शेखसर
शेख़सर भारत के राजस्थान राज्य के बीकानेर ज़िले के लूनकरनसर में स्थित एक गांव है।
शेखसर सुखचेनपुरा | |
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गांव | |
शेख़सर | |
निर्देशांक: 28°36′16″N 73°58′46″E / 28.604384°N 73.979423°Eनिर्देशांक: 28°36′16″N 73°58′46″E / 28.604384°N 73.979423°E | |
देश | भारत |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | बीकानेर |
तहसील | लूनकरनसर |
नाम स्रोत | बाबा शेख फरीद |
ऊँचाई | 194 मी (636 फीट) |
जनसंख्या (2001) | |
• कुल | 2,820 |
भाषा | |
• आफिशल | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिन कोड | 334603 |
टेलिफोन कोड | 01529 |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | RJ-IN |
वाहन पंजीकरण | RJ-07 |
नजदीकी शहर | सरदारशहर |
इतिहास
संपादित करेंशेख़सर रियासत
संपादित करेंराठौर द्वारा अपने विलय से पहले यह गोदारा जाटों के प्राचीन गणराज्य की राजधानी थी।[1] गोदारा प्रमुख पांडु गोदारा थे और उनके अधीन 700 गाँव थे। इनकी राजधानी शेख़सर में थी। गोदारा शासकों के अंतर्गत शामिल जिले शेख़सर, पुंडरसर, गुसाईंसर बड़ा, घरसीसर, गरीबदेसर, रूंगयसर और कालू थे। गोदारा वंश के लोग महान और महत्वाकांक्षी योद्धा के रूप में जाने जाते थे।[2]
लाधडिया के जाट राजा पाण्डु गोदारा रासलाना के जाट राजा रायसल बेनीवाल की बेटी मलकी से प्रेम करता था तथा राजकुमारी मलकी भी उनसे प्रेम करती थी।[3] परंतु उससे पिता ने उसकी शादी भाड़ग रियासत के जाट राजा फुला सहारण से करवा दी। राजकुमारी मलकी ने अपने गुप्तचर के माध्यम से राजा पाण्डु गोदारा तक संदेश भिजवाया की वह उसे ले जाए यह संदेश लेकर पाण्डु गोदारा ने अपनी सेना के साथ भाड़ग पर हमला कर दिया तथा वह मलकी को लेकर चला गया। इनके इस कार्य के कारण अन्य जाट शासको ने पाण्डु गोदारा की रियासत पर हमला कर दिया और पाण्डु अकेला इनसे नही लड सकता था इसलिये उसने राव जोधा के बेटे राव बिका की सहायता ली उसकी सहायता से वह लाधडिया से बचकर निकल गया परंतु उनकी रियासत लाधडिया को भारी नुकसान हुआ बाद मे गोदारा जाटो ने एक नई रियासत शेख़सर की स्थापना की और पाण्डु गोदारा ने अपनी सहायता के बदले मे अपनी पुरी रियासत राव बिका को दान कर दी जो आगे चलकर बीकानेर रियासत कहलाई यहां से जाग्लदेश पर जाट वंश का अंत हुआ तथा राजपूत वंश की शुरूवात हुई। [4][5][6]
गांव के नाम की उत्पत्ति
संपादित करेंअजोधन (पाकपत्तन) के बाबा शेख़ फरीद ने राजस्थान के जाट बाहुल्य क्षेत्र में अपने रूहानी उपदेशों से जाटों को प्रभावित किया बाबा शेख़ फरीद अजोधन से दिल्ली आते-जाते रहे तथा दक्षिणी पंजाब तथा उत्तरी राजस्थान के इलाके में रहे। लोग इनकी योग शक्ति व भक्ति से इतने प्रभावित हुए की सींवर जनों ने अपने क्षेत्र में आबादी का नाम शेख़सर रख लिया, जो कि एक रेख के रूप में आज जानी जाती है। शेख़ फरीद ने अपनी योग माया से गोदारा जनपद के गाँव सुखचैनपुरा का पानी पिने योग्य कर दिया, इसलिए सुखचैनपुरा का नाम शेख़सर कर दिया तथा गोदारा जनपद में धिरघान में शेख़ फरीद का मंदिर भी है।[7]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Agravāla, Govinda (1974). Cūrū Maṇḍala kā śodhapūrṇa itihāsa, Volume 1. Loka Saṃskr̥ti Śodha Saṃsthāna.
- ↑ Ojhā, Gaurīśaṅkara Hīrācanda (2007). Bīkānera Rājya kā itihāsa. Mahārājā Gaṅgāsiṃhajī Ṭrasṭa. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-86103-13-5.
- ↑ Bhāṭī, Hari Siṃha (2000). Bhaṭanera kā itihāsa. Kavī Prakāśana. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-86436-28-8.
- ↑ Kothiyal, Tanuja (2016-03-14). Nomadic Narratives: A History of Mobility and Identity in the Great Indian Desert (अंग्रेज़ी में). Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-107-08031-7.
- ↑ Jibraeil: "Position of Jaats in Churu Region", The Gurjaras - Vol. II, Ed Dr Vir Singh, Delhi, 2006, p. 223
- ↑ G. S. L. Devra, op. cit., 7–8, Cf. Dayaldas ri Khyat, part 2, p. 4–5
- ↑ Saṃskartā, Nānūrāma (1984). Kheṛai-rapaṭa: kshetrīya purāvr̥tta. Loka Sāhitya Pratishṭhāna.