विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/लेख/कालभैरवाष्टक

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कालभैरवाष्टक (संपादन|वार्ता|इतिहास|कड़ियाँ|ध्यान रखें|लॉग)
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सिद्धमंगल स्तोत्र (संपादन|वार्ता|इतिहास|कड़ियाँ|ध्यान रखें|लॉग)
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नामांकन के लिये कारण:

ज्ञानकोशीय एवं उल्लेखनीय नहीं। स्वतंत्र लेख की आवश्यकता नहीं।--SM7--बातचीत--

@SM7: जी, प्रणाम. आप ने कालभैरवाष्टक पे जो हहेच का साँचा लगाया है उस बात पे अपेक्षा करता हूँ के आप ने कुछ जानकारी जुटाई होगी. क्या आप वो यहां पे सांझा करेंगे, ताकि मैं इस लेख की अनुउल्लेखनीयता को समझ के उसे दूर कर सकूं कृपया ये देखिए इस लेख को प्रति माह 13,000 से 15,000 याने के सालभर में 154,134 तक पाठक भेंट देते है. ऐसे में यह लेख हटाना मेरे हिसाब से अनुचित होगा.-संतोष गोरे (वार्ता) 06:33, 20 जुलाई 2022 (UTC)[उत्तर दें]

@SM7: जी, @अजीत कुमार तिवारी:जी, @संजीव कुमार:जी, कृपया विस्तार से चर्चा हो, फिर कोई निर्णय लेना ये मेरी विनती है.


SM7जी ने सर्वप्रथम श्री गायत्री सहस्रनामस्तोत्र पे हहेच सांचा लगाया और कारण बताया उल्लेखनीयता नहीं। विवरण गायत्री अथवा गायत्री मन्त्र लेख में अनुभाग के रूप में रखा जा सकता। स्वतंत्र लेख की आवश्यकता नहीं। और फिर अजीत कुमार तिवारीजी ने तुरंत मेरे तीन लेख हटाए. उसमेंसे सिद्धमंगल स्तोत्र और कालभैरवाष्टक पुनर्स्थापित किए. लेकिन श्री गायत्री सहस्रनामस्तोत्र अभिभी हटाया हुआ है. इसलिए यहापे तीनो लेखोकी चर्चा कर रहा हूं.

  1. श्री गायत्री सहस्रनामस्तोत्र - ये श्री गायत्री देवी पे आधारित है, जरूरत पड़ने पर इसको merge कर सकते है. खास बात है के SM7 जी ने हहेच का सांचा लगाया ना की merge का. और merge का कारण रखा. इस कारण ये लेख हटाना नही चाहिए. ये लेख ना हटाने का दूसरा कारण ये है के श्री गायत्री देवी से संबंधित सावित्री देवी, गायत्री मंत्र, गायत्री छंद, अखिल विश्व गायत्री परिवार तथा वेद माता गायत्री मंदिर सहित और भी कुछ पन्ने है, जिन्हे हमने ना ही merge किया और ना ही delete. क्योंकि सब लेख संबंधित है लेकिन इनका अस्तित्व अलग अलग है. पहली बार हहेच सांचा लगाया गयाथा तब इसमें संस्कृत श्लोक थे, जिन्हे हटाने पर यह लेख नही हटाया गया. फिर अब क्यों हटाया जाए इसका कोई तो उचित कारण होना चाहिए.
  2. कालभैरवाष्टक - इस लेख को साल में १,५०,००० से १,७५,००० तक पाठक भेट देते है. इस से बड़ा कारण और क्या चाहिए के लेख ना हटाए? इस लेख पे हहेच का सांचा इसलिए लगाया गया के संजीव कुमारजी ने कहा के इनकी इस लेख के रखने पर सहमति नहीं है. कृपया चर्चा देखे ये तो कोई कारण नहीं हुआ. पिछली बार इस लेख पे हहेच का सांचा लगाया गया तब ना हटाने के लिए संजीव कुमारजी ने तीन शर्ते रखी थी १. इस लेख को दूसरी भाषा के लेख से जोड़ना होगा (जो पहले से था) २. इस लेख में संस्कृत के साथ हिंदी अनुवाद भी जोड़ना होगा, जो मैने किया. ३. उचित संदर्भ जोड़ने होगे, येभी मैने किया. इस कारण अजीत कुमार तिवारीजी ने खुद हहेच सांचा हटाया था. अब फिर ये लेख क्यों हटाया जा रहा है?
  3. सिद्धमंगल स्तोत्र - इस लेख पे हहेच का सांचा लगा के विवरण गायत्री अथवा गायत्री मन्त्र लेख में अनुभाग के रूप में रखा जा सकता। स्वतंत्र लेख की आवश्यकता नहीं। ये कारण दिया गया. जब की इस लेख का गायत्री देवी या गायत्री मंत्र से कुछ भी संबंध नहीं है. SM7जी ने सिर्फ संजीव कुमारजी के कहने पर इसे हहेच सांचा लगाया, जब के उन्हें इस का कारण भी ज्ञात नही है. कृपया कृपया चर्चा देखे ये तो कोई कारण नहीं हुआ. पिछली बार इस लेख पे हहेच का सांचा लगाया गया तब ना हटाने के लिए संजीव कुमारजी ने तीन शर्ते रखी थी १. इस लेख को दूसरी भाषा के लेख से जोड़ना होगा (जो पहले से था) २. इस लेख में संस्कृत के साथ हिंदी अनुवाद भी जोड़ना होगा, जो मैने किया. ३. उचित संदर्भ जोड़ने होगे, येभी मैने किया. इस कारण अजीत कुमार तिवारीजी ने खुद हहेच सांचा हटाया था. अब फिर ये लेख क्यों हटाया जा रहा है?

