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सुनील भारती मित्तल एक भारतीय उद्योगपति है, जिन्होंने "भारती एंटरप्राइज़" नामक कंपनी की स्थापना की, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।[1]
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंसुनील जी का जन्म पंजाब के अग्रवाल परिवार में सन् १९५७ को हुआ था। उनके पिता, सत पॉल मित्तल राज्य सभा के एम.पी थे। उनकी माता का नाम ललित्ता था। सुनील अपने पिता के कदमों पर नहीं चलना चाहते थे। इसलिए उन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपना अलग-सा एक व्यवसाय शुरू कर दिया था। उनकी पढ़ाई वाईनबर्ग एलेन स्कूल, मसूरी और सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में हुई थी। सन् १९७६ में सुनील भारती मित्तल ने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से स्नातक परीक्षा पास की।[2] सन् १९७६ में सुनील ने अपने दो भाईयों तथा एक दोस्त के साथ मिलकर अपना खुद का एक व्यवसाय शुरू किया था। उन्हें पैसों की कोई कमी नहीं थी फिर भी उन्होंने कठिन परिश्रम का रास्ता अपनाकर अपने व्यावसाय को आगे बढ़ाया। सुनील की शादी नयना से हुई। उनके एक बेटी और जुडवा बेटे है। उनका एक पुत्र, काविन मित्तल "हाइक" नामक कंपनी चलाता है जिसकी क़ीमत १.५ बिलियन डॉलर है।[3]
करियर
संपादित करेंसुनील एक बहुत ही महत्त्वाकांक्षी उद्योगपति थे। केवल बीस हज़ार रूपेय (जो अपने पिता जी से उधार लिए थे) के पूँजी निवेश से उन्नीस साल की उम्र में ही उन्होंने स्क्रैप और साइकिल के हिस्सों का आयात करना शुरू कर दिया था।[4] फिर उन्होंने स्टेनलेस स्टील शीट्स के उत्पादन के लिए एक लघु परियोजना शुरू की थी। सन् १९७९ तक मित्तल मुंबई चले गए थे क्योंकि उन्होंने सोचा कि लुधियाना उनकी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं है। सन् १९८० में उन्होंने अपने भाईयों के साथ मिलकर "भारती ओवरसीज ट्रेडिंग कंपनी" नामक एक आयात कपंनी की स्थापना की और अगले साल ही उन्होंने 'इम्पोर्ट लाइसन्स' भी खरीद लिया था। इस व्यवसाय से उन्हें मार्केटिंग और सेल्स का बहुत अनुभव मिला था। सुनील भारती मित्तल ने कई मुश्किलों का सामना किया जिसमें प्रमुख था सरकार द्वारा जनरेटर के आयात पर प्रतिबंध क्योंकि सरकार देश में ही जनरेटरस् के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती थी। फिर उन्होंने अन्य व्यावसायिक अवसरों के लिए खोज करना शुरू कर दिया। जब वे ताइवान में थे तब उन्होंने पुश बटन फोन देखा और सन् १९८४ में उन्होंने भारत में पुश बटन फोन को तैयार करना शुरू कर दिया था। उनके पहले पुश बटन फोन का नाम "मिथब्रों" था।[5] उन्होंने १९९० में "भारती टेलीकॉम लिमिटेड" नामक कंपनी की स्थापना की । धीरे-धीरे उन्होंने अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया और १९९० तक सुनील की कंपनी फैक्स मशीन, ताररहित फोन और अन्य दूरसंचार उपकरण बना रही थी। सुनील भारती मित्तल पहले भारतीय उद्यमी थे जिन्होंने मोबाइल टेलिकम्युनिकेशन व्यवसाय को एक प्रमुख विकास क्षेत्र के रूप में देखा और उन्होंने इसी व्यवसाय को आगे बढ़ाया। सरकार द्वारा उनके विचार तथा योजनाओं को मंजूरी मिलने के बाद, सन् १९९५ में "बी.