं और कहीं भी उस तथ्य का दावा नहीं करती जो लेख में लिखा है तथा दोनों ही समाचार पत्रों ने रैंकोजी के स्थान पर एनकोजी शब्द को काम में लिया है। डीएनए वाले सन्दर्भ के अनुसार विदेश मंत्रालय की २ दिसम्बर १९५४ की घटना से सम्बद्ध बताया गया है।

लेख का शीर्षक जापानी विकिपीडिया पर 蓮光寺 (杉並区) है जिसको देवनागरी लिपि में "लियन गुआंग सी (शानबिंग क़ू)" पढ़ा जा सकता है अतः लेख का शीर्षक भी विवाद का विषय है।

लेख में इसके आगे दिया हुआ सन्दर्भ जिसमें उनकी पुत्री द्वारा दावा किया गया है भी अर्थहीन सा प्रतीत हो रहा है क्योंकि लेख में लिखी पंक्ति के अनुसार नेताजी की अस्थियाँ रैंकोजी मन्दिर में हैं जबकि सन्दर्भ में ऐसा कुछ भी नहीं है।

यहाँ यदि ढ़ंग से देखा जाये तो पूरा लेख ही अपने शीर्षक से काफी दूर निकला हुआ है और इसमें नेताजी के विषय में ही लिखा हुआ है और इससे प्रतीत होता है कि लेख का शीर्षक रैंकोजी मन्दिर के स्थान पर नेताजी की अस्थियाँ होना चाहिए।☆★संजीव कुमार (✉✉) 17:01, 20 सितंबर 2014 (UTC)उत्तर दें

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