आशा है, आप का पूरा समाधान हुआ होगा. फिरभी कोई बात हो तो कृपया ping करे मैं कोशिश करूंगा के आप का समाधान हो-संतोष गोरे (वार्ता) 03:41, 21 जुलाई 2022 (UTC)[उत्तर दें]

संतोष गोरे जी, विकिपीडिया सूचनाओं अथवा जानकारी का अंधाधुंध संग्रह नहीं है। यह एक ज्ञानकोश है जहाँ ज्ञानकोशीय एवं उल्लेखनीय विषयों पर लेख लिखे जाते हैं। उपरोक्त तीनों लेखों का स्वरूप क्या एक ज्ञानकोश में शामिल किये जाने योग्य लेख का है? लेखों में आपने स्तोत्रों के मूल पाठ और अनुवाद लिख कर उन्हें लेख का दर्जा दे डाला है। ऐसे लेख से कोई ज्ञानकोशीय जानकारी हासिल हो रही? वस्तुतः ये लेख हैं ही नहीं अतः इन्हें हटाने हेतु चर्चा के लिए रखा गया है।
मैंने बाकी दो लेखों पर भी एकत्रित चर्चा हो इसलिए उनमें हहेच टैग जोड़ा था लेकिन चर्चा पृष्ठ की कड़ी अद्यतन नहीं कर सका था। अब यहाँ शेष दो लेखों पर चर्चा की जा सकती है। --SM7--बातचीत-- 18:15, 21 जुलाई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
उल्लेखनीयता
पहली बार जब इन लेखों पर हहेच का सांचा लगाथा तब संजीव कुमारजी ने बदलाव के लिए तीन सुझाव दिए थे किस लिए? -उल्लेखनीयता के लिए. वो मैने किए. फिर अजीत कुमार तिवारीजी ने हहेच का सांचा हटाया. किस लिए? -उल्लेखनीयता आगई थी इस लिए. अब क्या बात है?
ज्ञानकोश/विश्वकोष
इन तीनो लेखों में मैने अंधाधुंध ज्ञान नही भरा बलके जानकारी भरी; विश्वकोष में उचित जानकारी ज्ञान से भी ज्यादा जरूरी होती है. वरना क्या हम सूचियाँ श्रेणी रखते? इनमे सेकडो लेख है, जिनमे ज्ञान नही बल्कि जानकारी भरी हुई है.
अनुवाद
क्या आप ने तीनो लेख पढ़े? श्री गायत्री सहस्रनामस्तोत्र में एक भी अनुवाद नही था... जी सही पढ़ा आप ने. फिर वो लेख क्यों हटाया गया? बाकी बचे लेख कृपया देख लीजिए. ये जो स्तोत्र है, वो किन्होंने लिखे, कब लिखे, हेतु क्या है, सार क्या है, आज के दौर में जिस प्रकाशक ने ये स्तोत्र छापे है उनके संदर्भ इस में जोड़े गए है. फिर बाद में अनुवाद आता है. मैने जो लेख लिखे उन के एक या दो वाक्य एक एक अनुच्छेद के जैसा है. बस मैने इनमे अंधाधुंध ज्ञान नही भरा था.
