"हूण लोग": अवतरणों में अंतर
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हूण वास्तव में तिब्बत की घाटियों में बसने वाली जाति थी। जिनका मूल स्थान [[वोल्गा]] के पूर्व में था। वे ३७० ई में [[यूरोप]] में पहुँचे और वहाँ विशाल हूण साम्राज्य खड़ा किया। इन्हें चीनी लोग "ह्यून यू" अथवा "हून यू" कहते थे। और भारतीय इन्हें 'हुना' कहते थे। कालान्तर में इसकी दो शाखाएँ बन गईँ जिसमें से एक वोल्गा नदी के पास बस गई तथा दूसरी शाखा ने ईरान पर आक्रमण किया और वहाँ के सासानी वंश के शासक फिरोज़ को मार कर राज्य स्थापित कर लिया। सन् 483 ईसवीं में फारस के बादशाह फीरोज़ ने हूणों के बादशाह खुशनेवाज़ के हाथ से गहरी हार खाई और उसी लड़ाई में वह मारा भी गया। हूणो ने फीरोज़ के उत्तराधिकारी कुबाद से दो वर्ष तक कर वसूल किया। बदलते समय के साथ-साथ कालान्तर में इसी शाखा ने भारत पर आक्रमण किया इसकी पश्चिमी शाखा ने यूरोप के महान [[रोमन साम्राज्य]] का पतन कर दिया। ▼
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|government_type = जनजातीय परिसंघ
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|year_start = 370 ई के दशक में
|event_end = [[Dengizich]], son of Attila, dies
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*[[Hunnic language|Hunnic]]
*[[Gothic language|Gothic]]
*Various tribal languages}}
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|event1 = [[Attila]] and [[Bleda]] become co-rulers of the united tribes
|event2 = Death of Bleda, Attila becomes sole ruler
|event3 = [[Battle of the Catalaunian Plains]]
|event4 = Invasion of northern Italy
|event5 = [[Battle of Nedao]]
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|event_pre = Huns appear north-west of the [[Caspian Sea]]
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|p2 = Greuthungi
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|p4 = Pannonia
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|s2 = Rugiland
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|s3 = Ostrogothic Kingdom
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|s4 = Kingdom of the Suebi (Danube)
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}}
▲'''हूण''' वास्तव में [[तिब्बत]] की घाटियों में बसने वाली जाति
यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों का नेता अट्टिला (Attila) था। भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों को श्वेत हूण तथा यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों को अश्वेत हूण कहा गया भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों के नेता क्रमशः तोरमाण व [[मिहिरकुल]] थे [[तोरमाण ]]ने स्कन्दगुप्त को शासन काल में भारत पर आक्रमण किया था।▼
हूणों का इतना भारी दल चलता था कि उस समय के बड़े बड़े सभ्य साम्राज्य उनका उवरोध नहीं कर सकते थे। चीन की ओर से हटाए गए हूण लोग तुर्किस्तान पर अधिकार करके सन् ४०० ई॰ से पहले वंक्षु नद ([[आवसस नदी]]) के किनारे आ बसे। यहाँ से उनकी एक शाखा ने तो योरप के रोम साम्राज्य की जड़ हिलाई और शेष [[फारस साम्राज्य]] में घुसकर लूटपाट करने लगे। पारसवाले इन्हें 'हैताल' कहते थे। [[कालिदास]] के समय में हूण वंक्षु के ही किनारे तक आए थे, भारतवर्ष के भीतर नहीं घुसे थे; क्योंकि [[रघु]] के दिग्विजय के वर्णन में कालिदास ने हूणों का उल्लेख वहीं पर किया है। कुछ आधुनिक प्रतियों में 'वंक्षु' के स्थान पर 'सिंधु' पाठ कर दिया गया है, पर वह ठीक नहीं। प्राचीन मिली हुई [[रघुवंशम्|रघुवंश]] की प्रतियों में 'वंक्षु' ही पाठ पाया जाता है। वंक्षु नद के किनारे से जब हूण लोग फारस में बहुत अपद्रव करने लगे, तब फारस के प्रसिद्ध बादशाह [[बहराम गोर]] ने सन् ४२५ ई॰ में उन्हें पूर्ण रूप से परास्त करके वंक्षु नद के उस पार भगा दिया। पर बहराम गोर के पौत्र फीरोज के समय में हूणों का प्रभाव फारस में बढ़ा। वे धीरे-धीरे फारसी सभ्यता ग्रहण कर चुके थे और अपने नाम आदि फारसी ढंग के रखने लगे थे। फीरोज को हरानेवाले हूण बादशाह का नाम खुशनेवाज था।
जब फारस में हूण साम्राज्य स्थापित न हो सका, तब हूणों ने भारतवर्ष की ओर रुख किया। पहले उन्होंने सीमान्त प्रदेश [[कपिश]] और [[गांधार]] पर अधिकार किया, फिर मध्यदेश की ओर चढ़ाई पर चढ़ाई करने लगे। [[गुप्त राजवंश|गुप्त सम्राट]] [[कुमारगुप्त]] इन्हीं चढ़ाइयों में मारा गया। इन चढ़ाइयों से तत्कालीन गुप्त साम्राज्य निर्बल पड़ने लगा। कुमारगुप्त के पुत्र महाराज [[स्कंदगुप्त]] बड़ी योग्यता और वीरता से जीवन भर हूणों से लड़ते रहे। सन् ४५७ ई॰ तक [[अन्तर्वेद]], [[मगध]] आदि पर स्कंदगुप्त का अधिकार बराबर पाया जाता है। सन् ४६५ के उपरान्त हुण प्रबल पड़ने लगे और अन्त में [[स्कंदगुप्त]] हूणों के साथ युद्ध करने में मारे गए । सन् ४९९ ई॰ में हूणों के प्रतापी राजा तुरमान शाह (संस्कृत : तोरमाण) ने गुप्त साम्राज्य के पश्चिमी भाग पर पूर्ण अधिकार कर लिया। इस प्रकार गांधार, काश्मीर, पंजाब, राजपूताना, मालवा और काठियावाड़ उसके शासन में आए। तुरमान शाह या तोरमाण का पुत्र मिहिरगुल (संस्कृत : मिहिरकुल) बड़ा ही अत्याचारी और निर्दय हुआ। पहले वह [[बौद्ध]] था, पर पीछे कट्टर [[शैव]] हुआ। गुप्तवंशीय [[नरसिंहगुप्त]] और मालव के राजा [[यशोधर्मन्]] से उसने सन् ५३२ ई॰ मे गहरी हार खाई और अपना इधर का सारा राज्य छोड़कर वह काश्मीर भाग गया। हूणों में ये ही दो सम्राट् उल्लेख योग्य हुए। कहने की आवश्यकता नहीं कि हूण लोग कुछ और प्राचीन जातियों के समान धीरे-धीरे भारतीय सभ्यता में मिल गए ।
▲यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों का नेता अट्टिला (Attila) था। भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों को श्वेत हूण तथा यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों को अश्वेत हूण कहा
<ref>प्राचीन भारत का इतिहास by K.C.srivastav</ref>
<ref>भारत के इतिहास में हूण / रामचन्द्र शुक्ल</ref>
== हूणों की उतपत्ति ==
इतिहासकारों की माने तो हूण उतपत्ति पर किसी के पास कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। इतिहासकार बताते हैं कि
महाभारत के आदिपर्व 174 अध्याय के अनुसार जब ऋषि
==चित्र दीर्घा==
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==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
[[श्रेणी:हूण साम्राज्य]]
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