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ओणम
परिचय
संपादित करेंओणम केरल का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व पुरे केरल राज्य मे धुम-धाम से मनाया जाता है।यह उत्सव केरल का राज्य उत्सव है।इस पर्व के अवसर पर पुरे राज्य मे चार दीन की सरकारी छुट्टी होती है। यह उत्सव अगस्त-सितम्बर के महिने मे आता है,मलयालम मे यह पर्व उनके वर्ष के चिनग्म मास मे पड़ता है।यह त्योहार राजा महाबली के घर लौटने की खुशी मे और उनको सम्मान देने के लिये मनाया जाता है साथ ही इस पर्व मे भगवान विष्णु के पांचवे अवातर -वामना अवतार की भी पुजा होती है। पुरे राज्य मे इस पर्व के अगमन का इन्तज़ार होता है। इस पर्व पर बहुत सारी धार्मिक रस्मे निभायी जाती है जैसे की वलम्कलि,पौलिकलि,पोललम,ओनताम,थुम्भिथुलयि,कुम्तिकालि,ओन्थलु,अथाचमयम,रस्सी खिचायी आदि।[1]
महत्व
संपादित करेंयह त्योहर वर्षों से केरल के उज्ज्वल राजस्व एवम सौन्दर्य का प्रतिक है। इस ओनम के उत्सव को 'हर्वेस्त एस्तिवल' के नाम से भी जाना जाता है। यह उत्सव फसल कटने की खुशी पुरे राज्य मे दर्शाता है। यह एक सामुहीक उत्सव है जो की वर्षों से केरल वासियो के दिलो मे जगह बनाये हुए है। ओनम त्योहार की खासीयत ही कुछ ओर है।इस उत्सव का आरम्भ बरामदे मे रंग बिरंगे फुलो की रंगोली से किया जाता है। इस त्योहर मै प्रतिभोज का भी बड़ा महत्व है।इस अवसर पर मन्दिर तथा अन्य धार्मिक स्थान भी सजाये जाते है। लोग एक-दुसरे के घर जाते है और आपस मे मिठाइयाँ और उपहार लेते देते है।नदियों मे नौकायान का कार्यक्रम होता है और नावों की दौड़ होती है। जगह जगह पर सभाए लगती है। ओनम के त्योहर मे एक और खास आर्कशन है,इस दिन बन्ने वाले अनेक व्यञन बनते है।ओनम दस दिन तक मानाया जाता है और उन दस दिनो के अलग-अलग नाम है। प्रथम दिन का नाम आतम,दूसरे दिन क नाम चीथीरा,तिसरे दिन का नाम छोधि,करते हुए विशाकम,अञ्हिहम,थ्रिकेता,मूलाम,पूरदाम,उथ्रादोम और अन्त मे थिरुवोन्म।[2]
कहानी
संपादित करेंचिनग्म के महिने मे फूलो और लहरते हुए फसल के साथ देत्यो के राजा,राजा महाबली का उनके राज्य मे उनका स्वागत किया जाता है। लोगो का माना है कि इस महिने मे राजा महाबली साल मे एक बार अपने गुप्त समुदाय पात्ला से उनके राज्य केरल मे अपने प्रजा से मिलने और उनकी खुशी के लिये आर्शिवाद देने राज्य मे आते है।कहा जाता है कि राज्यवासी और राजा के बिच मे इतना प्रेम था की उनके आगमन की खुशी मे पुरा राज्य खिल उठता है।राजा महाबलि के लिये सभी लोग खुशी से उनकी भाषा मलयाली मे राजा को सम्मानित करते हुए गीत गाते है।ओनम उत्सव राजा महाबलि के सम्मान मे ही मनाया जाता है साथ ही वामना देवता जो की त्रिककारापन के नाम से पुजे जते है, उनकी भी एक मिट्टी की मुर्ति बनायी जाती है और उसे फुलो की रंगोली के सामने रख कर उनकी पुजा-अरचाना की जाती है और तो और त्योहार पदमानाभान जो की केरल के राज्य देवता थे उनके जन्मदिन की खुशी मे भी मनाया जाता है।पुरे केरल मे इस त्योहर के कारण हर्षोल्लास का वातावरण छाह जाता है। ओनम का त्योहर पुरे दस दीन तक मनाया जाता है।हरे-भरे खेतों का दर्शन करना इस पर्व मे विशेष माना जाता है।
रस्मे रिवाज
संपादित करेंइन दस दिनो की त्योहर को त्रिपुनिथुरा मे अत्तछामायाम के साथ आरंभ किया जाता है।यह परेड बहुत ही शान्दार और इसमे केरल राज्य के सारे रंग दिखाइ दिये जाते है।इस त्योहर का एक मुख्य केन्द्र कोच्चि मे वामानामूर्थि त्रिककिकारा मन्दिर मे है,माना जाता है कि यह महाबली के समय की राजधानि हुई करती थी।[3] यह मन्दिर भगवान वामाना के लिये मनाया गया था और इसकी पृष्ठभूमि ओनम को दर्शत है।पोकालम,देह्लीज़ मे बनाई हुइ फुलो की रंगोली को कहा जाता है, यह एक उनका खास तरिका होता है अपने घर-आङन को सजाते है।इस दिन सभी घरो मे साद्या मनाया जाता है और सभि भाइ-भन्धु प्रेम से साथ मिल कर खाते है।इस दिन कई परंपरागत नृत्य किया जाता है जैसे थ्रिवुथिर,कुम्मत्तिकलि,पुलिकलि,थुम्बि थुल्ललाल आदि। नौका दौड़ भी इस पर्व का एक अनोखा खेल है जिसे सब मस्ति से आनन्द लेते है।