मैं बड़े अदब से माफी मांगते हुए कहता हूं के हो सकता है के ये आप के 'पसंदीदा क्षेत्र' के विषय नही है; जिनके है वो पाठक लगातार इन्हे भेट दे रहे हैं.
प्रधानता
इन लेखों पर हहेच जोड़ कर स्थानांतर का सुझाव दिया गया. लेकिन अजीत कुमार तिवारीजी ने इन्हे अनुप्रेषित कर के स्थानांतर करने के बदले हटा दिया. SM7जी भी सुझाव तो स्थानांतर का दे रहे है लेकिन हटाने की बात कर रहे है. क्या लेख बचाने की बात नहीं हो सकती? ये लेख छोटे पन्ने लगते है तो हम इन में {{विस्तार}} भी लगा सकते है. फिर बार बार हटाने पे जोर क्यों?
अंतिम अनुच्छेद
फिर भी अगर आप को ये तीनो लेख {{मुख्य}} लेख से अलग नहीं चाहिए तो कृपया श्री गायत्री सहस्रनामस्तोत्र को पुनर्स्थापित करके मुझे बताए. मैं स्वयं अपने हाथोसे इन्हे अनुप्रेषित कर के दूसरे लेख में नए अनुच्छेद के रूप में जोड़ दूंगा.
अजीत कुमार तिवारीजी कृपया निर्णय दीजिए.-संतोष गोरे (वार्ता) 09:22, 22 जुलाई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
संतोष गोरे जी, पहले तो आप हहेच चर्चा में उचित तरीके से टिप्पणी लिखने की परिपाटी समझ लें। मैंने आपकी पूर्व टिप्पणी से अनावश्यक रूप से बनाये गए अनुभाग इत्यादि हटाये हैं (हो सके तो कुछ अन्य पुरानी हहेच चर्चाएँ ही देख लें कि कैसे अपनी टिप्पणी/राय इस तरह की चर्चा में लिखी जातीं हैं)। मैंने यथा संभव प्रारूप वैसा रखने का प्रयास किया है क्योंकि वो आपने लिखा था। टिप्पणी/राय एकल टिप्पणी की तरह लिखें भले उसमें एकाधिक पैराग्राफ हो सकते हैं। और अजीत कुमार तिवारी जी से निर्णय देने का इतनी जल्दी अनुरोध न करें, चर्चा अभी जारी है और अन्य सदस्यों की राय की प्रतीक्षा करें। आपके उपरोक्त बताये गए बिन्दुओं का भी उत्तर दिया जाएगा अतः निर्णय के लिए जल्दबाजी न करें। आशा करता हूँ आप चर्चा में आगे अनुभाग इत्यादि बनाकर नहीं लिखेंगे।--SM7--बातचीत-- 02:36, 25 जुलाई 2022 (UTC)[उत्तर दें]

