शूरसेन
शूरसेन मथुरापुरी के प्राचीन राजा थे।

श्री शूरसेन के पिता शत्रुघ्न, थे। महाराजा शत्रुघ्न ने अपने पुत्र शूरसेन के नाम पर ही शूरसेन देश की स्थापना की थी। शूरसेन के पुत्र महाराजा शूरसैनी थे। शूरसैनी का उल्लेख रामायण और पुराणों में मिलता है। श्री शूरसेन के समय सूर्यवंश अपने चरमोत्कर्ष पर था।
वाल्मीकि रामायण संपादित करें
- शूरसेन ने पुरानी मथुरा के स्थान पर नई नगरी बसाई थी जिसका वर्णन वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में है।
- शूरसेन-जनपदीयों का नाम भी वाल्मीकि रामायण में आया है- 'तत्र म्लेच्छान्पुलिंदांश्च सूरसेनांस्तथैव च, प्रस्थलान् भरतांश्चैय कुरूंश्च यह मद्रकै:'।
- वाल्मीकि रामायण में मथुरा को शूरसेना कहा गया है:-'भविष्यति पुरी रम्या शूरसेना न संशय:'.
- महाभारत में शूरसेन-जनपद पर सहदेव की विजय का उल्लेख है- 'स शूरसेनान् कार्त्स्न्येन पूर्वमेवाजयत् प्रभु:, मत्स्यराजंच कौरव्यो वशेचक्रे बलाद् बली'।
- कालिदास ने रघुवंश में शूरसेनाधिपति सुषेण का वर्णन किया है- 'सा शूरसेनाधिपतिं सुषेणमुद्दिश्य लोकान्तरगीतकीर्तिम्, आचारशुद्धोभयवंशदीपं शुद्धान्तरक्ष्या जगदे कुमारी'।
- इसकी राजधानी मथुरा का उल्लेख कालिदास ने इसके आगे रघुवंश में किया है।
- श्रीमद् भागवत में यदुराज शूरसेन का उल्लेख है जिसका राज्य शूरसेन-प्रदेश में कहा गया है।
- मथुरा उसकी राजधानी थी- 'शूरसेना यदुपतिर्मथुरामावसन् पुरीम्, माथुरान्छूरसेनांश्च विषयान् बुभुजे पुरा, राजधानी तत: साभूत सर्वयादभूभुजाम्, मथुरा भगवान् यत्र नित्यं संनिहितों हरि:'।
- विष्णु पुराण में शूरसेन के निवासियों को ही संभवत: शूर कहा गया है और इनका आभीरों के साथ उल्लेख है- 'तथापरान्ता: सौराष्ट्रा: शूराभीरास्तथार्बुदा:'।