- महाभारत
- महाभारत हिन्दुओं का स्मृति वर्ग में एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य यह हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। हालाँकि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कॄतियों में से एक माना जाता है किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति हिन्दुओं के इतिहास की १,१०,००० श्लोकों में लिखी गाथा है। इसी में भगवद्गीता सन्निहित है। काव्य के रचियता वेद व्यास जी ने इसमे सम्पूर्ण वेदों के गुप्ततम रहस्य, उनके अंगो एवं उपनिषदो का विस्तार से निरुपण किया है, इसमे न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष और खगोलविद्या, युद्ध कला, योग, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और धर्मशास्त्र का विस्तार से वर्णन किया गया है। जब देवताओ ने तराजू के एक पासे में चारो "वेदो" को रखा और दूसरे पर "भारत ग्रंथ" को रखा, तो "भारत" वेदो की तुलना मे अधिक भारी सिद्ध हुआ, ग्रन्थ की इस महता (महानता) को देखकर देवताओ ने इसे "महाभारत" नाम दिया
- रामायण
- रामायण संस्कृत का सर्वप्रथम महाकाव्य है जिसकी रचना वाल्मीकि ऋषि ने की। प्रथम महाकाव्य की रचना करने के कारण ही उन्हें ‘आदिकवि’ की उपाधि मिली। उनकी यह रचना न केवल भारत में वरन, उन दिनों विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार का नगण्य साधन होने के बावजूद भी, विश्वप्रसिद्ध रचना बन गई तथा उनकी ये रचना सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो गई। विश्व के अधिकांश देशों में वाल्मीकि रामायण के आधार पर राम के चरित्र पर विभिन्न नामों से रचनायें की गई। आदिकवि वाल्मीकि की रचना से ही प्रभावित होकर सन्त श्रीतुलसीदास जी ने अवधी भाषा में रामचरितमानस की रचना की जो कि आज हिंदू परिवार का अंग बन गई हैं। अतः महाकवि वाल्मीकि के बाद राम के चरित्र का द्वितीय लोकप्रिय वर्णन करने वाले का श्रेय सन्त श्री तुलसीदास जी को जाता है। तुलसीदास जी के पश्चात् भी अन्य हज़ारों रचयिताओं ने राम के चरित्र पर अनेक भाषाओं में रचनायें कीं
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