संतोष गोरे जी, देर से पुनः उत्तर लिखने के लिए माफ़ी चाहता हूँ। आपके तीनों लेखों में, जिनमें से एक हटाया जा चुका है, कोई भी ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी वाली ज्ञानकोशीय सामग्री नहीं है जिससे इन्हें ज्ञानकोश में रखने लायक लेख माना जा सके। वस्तुतः आप केवल स्तोत्र के मूल पाठ को लेख का दर्जा दे रहे और इसे ही मैंने जानकारी का अंधाधुंध संग्रह कहा है। स्तोत्रों के पाठ किसी प्रकार कोई ज्ञानकोशीय जानकारी अथवा सामग्री नहीं हैं, हाँ ये पूरक हो सकते थे जब स्तोत्रों के बारे में पर्याप्त और सविस्तार विवरण और जानकारियाँ होतीं। वर्तमान स्थिति में स्तोत्रों के पाठ और अनुवाद को हटा दिया जाय तब तथाकथित लेख में ऐसा कुछ भी ख़ास नहीं बच रहा जिसे स्वतंत्र रूप से रखने लायक और उसे ज्ञानकोशीय लेख का दर्जा दिया जा सके।

गायत्री वाले लेख में मैंने इसी लिए सामग्री को स्थानांतरित करने अथवा विलय करने के लिए कहा क्योंकि गायत्री अथवा गायत्री मन्त्र से सम्बंधित लेख में जानकारी का विलय किया जा सकता था अगर ऐसा कुछ विलय करने योग्य होता। इस प्रकार मैंने लेख से स्तोत्र के पाठ के अलावा वाली जानकारी के लिए कहा था कि उसका विलय किया जा सकता है।

बाकी दो लेखों में भी स्तोत्रों के मूल पाठ और अनुवाद को हटा दिया जा तो वही स्थिति बनती है कि इनमें स्तोत्रों के बारे में जानकारी का अभाव है। अर्थात लेख लगभग पूरी तरह स्रोत के पाठ पर आधारित हैं अन्य कोई ख़ास जानकारी नहीं। कोई अन्य ऐसा लेख भी संबंधित नहीं जहाँ इस अत्यल्प जानकारी को विलय भी किया जा सके। बड़ी हद तक कालभैरवाष्टक लेख में जो मूल पाठ और अनुवाद के अलावा जानकारी है उसे शायद भैरव लेख में विलय किया जा सके। तीसरा लेख भी बिलकुल ऐसाही है और कोई अन्य लेख भी नहीं जहाँ इसकी जानकारी वाली सामग्री को विलय किया जा सके अतः तीनों ही लेख वर्तमान स्थिति में हटाने ही लायक हैं।--SM7--बातचीत-- 07:15, 27 जुलाई 2022 (UTC)[उत्तर दें]