सी.एल" की स्थापना हुई थी और ब्रांड "एयरटेल" को लॉन्च किया गया। "बी.सी.एल" ने एस.टी.डी और स्थानीय कॉल दर को नीचे लाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई और धीरे-धीरे "एयरटेल" भारतीय दूरसंचार के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध हो गया। सुनील भारती मित्तल एक महत्वाकांक्षी तथा चतुर उद्यमी है जिनके कारण "एयरटेल" आज "टाटा", "बिड़ला", तथा अन्य बड़े-बड़े कंपनियों के बराबर है। अपनी कड़ी मेहनत और दृढ संकल्प के कारण "एयरटेल" न केवल भारत तक सीमित है बल्कि दक्षिण एशिया और अफ्रीका जैसे देशों में भी इसका कार्य क्षेत्र फैला हुआ है। आज "एयरटेल" नाम से हर भारतीय परिचित है।
पुरस्कार और सम्मान
संपादित करेंअपने व्यवसाय की सफलता के कारण, भारत के प्रधानमंत्री ने सुनील भारती मित्तल को भारत-अफ्रीकी व्यापार परिषद का सह-अध्यक्ष बनाया। २००६ में फॉर्च्यून पत्रिका ने सुनील भारती को "एशियाई बिजनेसमैन ऑफ़ द ईयर" अवार्ड से सम्मानित किया। २००७ में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण से सम्मानित किया।[6] २००९ में जर्मनी के कील इंस्टीटयूट ने उन्हें "ग्लोबल एक्नोमी अवार्ड" से सम्मानित किया। एशियाई अवार्ड, २०१० में सुनील भारती को "फिलैंथ्रॉपिस्ट ऑफ़ द ईयर" पुरस्कार से सम्मानित किया था। इस तरह उन्हें कई अन्य पुरस्कार भी मिले थे।
लोकोपकारी काम
संपादित करेंविश्व के प्रमुख २५ लोकोपकारियों में सुनील मित्तल का नाम शामिल है।
उनके द्वारा प्रारंभ किए "भारती फाउंडेशन" समाज के गरीब बच्चों को शिक्षित करने में कार्यरत है। इस फाउंडेशन ने लगभग २००० स्कूलों की स्थापना की है। हमारे देश के गरीब युवा बच्चों को अपनी क्षमता का एहसास दिलाने की मुख्य उद्देश्य से ही इस फाउंडेशन की स्थापना की गई थी।
निष्कर्ष
संपादित करेंसुनील भारती मित्तल एक बहुत ही शांत और विनम्र व्यक्ति है। वे प्रतिदिन प्रातः काल योगाभ्यास करते है जिससे उन्हें मानसिक शक्ति मिलती है। वे अपनी सफलता के लिए अपने परिवार के लोगों के प्रति आभारी हैं। सुनील अंक ज्योतिष में गहरा विशवास रखते हैं। उनका मानना है कि तेईस (२३) संख्या उनके लिए काफी सैभाग्यशाली है। इसलिए वे हमेशा अपने सारे मुख्य काम तेईस को ही करते है। अपने काम के प्रति दृढ़-विशवास ही उनकी सफलता की कुंजी है। अपने सपने को साकार करने के लिए वे बड़े से बड़े जोकिम उठाने को भी तैयार रहते है। मित्तल युवा उद्यमियों को अपने सपने को विश्वास से पालन करने तथा उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की सलाह देते हैं।
संदर्भ
संपादित करें- ↑ https://www.thefamouspeople.com/profiles/sunil-bharti-mittal-5507.php
- ↑ https://successstory.com/people/sunil-bharti-mittal
- ↑ https://www.forbes.com/profile/sunil-mittal/
- ↑ http://www.mbarendezvous.com/motivational-story/mr-sunil-bharti-mittal/
- ↑ https://economictimes.indiatimes.com/small-biz/startups/newsbuzz/how-bharti-airtels-sunil-mittal-was-once-in-financial-crisis-for-the-want-of-rs-5000/articleshow/62093302.cms
- ↑ https://business.mapsofindia.com/business-leaders/sunil-bharti-mittal.html