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विकि लव्स मॉन्युमेन्ट्स २०१७ का विजेता चित्र

 
चम्पा षष्ठी के दिन महाराष्ट्र के जेजुरी के खंडोबा मंदिर में भक्तों द्वारा हल्दी के चूर्ण उड़ाते हुए हल्दी की होली के त्योहार मनाने का एक दृश्य।
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भारत के इतिहास में गोनन्द नाम के तीन राजा हुए जो प्राचीन काश्मीर के शासक थे। उन्हीं के लिये इस नाम का विशेष प्रयोग हुआ और कल्हण ने अपने काश्मीर के इतिहास राजतरंगिणी में उनका यथास्थान काफी वर्णन किया है। उनके राज्य में स्थित शंकराचार्य पर्वत के शंकराचार्य मंदिर से डल झील और श्रीनगर के शहर के दृश्य।
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जम्मू एवं कश्मीर राज्य के पहलगाम कस्बे के निकटस्थ पहलगाम घाटी का हरा-भरा दृश्य।
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बंगलोर के लाल बाग में कई एकड़ क्षेत्र में फैले लॉन, दूर तक फैली हरियाली, सैंकड़ों वर्ष पुराने पेड़, सुंदर झीलें, कमल के तालाब, गुलाबों की क्यारियाँ, दुर्लभ समशीतोष्ण और शीतोष्ण पौधे, सजावटी फूल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वहां का आकर्षक ग्लास हाउस अनेक दुर्लभ गैर मौसमी वनस्पतियों को संरक्षण देता है।
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हम्पी के निकट तुंग नदी एवं भद्रा नदी के संगम से तुंगभद्रा नदी का उद्गम होता है।
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मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के पाटन के एक गाँव “मोढेरा” मे स्थित है। यह सूर्य मन्दिर हिन्दू मन्दिर स्थापत्यकला एवं शिल्प का बेजोड़ नमूना प्रस्तुत करता है।
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सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वीके काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। इसके फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक पहुँच नहीं पाता है और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।



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"मेक्सिको के मेन प्लाज़ा के फ़र्श निर्माण के समय खुदाई में पाये गए दो पाषाणों का ऐतिहासिक एवं कालक्रमबद्ध विवरण"।

एन्टोनियो दे लियोन याई गामा (१७९२) की पुस्तक से प्रथम चित्र में एज़टेक कैलेण्डरों विशेषकर मेक्सिको में एटेक कैलेण्डर पाषाण की खोज का ब्यौरा है। चित्र में एज़टेक कैलंडर का चित्रण है।



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बाहरी आवरण खोल उतरा हुआ मुर्गी का अण्डा
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वर्नियर मापनी एक फिसलकर चलने वाला द्वितियक स्केल है जो बताती है कि मुख्य स्केल के दो चिह्नों के के बीच में वास्तविक माप कहाँ है।
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बड़े इमामबाड़े का निर्माण लखनऊ के नवाब आसफउद्दौला ने १७८४ में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल ५० मीटर लंबा और १५ मीटर ऊंचा है।
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