SM7जी प्रणाम, एक हफ्ते पहले मैने फैसला सुनाने की विनती की थी, लेकिन तब आप ने कहा था कि अन्य सदस्यों की राय की प्रतीक्षा करें लेकिन अभितक आप के सिवा और दो प्रबंधक सदस्यों अपनी कोई भी राय नहीं रखी इसलिए मैं फिर से कुछ तथ्य यहां पर रखना चाहता हु.
  1. मैं पिछले सात साल से विकीपीडिया पर हूं और मराठी विकीपीडिया पर प्रबंधक हूं, अतः विकीपीडिया पर लिखना जानता हूं. आज के दिनांक में हिंदी विकीपीडिया पर '1,61,451' लेख उपलब्ध है, सभी में ना हमारी रुचि हो सकती है और ना ही सभी लेख हमे आनंद दे सकते है. लेकिन फिर भी बार बार आप मेरे लिखे हुए लेखों में कुछ खास ज्ञान ढूंढ रहे हो.
  2. आप ने कहा के, श्री गायत्री सहस्रनामस्तोत्र में कोई भी ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी वाली ज्ञानकोशीय सामग्री नहीं है जिससे इन्हें ज्ञानकोश में रखने लायक लेख माना जा सके. कृपया लेख शिव सहस्रनाम देखे इस में मेरे लेख से २०- २५% आशयघनता है फिर भी इसपर आजतक 'ना हहेच का सांचा लगा और ना ही स्रोत कम' का. पता नहीं आप इस के साथ किस हिसाब से देख रहे हो.
  3. कालभैरवाष्टक और सिद्धमंगल स्तोत्र पर बात करते वक्त आप बार बार मूल पाठ और अनुवाद का जिक्र कर रहे हैं, क्या आप ने विष्णु सहस्रनाम को देखा है? इसमें जरा ध्यान से देखिएगा, 'मूल पाठ और अनुवाद' कुछ ज्यादा ही बड़ा है. इस पर भी आप में से किसनेभी 'ना तो हहेच का सांचा लगाया और ना ही स्रोत कम का'. ये बाते मुझे बड़ी अचरज में डालती हैं.
  4. मैं फिर से कहता हूं के आप ने मेरे लेखोंको आराम से नहीं पढ़ा है. क्यों के आप को 'कालभैरवाष्टक' को विलय करने के लिए 'कालभैरव' लेख मिला. लेकिन सिद्धमंगल स्तोत्र के लिए आप ने लिखा के कोई अन्य लेख भी नहीं जहाँ इसकी जानकारी वाली सामग्री को विलय किया जा सके. क्या आप को हिंदी विकीपीडिया पर श्रीपाद वल्लभ लेख नही मिला जिसमे इसका विलय किया जा सकता है? मैं फिर से कहता हूं के हो सकता है के ये आप के 'रुचि क्षेत्र' के विषय नही है. शायद इस लिए आप इन लेखों पर सिर्फ वकालत कर रहे हैं.
  5. मैं हम चारों के मूल्यवान समय तथा विकीपीडिया पर दिया जानेवाला योगदान का सम्मान करते हुए कहता हूं कि फिर भी अगर आप को यह लेख हिंदी विकीपीडिया पर नही चाहिए तो कृपया आगे की तरह का विलय किया जाय.
श्री गायत्री सहस्रनामस्तोत्र --> श्री गायत्री देवी
कालभैरवाष्टक --> कालभैरव
और
सिद्धमंगल स्तोत्र --> श्रीपाद वल्लभ
-संतोष गोरे (वार्ता) 18:52, 31 जुलाई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
@संतोष गोरे जी: मैं उपर की चर्चा को पूरी तरह समझ नहीं पाया हूँ क्योंकि चर्चा लेख पर होनी चाहिये थी लेकिन आपने इसे व्यक्तिगत कर दिया। आप मराठी विकिपीडिया पर प्रबन्धक हो, इसका तात्पर्य यह नहीं है कि हिन्दी विकिपीडिया की नियमावली की जानकारी रखते हो। मैंने उपरोक्त पृष्ठ के इतिहास से देखा कि आपका नामांकन अर्थहीन था। आपने उपर लेख की उल्लेखनीयता के विषय में लिखा है, लेख की सामग्री इसे अभी भी उल्लेखनीय सिद्ध नहीं कर रही। ☆★संजीव कुमार (✉✉) 08:41, 21 अगस्त 2022 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7: जी, @अजीत कुमार तिवारी:जी, @संजीव कुमार:जी, प्रणाम, पिछले कई दिनों से इस चर्चा पर कोई भी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. कृपया जल्द से जल्द अंतिम निर्णय लिया जाए. अन्यथा हो सकता है के हमारे इस चर्चा का संदर्भ दे कर एक नई कुप्रथा शुरू हो जाएगी, के चर्चा शुरू करो और अपना लेख सुरक्षित रखो. और मैं बिल्कुल नही चाहता के ऐसा कुछ हो. आप तीनों को जो उचित लगता है वो फैसला करें.
मेरी अंतिम राय यही होगी के अगर आप को ये लेख उचित नहीं लगते तो ऊपरी आखिरी चर्चा में मैने जो ५वा मुद्दा रखा है उसे स्वीकार कर के मेरे लेखोंको ऊपर निर्देशित लेखोंमे विलीन कर के मेरे लेखों का टेक्स्ट इन लेखों में नए परिच्छेद के स्वरूप में जोड़ दिया जाए.–संतोष गोरे (वार्ता) 07:44, 10 अप्रैल 2023 (UTC)[उत्तर दें]